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126 साल पुराने इस ऐतिहासिक होटल में रुकेंगे ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के मेहमान, लाखों में है यहां का किराया, जानिए खासियत
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Sadar Manzil: 126 साल पुराने इस ऐतिहासिक होटल में रुकेंगे ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के मेहमान, लाखों में है यहां का किराया, जानिए खासियत

Jagdeesh Kumar
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16 Feb 2025 11:26 AM IST

कहा जाता है कि जब भोपाल में नवाबों का शासन था तब इस सदर मंजिल को सपनों का महल कहते थे। यह होटल 126 साल पुरानी है, जिसे नवाबों ने बनवाया था।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट होने जा रही है, जिसमें देश विदेश से इन्वेस्टर भोपाल पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसका शुभारंभ करेंगे भोपाल पहुंचेंगे। समिट 23 - 24 फरवरी को भोपाल के मानव संग्रहालय में आयोजित की जाएगी। इसमें आने वाले मेहमानों को भोपाल की ऐतिहासिक सदर मंजिल में ठहराया जाएगा। यह होटल 126 साल पुरानी बताई जा रही है।

समिट से पहले होगा इसका उद्घाटन

पुराने भोपाल के हमीदिया क्षेत्र में स्थित इस बिल्डिंग में आजादी के बाद से नगर निगम का ऑफिस चलता था। साल 2017 में इसे PPP मोड़ यानी सरकारी निजी भागीदारी में रखा गया। करीब 7 साल बाद अब ये इमारत एक हेरिटेज होटल के रूप में बनकर तैयार है। ग्लोबल इन्वेस्टर समिट से पहले मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इसका उद्घाटन करेंगे।

कितना है इसका किराया?

इस ऐतिहासिक होटल में 5- स्टार कैटिगरी की सुविधाएं मिलेंगी। इसमें प्रेसिडेंशियल सुइट, लग्जरी सुइट, एक्जीक्यूटिव सुइट, डीलक्स लेक व्यू, लग्जरी रूम, डीलक्स रूम, कोर्टयार्ड सुइट, क्लब रूम, जूनियर सुइट और विंटर ग्रीन जैसे शानदार कमरे उपलब्ध हैं। यहां एक दिन का किराया 12 हजार से शुरू होकर 1 लाख रुपए तक है।

किसने बनवाया था सदर मंजिल?

सदर मंजिल का निर्माण साल 1898 में नवाब शाहजहां बेगम ने करवाया था। बताया जाता है कि मध्य प्रदेश टूरिज्म की होटल अमलतास के बाद यह दूसरी होटल होगी जिसका संचालन पूरी तरह से महिलाएं करेंगी। सदर मंजिल को भोपाल स्मार्ट सिटी ने कोलकाता की एटमॉस्फेयर कंपनी को 30 साल के लिए लीज पर दिया है। जिससे स्मार्ट सिटी को 36 करोड़ की आमदनी होगी और इसके रिनोवेशन में भी सरकार का पैसा नहीं लगा।

बिना ढांचागत बदलाव के किया गया रिनोवेशन

इस ऐतिहासिक इमारत का बिना किसी ढांचागत बदलाव के रिनोवेशन किया गया है। कहा जाता है कि जब भोपाल में नवाबों का शासन था तब इसे सपनों का महल कहते थे। जब भारत आजाद हुआ तो यह इमारत भी सरकार के अंडर आ गई।

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