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विवाद : "प्रतिष्ठित संस्थान" में जियो इंस्टीट्यूट के बाद अवैध कैम्पस चला रहे बिट्स घेरे में, आंदोलन की तैयारी

बीएचयू को "प्रतिष्ठित संस्थान" देने की मांग को लेकर 50 लोकसभा क्षेत्रों में आंदोलन की तैयारी

विवाद : प्रतिष्ठित संस्थान में जियो इंस्टीट्यूट के बाद अवैध कैम्पस चला रहे बिट्स घेरे में, आंदोलन की तैयारी
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नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा पैदा भी नहीं हुए जियो इंस्टीट्यूट को "प्रतिष्ठित संस्थान" का दर्जा दिये जाने का विवाद अभी थमा भी नहीं है कि अवैध कैम्पस चला रहे "बिड़ला इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी" को "प्रतिष्ठित संस्थान" का दर्जा दिये जाने का नया विवाद उभर गया है । क्योंकि जिस बिट्स को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने "प्रतिष्ठित संस्थान" का दर्जा दिया है | उसके गोवा व हैदराबाद कैम्पस को अवैध रूप से चलाये जाने को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 2015 में ही उन्हें बंद करने का नोटिस दिया हुआ है और इसको लेकर उच्च न्यायालय में मुकदमा चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि जिसको वर्तमान यूजीसी अध्यक्ष व उनके आका ने लीपीपोती करके क्लीन चिट देने की कोशिश शुरू कर दी है। इसकी जानकारी मिलने पर कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों, संस्थानों के छात्रों व पूर्व छात्रों में रोष बढ़ता जा रहा है।

