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Akshaya Tritiya २०२५ 

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Akshaya Tritiya 2025: इस साल कब मनाई जाएगी अक्षय तृतीया? जानिए सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Jagdeesh Kumar
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27 April 2025 10:08 AM IST

हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है। सनातन धर्म में इसे साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है।

हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है। सनातन धर्म में इसे साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले शुभ काम की अक्षय फल प्राप्ति होती है। इस साल अक्षय तृतीया किस दिन है इसे लेकर लोगों में कंफ्यूजन बना हुआ है। तो आइए जानते हैं अक्षय तृतीया की सही तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में...

कब है अक्षय तृतीया?

वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल 2025 को शाम 5:31 से शुरू होकर 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 2:12 पर खत्म होगी। हिंदू धर्म में उदयातिथि का विशेष महत्व होता है इसीलिए अक्षय तृतीया का पूजन 30 अप्रैल को किया जाएगा। अक्षय तृतीया के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है।

सोना खरीदने का शुभ समय

अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का शुभ समय 5:41 से दोपहर 2:12 तक है जबकि पूजा का मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से लेकर दोपहर 12:18 तक है। मान्यता है कि इस दिन खरीदा गया सोना घर में अक्षय लक्ष्मी का वास लाता है इस दिन गरीबों को दान देना भी अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया एक ऐसी तिथि है जिस दिन आप कोई भी शुभ कार्य किसी समय बिना मुहूर्त के भी कर सकते हैं क्योंकि इस दिन अबूझ मुहूर्त रहता है। इस दिन आप किसी नए काम की शुरुआत विवाह मुंडन आदि कर सकते हैं। इस दिन आप अगर सोना खरीदने में सक्षम नहीं हैं तो फिर मिट्टी का मटका या फिर पीतल की वस्तु पीली सरसों भी खरीद सकते हैं। साथ ही इस दिन आप नए मटके की पूजा कर सकते हैं इससे घर में सुख शांति का आगमन होता है।

पौराणिक कथा

मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन सतयुग त्रेता युग और द्वापर युग की शुरुआत हुई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में अवतार लिया था और मां गंगा का धरती पर अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था। यही नहीं चारधाम यात्रा की शुरुआत भी अक्षय तृतीया से ही होती है, जिससे इसका महत्व और अधिक हो जाता है।

अक्षय तृतीया की पूजा विधि

  • सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
  • फिर विष्णु और लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं, पीले फूल चंदन तिल और तुलसी अर्पित करें।
  • गंगाजल अर्पित करें, फिर लक्ष्मी जी को खीर या चने की दाल का भोग लगाएं ।
  • ओम श्री श्रीय नमः मंत्र का जाप करें।
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