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सीजेआई मामला: साजिश की जांच जस्टिस एके पटनायक करेंगे

- सीबीआई, आईबी और दिल्ली पुलिस को जांच में सहयोग करने का निर्देश

सीजेआई मामला: साजिश की जांच जस्टिस एके पटनायक करेंगे
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न से जुड़े साजिश के मामले की जांच के लिए जस्टिस एके पटनायक को नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई, आईबी और दिल्ली पुलिस के प्रमुखों को जस्टिस पटनायक को सहयोग करने का निर्देश दिया है। इस मामले पर आज सुबह कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

आज सुबह सुनवाई के दौरान वकील उत्सव बैंस ने एक और सीलबंद हलफनामा सुप्रीम कोर्ट को सौंपा था। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि उत्सव बैंस ने कुछ दस्तावेज को गोपनीय कहा है लेकिन साक्ष्य अधिनियम की धारा 126 के तहत इस मामले में लागू नहीं होता है। उत्सव बैंस ने जिस व्यक्ति से मुलाकात की बात कही है, वह इनका मुवक्किल भी नहीं है,इसलिए धारा 126 के तहत ये दस्तावेज गोपनीय नहीं कहे जा सकते हैं।

सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक गुप्ता ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को संबोधित करते हुए गुस्से में कहा था कि पिछले 3-4 सालों से सुप्रीम कोर्ट में जो चल रहा है, जिस तरह से आरोप लगाए जा रहे हैं, ऐसे में यह संस्था खत्म हो जाएगी। जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा था कि हम हमेशा सुनते है कि बेंच फिक्सिंग हो रही है, यह हर हाल में बंद होना चाहिए। जज के रूप में हम बहुत चिंतित हैं।

24 अप्रैल को वकील उत्सव बैंस के दावों पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि न्यायपालिका में फिक्सर की कोई जगह नहीं है। हम इन दावों की तह तक जायेंगे ताकि इन फिक्सरों का पता चल सके। जांच कर सच पता करना होगा वर्ना लोगों का इस संस्थान से भरोसा उठ जाएगा।

वकील उत्सव बैंस ने हलफनामे में ये भी दावा किया था कि चीफ जस्टिस को फंसाने की इस साजिश में कोर्ट के बर्खास्त किये गए कर्मचारी भी शामिल हैं। हलफनामे में कोर्ट की अवमानना के मामले में अनिल अंबानी की व्यक्तिगत पेशी से संबंधित गलत आदेश वेबसाइट पर अपलोड करनेवाले कोर्ट मास्टर तपन चक्रवर्ती और मानव शर्मा का उल्लेख किया गया है।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि हम महिला वकील इस कोर्ट की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा था कि हम चाहते हैं कि इस कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी की ओर से दाखिल हलफनामे पर स्वतंत्र जांच हो। तब जस्टिस नरीमन ने कहा था कि हम 20 अप्रैल को हुई सुनवाई से जुड़े मामले की सुनवाई नहीं कर रहे हैं। तब इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि उन आरोपों के बाद ही 20 अप्रैल की सुनवाई के लिए बेंच गठित की गई थी। तब जस्टिस नरीमन ने कहा था कि हम फिर कह रहे हैं कि हम केवल उत्सव बैंस के हलफनामे पर विचार करेंगे। तब इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि एक जांच दूसरी जांच को प्रभावित नहीं करना चाहिए।

जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि उत्सव बैंस ने कहा है कि कुछ फिक्सर हैं और हमें इसकी तह तक जाना चाहिए। एक वकील ने आरोप लगाया है, इसलिए इसकी जांच होनी चाहिए। अगर ये हलफनामा गलत है तो उस पर भी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा था कि नाराज कर्मचारी एक हो गए हैं । तीन कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है। इस तरह की कार्रवाई इसके पहले के किसी चीफ जस्टिस ने नहीं की थी।

सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि हमें ये नहीं समझ आ रहा है कि कोई व्यक्ति ऐसे आरोप लगा रहा है और कह रहा है कि बाकी दावे प्रिविलेज्ड हैं। उत्सव बैंस ने कहा था कि हमारे ऊपर व्यक्तिगत आरोप लगा रहे हैं तब जस्टिस नरीमन ने कहा था कि आपके अटार्नी जनरल पर संदेह करने का कोई मतलब नहीं है। वे बार के सबसे सम्मानित सदस्य हैं। अगर आप उन पर संदेह करेंगे तो हम आपको बाहर कर देंगे। तब उत्सव बैंस ने कहा था कि हम खुद ही बाहर चले जाएंगे। तब जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि आपको बाहर जाने को नहीं कहा जा रहा है। जस्टिस नरीमन ने कहा था कि केके वेणुगोपाल एक जेंटलमैन हैं और हमें उनसे काफी कुछ सीखने को मिलता है।

इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि उत्सव बैंस सुप्रीम कोर्ट में अपनी जगुआर कार से बिना किसी स्टिकर के आ जाते हैं और हमें आने के लिए एंट्री का स्टीकर लगाकर आना पड़ता है। आखिर वे कैसे आ जाते हैं।

सुनवाई के दौरान उत्सव बैंस ने कहा था कि मैंने सीलबंद लिफाफे में मैटेरियल दिए हैं उसमें सीसीटीवी फुटेज हैं जो कहानी को बयां करती है। चीफ जस्टिस के खिलाफ सबसे बड़ी साजिश रची गई है। बैंस ने कहा था कि बड़े कारपोरेट हाउस ने साजिश रची है।

कोर्ट ने कहा था कि उत्सव बैंस की सुरक्षा जारी रहेगी । अगर यह मामला सही है तो ये बेहद गंभीर है। 23 अप्रैल को कोर्ट ने वकील उत्सव बैंस को नोटिस जारी किया था । उत्सव बैंस ने हलफनामा देकर कहा था कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के मामले में फंसाने के लिए साजिश रची गई थी। पिछले 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर आपात सुनवाई की थी। कोर्ट ने यौन प्रताड़ना के आरोपों का सिरे से खंडन किया था।

बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना ने मीडिया से जिम्मेदारी पूर्वक काम करने को कहा था। कोर्ट ने कहा कि हम मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक नहीं लगा रहे हैं लेकिन उम्मीद करते हैं कि मीडिया तथ्यों को जांचे बगैर इस तरह न्यायापालिका को निशाना बनाने वाले फर्जी आरोप नहीं छापेगा। कोर्ट ने कहा कि हम मीडिया पर छोड़ते हैं कि वे न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बरकरार रखें। हम कोई न्यायिक आदेश नहीं पारित कर रहे हैं।

इस मामले में जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाला तीन सदस्यीय जांच पैनल ने आरोप लगाने वाली महिला को नोटिस जारी कर तलब किया है। इस पैनल ने उक्त महिला को 26 अप्रैल को बुलाया है।

Updated : 25 April 2019 3:01 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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