< Back
Top Story
मतांतरण का मास्टर प्लान, सालाना 100 करोड़ इकठ्ठा कर रहे मिशनरी, ईसाई धर्म के प्रचार में हो रहा उपयोग…
Top Story

सरकार के चावल से हिन्दुओं का कन्वर्जन: मतांतरण का मास्टर प्लान, सालाना 100 करोड़ इकठ्ठा कर रहे मिशनरी, ईसाई धर्म के प्रचार में हो रहा उपयोग…

Swadesh Digital
|
21 Feb 2025 11:47 AM IST

आदित्य त्रिपाठी, रायपुर। "सरकार के चावल से हो रहा कन्वर्जन" शायद यह बात आपके गले न उतरी हो, लेकिन उत्तर छत्तीसगढ़ के बड़े इलाके में ऐसा ही हो रहा है। प्रधानमंत्री की 'गरीब कल्याण अन्न योजना' और छत्तीसगढ़ सरकार की 'अन्नपूर्णा योजना' के तहत बांटा जा रहा चावल, लोगों को ईसाई बनाने के काम आ रहा है।

दरअसल, प्रदेश में बड़ी संख्या में सक्रिय ईसाई मिशनरी अभियान चलाकर, क्रिश्चियन परिवारों से चावल इकठ्ठा कर रहे हैं। मुहिम को नाम दिया गया है "एक मुठ्ठी चावल योजना"। गौरतलब है कि ईसाई मिशनरी इस प्लान के तहत सालाना 100 करोड़ रुपये से अधिक की आय पैदा कर रहे हैं।

जी हां, आपने सही पढ़ा सालाना 100 करोड़ और यह पूरी रकम भोले-भाले और गरीब हिन्दुओं को ईसाई बनाने में लगाई जा रही है।

ऐसे काम करती है योजना

मिशनरियों द्वारा चलाई जा रही इस योजना के तहत, बड़ी ही चालाकी से सरकारी चावल को गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। तो आइए समझते हैं आखिर क्या है मिशनरियों की 'मोडस ऑपरेन्डी'। दरअसल, सरगुजा संभाग में बड़ी संख्या में कन्वर्टेड ईसाई रहते हैं। जिनमें हर परिवार का सदस्य प्रतिदिन एक मुठ्ठी चावल दान करता है।

संभाग के लाखों परिवारों से जुटाया गया यह चावल, बड़ी ही चालाकी से बाजार में 25-30 रुपये प्रति किलो बेचा जाता है। इसके लिए मिशनरियों ने कुछ प्रतिनिधि भी लगा रखे हैं, जो चावल को परिवारों से लेकर बाजार में बेचते हैं।

हर साल 100 करोड़ की कमाई

"एक मुठ्ठी चावल योजना" सफल रही है। मिशनरियों ने जिस लक्ष्य से इसकी शुरुआत की थी उसमें सफल रहे हैं। बिना किसी शोर-शराबे के मिशनरी इस मुहिम से 100 करोड़ सालाना इकठ्ठा कर रहे हैं। जिसके लिए उन्हें ज्यादा प्रयास भी नहीं करना पड़ता है।

फंडिंग का स्वदेशी तरीका

आपको याद होगा कि 2019 में विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम ने मिशनरी के लिए विदेशी फंडिंग पर कड़ी पाबंदियां लगाई थीं। जिससे धर्मांतरण गतिविधियों को करना मुश्किल हो गया था। इस पर काबू पाने के लिए मिशनरी ने चावल इकठ्ठा करने का यह अनोखा तरीका अपनाया है, ताकि वे धर्मांतरण के लिए पैसे जुटा सकें और गांवों में अन्य सुविधाओं का संचालन कर सकें।

बदल गई है सरगुजा की डेमोग्राफी

एक रिपोर्ट में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, जशपुर जिले में मिशनरी के प्रभाव से ईसाई जनसंख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। 2011 में जशपुर में ईसाई समुदाय की संख्या 1.89 लाख थी, जो अब 35 प्रतिशत बढ़कर 3 लाख से ऊपर हो चुकी है। एक आरटीआई में मार्च 2024 में यह खुलासा हुआ कि केवल 210 लोग ही कानूनी रूप से ईसाई बने हैं।

कैसे हो रहा है कन्वर्जन

मिशनरी चावल इकठ्ठा करने के लिए धार्मिक कार्यक्रम और हीलिंग मीटिंग्स का आयोजन करती हैं। इकठ्ठा किया गया चावल फिर लोगों को मदद देने और कन्वर्जन को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 2020 में जशपुर के समरबहार गांव में दस लोगों को गिरफ्तार किया गया और उन्होंने "एक मुठ्ठी चावल" योजना के बारे में जानकारी दी।

इसी तरह की जानकारी जनवरी 2024 में जशपुर के जुगुम गांव से पकड़े गए व्यक्तियों ने दी। सरकारी चावल का इस तरह गलत इस्तेमाल दोहरी समस्या पैदा कर रहा है। एक तो यह गरीबों को खाद्य सुरक्षा देने के उद्देश्य को कमजोर करता है और दूसरा यह राज्य में कानून-व्यवस्था को भी प्रभावित करता है। इसे रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि समाज में असमानता और तनाव न बढ़े।

सरकार के संज्ञान में है मामला

प्रदेश के कुछ इलाकों से इस तरह की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। यह मामला सरकार के संज्ञान में है। गरीबों के चावल को कन्वर्जन के कुकर्म में लगाने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी। जांचकर कार्रवाई करेंगे। - दयाल दास बघेल, मंत्री, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग

जल्द कार्रवाई हो

शासन-प्रशासन जल्द से जल्द इस पर कार्रवाई करें, छत्तीसगढ़ में हिन्दू आबादी घट रही है, वो लोग बढ़ रहे हैं। आने वाले दिनों में हालत और खराब होगी। अभी फैसला लेना होगा नहीं तो देर हो जाएगी। - महंत राजीव लोचन दास, अंतरराष्ट्रीय कथावाचक

जल्द कार्रवाई हो नहीं तो सड़कों पर उतरेंगे

सरकारी चावल का इतना घटिया उपयोग और कुछ नहीं हो सकता है। छत्तीसगढ़ में कन्वर्जन का खेल खुलेआम जारी है। सरकार यदि इस पर जल्द से जल्द निर्णय नहीं लेगी तो बजरंग दल सड़कों पर उतरेगा। फिर हम अपनी कार्रवाई अपने हिसाब से करेंगे। - रतन यादव, प्रदेश संयोजक, बजरंग दल

इनके मायाजाल से बचने की जरूरत

ये लोग भोले-भाले हिन्दुओं को बरगलाने के लिए नए-नए तरीके खोजते रहते हैं। दान की परंपरा तो सनातन धर्म की है। ये लोग हमारी ही परंपराओं की चोरी कर हमें ही शिकार बना रहे हैं। जरूरत है तो इनके मायाजाल से बचने की और सरकार की सख्त कार्रवाई की। - ओमेश बिसेन, विश्व हिन्दू परिषद, छत्तीसगढ़

Similar Posts