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तेल अवीव से तेहरान तक धमाके ही धमाके, 24 घंटे की तबाही में दर्जनों मौतें और सैकड़ों जख्मी
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ईरान-इज़राइल टकराव ने विस्फोटक मोड़: तेल अवीव से तेहरान तक धमाके ही धमाके, 24 घंटे की तबाही में दर्जनों मौतें और सैकड़ों जख्मी

Pushpendra Raghuwanshi
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14 Jun 2025 1:14 PM IST

ईरान और इजराइल के बीच हालिया संघर्ष ने मध्य-पूर्व को युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है। दोनों देशों ने बीते 24 घंटों में एक-दूसरे पर सीधे सैन्य हमले किए हैं। ये टकराव सिर्फ मिसाइलों और लड़ाकू विमानों का नहीं, बल्कि रणनीति, शक्ति प्रदर्शन और वैश्विक प्रभाव का भी है।

संघर्ष की शुरुआत:

शुक्रवार सुबह 5:30 बजे (भारतीय समयानुसार), इज़राइल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन की शुरुआत की। इज़राइली वायुसेना के 200 फाइटर जेट्स ने ईरान के कई मिलिट्री और न्यूक्लियर ठिकानों को निशाना बनाया। इस हमले में ईरान के 6 न्यूक्लियर वैज्ञानिक और 20 से ज्यादा सैन्य कमांडर मारे गए।

यह हमला ईरान के लिए सीधा संदेश था कि वह पीछे नहीं हटेगा, चाहे कीमत कुछ भी हो।

ईरान का जवाब: ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस-3

इज़राइली हमले के ठीक बाद ईरान ने पलटवार करते हुए ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस-3 लॉन्च किया। ईरान ने 150 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें इज़राइल पर दागीं, जिनमें से 6 राजधानी तेल अवीव में गिरीं। इन मिसाइलों से इज़राइल में 2 लोगों की मौत और 90 से ज्यादा घायल होने की खबर है। ईरानी मीडिया का दावा है कि इन मिसाइलों ने इज़राइली रक्षा मंत्रालय को भी निशाना बनाया।

तेज़ी से बिगड़ते हालात:

ईरान और इज़राइल के बीच संघर्ष शनिवार सुबह 7:15 बजे तक जारी रहा।

इज़राइल ने शुक्रवार रात करीब 10:30 बजे फिर से ईरानी न्यूक्लियर बेस पर एयरस्ट्राइक की।

इस हमले में ईरान के 78 लोग मारे गए और 350 से अधिक घायल हुए।

24 घंटे, 7 बड़े घटनाक्रम:

- इजराइल ने 200 फाइटर जेट्स से ईरान पर हमला किया।

- इजराइल के ऑपरेशन का नाम राइजिंग लायन रखा गया।

- ईरान के 6 वैज्ञानिक, 20 सैन्य अधिकारी मारे गए।

- ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस-3 लॉन्च किया, 150 मिसाइलें दागीं।

- इजराइली रक्षा मंत्रालय पर मिसाइल से हमला करने का दावा।

- नेतन्याहू ने पीएम मोदी से बातचीत की।

- ट्रम्प ने ईरान को धमकाया- "परमाणु समझौता करो या परिणाम भुगतो।

ईरान और इजराइल दोनों ही युद्ध के मैदान में उतर चुके हैं, और कूटनीतिक बातचीत की कोई संभावनाएं फिलहाल नहीं दिखतीं। इज़राइल को अमेरिका का समर्थन है, जबकि ईरान अपनी क्षेत्रीय ताकत और बैलिस्टिक मिसाइलों पर भरोसा कर रहा है। यह संघर्ष अगर इसी तरह जारी रहा, तो यह सिर्फ इन दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा। इससे पूरी दुनिया पर आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा संकट गहरा सकता है।

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