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20वीं शिखर वार्ता : रूसी सेना के लिए भारत में बनेंगे कलपुर्जे

20वीं शिखर वार्ता : रूसी सेना के लिए भारत में बनेंगे कलपुर्जे
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व्लादिवोस्तोक/नई दिल्ली। भारत और रूस ने द्विपक्षीय राजनीतिक साझेदारी में रक्षा उपकरणों के साझा उत्पादन और तेल व गैस क्षेत्र में भारी निवेश का निश्चय करते हुए बुधवार को 15 समझौतों, करारों और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच वार्ता के बाद समझौतों और करारों पर हस्ताक्षर किए गए और दोनों नेताओं ने साझा प्रेसवार्ता को संबोधित किया। भारत और रूस के बीच यह 20वीं शिखर वार्ता थी, जिसमें दोनों देशों के नेताओं ने प्रतिनिधिमंडल के साथ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर विचार-विमर्श किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधन में रक्षा उपकरणों के साझा उत्पादन के संबंध में हुए समझौते का विशेष रूप से उल्लेख किया। इस समझौते के अनुसार रूस की सेना के लिए अतिरिक्त कलपुर्जे बनाने के लिए भारत में उत्पादन इकाई स्थापित की जाएगी। मोदी ने कहा कि इससे भारत में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा और लोगों को रोजगार मिलेगा। दोनों देशों ने निवेश की संभावनाओं का भरपूर उपयोग करने के लिए निवेश संरक्षण समझौता करने पर भी सहमति व्यक्त की।

मोदी ने आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों, साइबर सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने का इरादा व्यक्त किया। अंतरिक्ष में किसी भारतीय को भेजने के गगनयान मिशन का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस में प्रशिक्षण हासिल करेंगे।

पुतिन को अपना परम मित्र बताते हुए मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने अपने संबंधों को सरकारी दायरे से बाहर लाकर उन्हें निजी उद्योग क्षेत्र से जोड़ा है। साथ ही विभिन्न कूटनीतिक आयोजन राजधानियों के बाहर दोनों देशों के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे हैं।

मोदी ने रूस के साइबेरिया और सुदूर पूर्व क्षेत्रों को 'कर्मतीर्थ' की संज्ञा देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में कोयला, तेल, गैस की खोज, खनन और दोहन के लिए दोनों देशों ने पांच साल का एक रोडमैप तैयार किया है। भारत के सार्वजनिक उपक्रम, निजी उद्योग और विभिन्न राज्य रूस के सुदूर पूर्व की विकास यात्रा में भागीदारी करेंगे। मोदी व्लादिवोस्तोक की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं।

दोनों देशों ने चेन्नई (तमिलनाडू) और व्लादिवोस्तोक के बीच नौवाहन सेवा शुरू करने की दिशा में भी पहल की। मोदी ने कहा कि भारत और रूस के संबंध केवल आंकड़ों के लिहाज से ही नहीं बल्कि गुणात्मक रूप से भी बहुत विकसित हुए हैं। दोनों देशों के संबंध खरीददार और विक्रेता के नहीं रहे बल्कि वह साझा उत्पादन की दिशा में बढ़ रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने अमेठी (उत्तर प्रदेश) में एके-203 क्लाशनिकोव रायफल की उत्पादन इकाई स्थापित करने का जिक्र किया।

दोनों नेताओं ने कहा कि क्षेत्रीय और अतंरराष्ट्रीय मामलों पर दोनों देशों के विचारों में समानता है और उनके संबंध दुनिया में शांति स्थापित करने की बड़ी गारंटी हैं। मोदी और पुतिन ने विश्व में बहुध्रुवीय व्यवस्था कायम करने के साझा उद्देश्य की चर्चा करते हुए कहा कि जी-20 शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स जैसे संगठनों के माध्यम से दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मसलों के समाधान और सहयोग के लिए काम कर रहे हैं।

मोदी ने कहा कि भारत और रूस किसी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के खिलाफ हैं। अफगानिस्तान में अमेरिका की पहल पर तालिबान के साथ संभावित समझौते के बारे में मोदी ने कहा कि भारत एक ऐसा अफगानिस्तान चाहता है जो अखंड, लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और स्थिर हो। प्रधानमंत्री ने भारत प्रशांत क्षेत्र के बारे में कहा कि हम चाहते हैं कि यहां एक ऐसी व्यवस्था कायम हो जो मुक्त और समावेशी हो।

दोनों देशों ने बाघ संरक्षण के लिए मिलकर प्रयास करने का निश्चय भी किया। रूस विशेषकर उसके सुदूर पूर्व क्षेत्रों में भारत के निवेश को बढ़ाने के लिए मुंबई में एक कार्यालय स्थापित करने का फैसला भी किया गया। मोदी कल व्लादिवोस्तोक में आयोजित ईस्टर्न इकोनॉमी फोरम (ईईएफ) में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे।

Updated : 4 Sep 2019 2:46 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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