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न उगलते न निगलते बन रहे थरूर
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विशेष आलेख: न उगलते न निगलते बन रहे थरूर

Swadesh Digital
|
1 Jun 2025 6:06 AM IST

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर शशि थरूर की पूछ परख से कांग्रेस का परेशान होना स्वाभाविक है। थरूर को तबज्जो देने के लिए कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा और जयराम रमेश भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी को खरी खोटी सुनाते रहते हैं। लेकिन सबसे बड़ा हमला उदितराज ने बोला। उन्होंने भाजपा को सुझाव दे दिया कि वह थरूर को अपना सुपर प्रवक्ता घोषित कर दे..। इन हमलों से एक तरफ लगता है कि कांग्रेस थरूर पर कार्रवाई करे लेकिन दूसरी तरफ ये भी लगता है कि देशप्रेम में डूबे मतदाता कहीं इससे नाराज न हो जाएं। सो थरूर पर कार्रवाई हो इसकी संभव कम ही है। वे जैसे भी है कांग्रेस में ही बने रहेंगे। कुल मिलाकर थरूर कांग्रेस के लिए न उगलते बन रहे हैं न निगलते।

नाम के बहाना वोटरों पर निशाना

लालू यादव ने जिस समय बड़े बेटे तेजप्रताप को राजनीतिक विरासत और घर से बेदखल किया, उसी समय उनके घर बड़ी खुशखबरी आई। उनके सियासी उत्तराधिकारी तेजस्वी को बेटा पैदा हुआ। लालू ने चट मंगनी, पट ब्याह के अंदाज में नन्हें यादव का नाम इराज रख दिया। और इस शब्द का अर्थ हनुमान जी बता दिया। पता नहीं किस शब्दकोश में इराज का मतलब हनुमान है। वैसे इरा का मतलब पृथ्वी, भूमि, जल, मदिरा होता है। चूंकि इराज नाम से इस्लामी ध्वनि आती है सो लालू यादव ने राजनैतिक समीकरण साधा है। नाम के अर्थ पर कितने लोग जाते हैं। बिहार में चुनाव है सो इस नाम के जरिए लालू अपने एमवाई समीकरण के बड़े हिस्से यानि मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की तैयारी में हैं।

सिंदूर पर रंग बदलता विपक्ष

वैसे तो भाजपा ने घर-घर सिंदूर पहुंचाने के अभियान से ही इनकार कर दिया है। पार्टी के सोशल मीडिया प्रभारी अमित मालवीय ने भी यह साफ कर दिया। लेकिन इस कथित अभियान ने विपक्षियों को भारतीय परंपरा में भरोसा दिखाने का आधार दे दिया था। वैसे भाजपा विरोधियों को वैचारिक आधार वामपंथी देते हैं। वामपंथियों का भारतीयता,परंपरा आदि में भले ही भरोसा नहीं। ऑपरेशन सिंदूर उन्हें पितृ सत्ता का प्रतीक लगता रहा। बीजेपी के कथित सिंदूर पहुंचाने के अभियान पर भी उन्हें एतराज रहा। कि महिलाएं किसी और के नाम का सिंदूर कैसे ले सकती हैं। लेकिन वे भूल गए कि सिंदूर देवी देवताओं की प्रमुख पूजन सामग्री है। वामपंथियों के चलते ऐसा लग रहा था कि सिंदूर सिर्फ देवियों को ही चढ़ाया जाता है...बेशक महिला की मांग में सिंदूर सिर्फ उसका पति ही भरता है..लेकिन खरीद कोई सकता है। पूजा के लिए किसी को कोई भी सिंदूर दे सकता है। सवाल यह भी है कि विवाह मंडप में जो सिंदूर लाया जाता है, क्या उसे खुद दूल्हा ही खरीदता है। दरअसल सिंदूर का विरोध सिर्फ विरोध के लिए होता रहा..अब विपक्षी कह सकते हैं कि सिंदूर पर उनका विरोध कामयाब रहा।

तू डाल-डाल, मैं पात-पात

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग खूब कर रहे हैं और सरकार भी इस पर विचार कर रही है। खबर है कि विशेष सत्र विदेश गए राजनयिक प्रतिनिधि मंडलों की वापसी के बाद बुलाया जा सकता है। सरकार उन सांसदों को प्रमुखता से बोलने का मौका दिए जाने की तैयारी में है, जो विदेश में पाकिस्तान की कलई खोलते हुए ऑपरेशन की जानकारी दे रहे हैं। लेकिन विपक्ष शायद ही ये चाहे कि प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसदों को बोलने का मौका दिया जाए। संसद का विशेष सत्र 20 से 25 जून के बीच बुलाने की तैयारी है। लगे हाथों पचासवीं बरसी के बहाने आपातकाल पर भी चर्चा होगी। यदि विपक्ष सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करेगा तो ऑपातकाल पर चर्चा के जरिए सरकार हिसाब बराबर कर देगी।

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