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राणा कपूर की बेटियों पर भी शिकंजा, 2000 करोड़ रुपये की संपत्तियों पर ED की नजर

राणा कपूर की बेटियों पर भी शिकंजा, 2000 करोड़ रुपये की संपत्तियों पर ED की नजर
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नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर के खिलाफ जांच में 2,000 करोड़ रुपये मूल्य के निवेश, 44 महंगी पेटिंग और एक दर्जन से कथित मुखौटा कंपनियां केंद्र में हैं। कपूर को मनी लांड्रिंग के मामले में रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं राणा कपूर के खिलाफ अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए उनकी बेटियों राखी कपूर टंडन, रोशनी कपूर और राधा कपूर से पूछताछ कर रही है।

अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी को कुछ ऐसे दस्तावेज भी मिले हैं जो बताते हैं कि कपूर परिवार के लंदन में कुछ संपत्ति हैं। अब उस संपत्ति की खरीद के लिये इस्तेमाल हुए कोष के स्रोत की जांच की जा रही है। ईडी एक कंपनी द्वारा कथित रूप से प्राप्त 600 करोड़ रुपये के कोष के मामले में कपूर, उनकी पत्नी तथा तीन बेटियों के खिलाफ जांच कर रहा है। जिस कंपनी को यह राशि मिली, उसका नियंत्रण कथित रूप से उनके द्वारा नियंत्रित थी। कंपनी को यह राशि दीवान हाउसिंग फाइनेंस लि. (डीएचएफएल) से जुड़ी इकाई से मिली थी।

कपूर से जुड़ी कंपनी डीओआईटी अरबन वेंचर्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिडेट कथित रूप से यह कोष प्राप्त किया। यह कोष उस समय प्राप्त किया गया जब 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज डीएचएफएल को दिया गया था। डीएचएफएल के खिलाफ कथित वित्तीय अनियमिततताओं को लेकर जांच जारी है। सूत्रों के अनुसार बैंक ने फंसे कर्ज (एनपीए) की वसूली को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की। एजेंसी को संदेह है कि 600 करोड़ रुपये का कोष कथित रिश्वत का हिस्सा हो सकता है। यह राशि एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने के लिये उस कंपनी को मिली जिसका नियंत्रण कपूर परिवार के पास था।

अधिकारियों ने कहा कि ईडी छापे के दौरान मिली अपराध की राशि पर ध्यान रही है। छापा के दौरान कपूर उनकी पत्नी बिंदु तथा तीनों बेटियों के निवास की तलाशी ली। जांच के दौरान परिवार द्वारा 2,000 करोड़ रुपये का निवेश तथा एक दर्जन से अधिक मुखौटा कंपनियों के बारे में जानकारी मिली। इन मुखौटा कंपनियों का उपयोग कथित रिश्वत की हेराफेरी के लिये किया जाता था।

इसके अलावा परिवार के पास 44 महंगी पेंटिंग भी मिले। इनमें से कुछ पेंटिंग कथित तौर पर राजनेताओं से खरीदा गया। मनी लांड्रिंग निरोधक कानून के तहत यस बैंक के पूर्व प्रमुख 62 साल के कपूर को बेलार्ड एस्टेट में ईडी के कार्यालय में कपूर को गिरफ्तार कर लिया गया। केंद्रीय एजेंसी ने कपूर के आवास पर शुक्रवार रात को छापा मारा था। उसके बाद 20 घंटे से अधिक समय तक चली पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस बीच, ईडी कपूर की पत्नी और बेटियों के भी बयान रिकार्ड कर रही है।

ईडी ने तब कार्रवाई की है जब भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को पूंजी की कमी से जूझ रहे यस बैंक पर पाबंदी लगाई है। इससे उसका हर खाताधारक केवल 50,000 रुपये तक ही निकाल सकता है और निजी क्षेत्र के इस बैंक के बोर्ड को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया।रविशंकर प्रसाद ने

यस बैंक संकट पर बोले रविशंकर प्रसाद, मनमोहन सरकार की फोन बैंकिंग से डगमगाए हालात

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बाद केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यस बैंक संकट के लिए कांग्रेस की यूपीए सरकार को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा है कि जहां तक यस बैक का सवाल है तो सरकार तो सख्ती से काम कर रही है। स्टेट बैंक उस दिशा में आगे बढ़ रहा है और निर्मला जी ने हमार वित्त मंत्री जी ने विस्तार से बताया है कि जिन लोन के कारण यस बैंक की हालत डगमगाई है।

उन्होंने कहा कि वो लोन कब दिया गया था। जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब श्रीमान वित्त मंत्री चिदंबरम साहब थे। फोन बैंकिंग होती थी ना इसको लोन दो उसको लोन दो। इसको लोन दो और उससे कट लो। तो ये कट लेने का सिस्टम जो चलता था उसके कारण संस्थाएं परेशान होते हैं। हमारी सरकार कार्रवाई कर रही है और किसी भी निवेशकों का अहित नहीं होगा।

इससे पहले सीतारमण ने कहा था कि संकट में फंसे यस बैंक द्वारा कई बड़ी कंपनियों को 2014 से काफी पहले कर्ज दिया गया था। यह सब पहले से ही सार्वजनिक हैं। मैं इसमें ग्राहक गोपनीयता का उल्लंघन नहीं कर रही हूं, इनमें अनिल अंबानी समूह, एस्सेल, डीएचएफएल, आईएलएफएस, वोडाफोन उन संकटग्रस्त कंपनियों में शामिल हैं, जिन्हें यस बैंक ने कर्ज दिया था। उन्होंने कहा कि वह इन नामों का खुलासा इसलिए कर रही हैं क्योंकि विपक्षी दल उंगली उठा रहे हैं। सीतारमण ने इसके साथ ही यह भी कहा कि यह सब सार्वजनिक है और वह ग्राहकों की निजता का उल्लंघन नहीं कर रही हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि मैं यहां पुरानी कहानियां बताने नहीं आई हूं। 2004-14 के दौरान सत्ता में सरकार ने जैसे काम किया उसकी वजह से बैंकिंग प्रणाली के समक्ष कई गंभीर चुनौतियां हैं। उनपर दोष मढ़ने की मेरे पास वजह है। सीतारमण ने यूपीए एक के दौरान चिदंबरम के दो बैंकों के संकट से निपटने के तरीके पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि उस समय स्व-नियुक्त सक्षम डॉक्टर सत्ता में थे जिन्होंने लगभग डूब चुके यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का 2006 में जबरन आईडीबीआई में विलय कर दिया था।

सीतारमण ने कहा कि हमारे सामने आईडीबीआई की सेहत को दुरुस्त करने में समस्या आ रही है। मैं आपको यह उदाहरण बता रही हूं कि कैसे स्वयंभू स्व-नियुक्त सक्षम डॉक्टरों ने यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का आईडीबीआई में विलय किया। उन्होंने कहा कि आज यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक की वजह से आईडीबीआई बैठ चुका है। यह उन लोगों के इलाज की वजह से है जो आज बोल रहे हैं।

Updated : 9 March 2020 6:54 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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