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राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा कोड के नियमों में होगा बदलाव

राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा कोड के नियमों में होगा बदलाव
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नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। केंद्र सरकार सड़क दुर्घटनाओं मृतकों की बढ़ती संख्या को कम करने के लिए नए सिरे से राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा कोड (एनआरएससी) बनाने जा रही है। देश की सड़कों को सुरक्षित बनाने की जिम्मेदारी चार राज्यों के परिवहन आयुक्तों के कंधों पर होगी। आयुक्तों की समिति अगले तीन माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी।

ज्ञातव्य है कि सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने 9 अक्तूबर को केरल, मेघालय, झारखंड और दिल्ली के परिवहन आयुक्तों की समिति गठित करने के आदेश जारी कर दिए हैं। समिति प्रमुख रूप से राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा कोड (एनआरएससी) का मसौदा तैयार करेगी। ताकि देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और हताहतों की संख्या को कम किया जा सके। समिति विशेष रूप से हादसे में गंभीर रूप से घायलों को त्वरित चिकित्सीय सहायता पहुंचाने के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने के उपाय सुझाएगी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार गंभीर रूप से घायलों को त्वरित चिकित्सीय सहायता मिल जाए तो 30 से 40 फीसदी हताहतों की जान बचाई जा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार विदेशों में सड़क दुर्घटना में घायलों को 15 से 30 मिनट में एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम युक्त एबुलेंस सेवा मिल जाती है। जबकि भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों पर कई घंटे गुजरने के बाद भी घायलों को साधारण एबुलेंस नहीं मिलती है।

इसको देखते हुए समिति राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे ट्रॉमा सेंटर बनाने, निजी अस्पतालों-नर्सिंग होम को इमरजेंसी सेवा से जोड़ने, राष्ट्रीय स्तर पर हेल्पलाइन नंबर शुरू करने जैसे उपायों को लागू करने पर विचार कर सकती है। सड़क मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में कार, ट्रक, एबुलेंस, क्रेन निर्माण, वाहनों की रफ्तार, राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण, राजमार्ग निर्माण संबंधी योजनाएं, सड़क यातायात, राजमार्ग किनारे यात्री सुविधाएं, हाईवे पेट्रोलिंग, हाईवे पर आपदा प्रबंधन, हाईवे किनारे स्वास्थ्य सुविधाएं आदि के लिए अलग अलग कोड हैं। लेकिन राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा कोड में सभी क्षेत्रों के कोड को समायोजित कर दिया जाएगा।

Updated : 12 Oct 2018 10:26 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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