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भ्रष्टाचार मामलो में सपा, बसपा नेताओं को लग सकता है बड़ा झटका

भ्रष्टाचार मामलो में सपा, बसपा नेताओं को लग सकता है बड़ा झटका
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नई दिल्ली। आय से अधिक सम्पत्ति, खाद्यान्न व अन्य कई घोटाला मामले में बसपा नेता मायावती, उनके भाई आनंद, सपा नेता मुलायम सिंह यादव, उनके पुत्र अखिलेश व अन्य की फाइल धीरे-धीरे आगे बढ़ाई जा रही है। उसको उचित समय पर खोल कर सीबीआई व ईडी पूछताछ के लिए तलब कर सकती है, जरूरत पड़ने पर गिरफ्तार कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि इनसे संबंधित दस्तावेज पर नये सिरे से तैयारी शुरू हो गई है। सीबीआई के दो आला अफसरों में आपसी तनातनी के चलते कई महत्वपूर्ण कार्य समय से नहीं हो पाये हैं, उसमें से ये भी हैं। सीबीआई प्रमुख पद पर फिलहाल जो व्यक्ति हैं वह जनवरी 2019 में सेवानिवृत होने वाले हैं। उसके एक माह पहले से सभी महत्वपूर्ण फाइल की निगरानी दूसरे नम्बर के व्यक्ति के जिम्मे आ जाएगी। तब इस पर कार्रवाई की प्रक्रिया गति पकड़ेगी।

इस दौरान, जहां तक सपा, बसपा, रालोद, कांग्रेस में गठबंधन का सवाल है, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गोलमोल कहा है कि गठबंधन उचित समय पर होगा। लखनऊ में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा , महागठंधन होना लगभग तय है , और यह उ.प्र. में भी होगा।

उधर बसपा प्रमुख मायावती ने भी सपा व कांग्रेस से गठबंधन को लेकर खुलकर अभी तक कुछ नहीं कहा है। इसके बजाय वह कर्नाटक में जदएस से गठबंधन की हैं| महाराष्ट्र में राकांपा से हाथ मिला रही हैं। हरियाणा में इनेलो से तालमेल की हैं। हालत यह है कि दिसम्बर 2018 में छत्तीसगढ़, म.प्र. व राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव (इसे 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ कराने की बात होने लगी है) के मद्देनजर भी, सपा व बसपा ने अभी तक सहयोग या कांग्रेस के साथ आने का रवैया नहीं अपनाया है। इसके कारण कांग्रेस के नेताओं को आशंका होने लगी है कि सपा व बसपा किसी डर के कारण कांग्रेस के साथ ताल-मेल करने से कन्नी काट रहे हैं और गोल-मोल बात कर रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के समय तबके सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने किस तरह से महागठबंधन से अलग होने की बात अंतिम समय में कह कर झटका दिया था। इसे आज तक कोई भूला नहीं है। कई विपक्षी नेताओं का कहना है कि मुलायम सिंह यादव ने यह कार्य केन्द्र सरकार के नेताओं के दबाव में सीबीआई के डर से किया था। वरिष्ठ गुजराती पत्रकार डा. हरि देसाई का कहना है कि हो सकता है इसी के कारण मुलायम सिंह यादव व उनके कुनबे के विरूद्ध सीबीआई व ईडी की फाइल अभी तक ठंडे बस्ते में डाल कर रखी गई है। उसको दिखा-दिखा कर इनसे जो चाहा जाता है करवाया जाता है। ठीक यही तरीका बसपा की मायावती को डराने के लिए अपनाया जाता होगा। पहले यह कार्य यूपीए सरकार ने की, अब वही कार्य वर्तमान सरकार कर रही है। आशंका है कि इसी डर से सपा व बसपा ने अभी तक न तो आपस में न ही कांग्रेस के साथ तालमेल करने की ठोस पहल की। यह भी हो सकता है कि इसी डर से सपा या बसपा अकेले भी कांग्रेस से तालमेल नहीं कर रहे हैं।

एक पूर्व खुफिया अधिकारी का कहना है कि संभव है मुलायम, अखिलेश और मायावती को संदेश दे दिया गया हो कि सपा व बसपा ने गठबंधन किया या कांग्रेस के साथ तालमेल किया तो आप लोगों की भ्रष्टाचार, घोटालों की फाइल खोल दी जाएगी।

इस बारे में बीएचयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व उ.प्र.कांग्रेस के पदाधिकारी अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि सपा व बसपा के शीर्ष नेताओं को बिना किसी डर-भय के इस मुद्दे पर खुलकर सामने आना चाहिए। वरना इससे सभी विपक्षी दलों को बहुत नुकसान होगा और लाभ केवल व केवल भाजपा को होगा।

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील व कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने भी सपा व बसपा द्वारा कांग्रेस से तालमेल करने के बारे में कोई साफ बात नहीं करने और कांग्रेस द्वारा पहल करने के बाद भी आगे कुछ ठोस नहीं करने की बात कही है।

इससे विपक्षी दलों के कई नेताओं को लगता है कि कुछ तो मामला है। वे आशंका जताने लगे हैं कि यदि सपा व बसपा ने राजस्थान,म.प्र., छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस से तालमेल की पहल की या लोकसभा के चुनाव को लेकर नवम्बर में गठबंधन करने, सीटों के बंटवारे के बारे में बात शुरू की तो सपा व बसपा नेताओं के विरूद्ध सीबाई व ईडी की कार्रवाई शुरू हो जाएगी। इसमें पूछताछ व गिरफ्तारी भी हो सकती है।

Updated : 14 Aug 2018 1:25 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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