इस बारे में काशी हिन्दू विश्व विद्यालय (बीएचयू) के पूर्व अध्यक्ष व उ.प्र. कांग्रेस के पदाधिकारी अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि भारत पर अंग्रेजों का राज होने के बावजूद पं. महामना मदनमोहन मालवीय ने देश-विदेश में भीख मांगकर, देश की धार्मिक नगरी काशी में, 1916 में "काशी हिन्दू विश्वविद्यालय" (बीएचयू) की स्थापना की। उन्होंने इस विश्वविद्यालय में तमाम विभाग उसी समय खोले थे, जिसमें से एक इंजीनियरिंग विभाग भी था, जिसके प्रधानाचार्य पद पर इंग्लैंड के एक प्रसिद्ध इंजीनियरिंग कालेज के प्रोफेसर को आग्रह करके लाये थे। उस इंजीनियरिंग कालेज से पढ़कर निकले छात्र देश-विदेश में बहुत बड़े-बड़े इंजीनियर, उद्योगपति, शिक्षाविद, राजनीतिक, प्रबंधक बने और आज भी बड़े-बड़े पद पर हैं। संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता और विश्व हिन्दू परिषद के सर्वेसर्वा रहे अशोक सिंहल आज की तारीख में विश्व के टाप टेन मैनेजमेंट गुरूओं में से एक रामचरन, जो अमेरिका में रहते हैं, तबके बीएचयू इंजीनियरिंग कालेज के ही छात्र रहे हैं। बहुभाषी समाचार एजेंसी "हिन्दुस्थान समाचार" के संस्थापक व "प्रवासी भारतीय" संस्था के जनक, बालेश्वर अग्रवाल बीएचयू के ही इंजीनियरिंग कालेज के छात्र थे। ऐसे लाखों पूर्व छात्र होंगे जो देश-विदेश में विभिन्न क्षेत्र में बहुत उम्दा कार्य किये, और आज भी कर रहे हैं। यदि काशी हिन्दू वि.वि. के सभी विभागों में पढ़े छात्रों की बात करें, तो आजादी के बाद देश की सत्ता व सरकारी कामकाज संभालने में जिन युवकों की संख्या सबसे अधिक रही, उनमें से काशी हिन्दू वि.वि. सर्वोपरि रहा है । संघ के सरसंघ चालक रहे गुरू गोलवरकर यहां पढ़े थे, अध्यापक भी रहे। दीनदयाल शोध संस्थान में नानाजी देशमुख के सपनों को आकार देने वाले यादव राव देशमुख इसी बीएचयू के छात्र रहे। यहां के ऐसे हजारों पूर्व छात्र आज भी, कृषि विज्ञान, इजीनियरिंग, चिकित्सा, कला, संगीत, संस्कृत, आयुर्वेद, राजनीति से लगायत अन्य तमाम विषयों में अपनी क्षमता, अपने ज्ञान से देश व समाज को लाभान्वित कर रहे हैं। ऐसे काशी हिन्दू विश्व विद्यालय (बीएचयू) के लगभग हर संस्थान , चाहे वह इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कृषि, प्रबंधशास्त्र, आयुर्वेद, कला हो या अन्य, सबके सब उस बिट्स, मणीपाल हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट, पैदा भी नहीं हुए जियो इंस्टीट्यूट से किसी भी मामले में कम नहीं हैं। फिर बीएचयू को, उसके इन विभागों, संस्थानों को क्यों नहीं "प्रतिष्ठित संस्थान"/ " उत्कृष्ठ संस्थान " का दर्जा दिया गया। इन्हें नहीं देकर उस उद्योगपति सेठ मुकेश अंबानी के जियो इंस्टीट्यूट को दे दिया गया जो अभी पैदा ही नहीं हुआ है। उस उद्योगपति बिड़ला के "बिट्स" को दे दिया गया , जिसके अवैध रूप से शुरू किये गये हैदराबाद और गोवा कैम्पस को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 2015 में बंद करने की नोटिस दिया है। और उसको लेकर उच्च न्यायालय में मुकदमा चल रहा है। ऐसे- ऐसे पैदा भी नहीं हुए या अवैध तरीके से कैम्पस चला रहे संस्थानों को "प्रतिष्ठित संस्थान" का दर्जा दे देने और बीएचयू को "प्रतिष्ठित संस्थान" का दर्जा नहीं देने को लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश , पश्चिम बिहार व दक्षिण म.प्र. यानि 3 राज्यों के, लगभग 50 संसदीय क्षेत्रों में बीएचयू के पूर्व व वर्तमान छात्र ने आंदोलन शुरू करने के लिए विचार – विमर्श शुरू कर दिया है। इसके लिए बीएचयू छात्रसंघ व अध्यापक संघ के पूर्व पदाधिकारियों , पूर्व छात्रों व वर्तमान छात्रों से भी बातचीत की जा रही है। इस मामले में अन्य पुराने व प्रसिद्ध संस्थानों के पूर्व व वर्तमान छात्रों, अध्यापकों से भी मानव संस्थाधन विकास मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रमुखों व प्रतिष्ठित संस्थान चयन समिति के प्रमुख सहित 4 सदस्यों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू करने के लिए बात हो रही है। बीएचयू आईटी के छात्र व छात्रसंघ के पदाधिकारी रहे पूर्व सांसद हरिकेश बहादुर का कहना है कि बीएचयू का हर विभाग , हर संस्थान तबका है , जब मणीपाल और बिट्स जैसे संस्थान पैदा भी नहीं हुए थे। बीएचयू के किसी भी विभाग , संस्थान को ले लें, उनमें से पढ़कर निकले छात्र अपने – अपने क्षेत्र में बहुत आगे गये हैं। बीएचयू का आधारभूत ढाचा इन संस्थानों से पहले से ही बहुत अच्छा है । इन सब मानको के आधार पर तो बीएचयू का नाम ,मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी की गई प्रतिष्ठित संस्थानों की पहली सूची में ही होना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं करके उस जियो इंस्टीट्यूट को जो अभी पैदा ही नहीं हुआ है , उस बिट्स को जिस पर अवैध कैम्पस चलाने का आरोप है, और उसे बंद करने की नोटिस 2015 में दिया हुआ है, को "प्रतिष्ठित संस्थान" का दर्जा देने से यह आशंका होती है कि इसके लिए बनाई गई समिति व इसके आका द्वारा "प्रतिष्ठित संस्थान" का दर्जा देने में भेदभाव किया गया है। इस मुद्दे पर बीएचयू के प्रबंध संकाय के डीन रहे प्रो. छोटेलाल का कहना है कि जिस तरह से केन्द्र सरकार ने , उसके अफसरों ने "प्रतिष्ठित संस्थान" चुनने का काम किया है , वह पूरी तरह से संदेह के घेरे में आ गया है। इसलिए इससे जुड़े सभी लोगों को तत्काल पद से , समिति से हटाया जाना चाहिए, उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए ।

Updated : 26 July 2018 5:14 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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