< Back
स्वदेश विशेष
इसे माफीनामा नहीं बेशर्मी कहते हैं तांडव के अधर्मियों
स्वदेश विशेष

इसे माफीनामा नहीं बेशर्मी कहते हैं तांडव के अधर्मियों

Swadesh News
|
24 Jan 2021 4:20 PM IST

विवेक पाठक

तांडव वेबसीरीज बनाई गई। भगवान राम और शिव का मजाक बनाकर वेबसीरीज के लिए खुद चाहकर विरोध का वातावरण बनाया गया। ऐसा विरोध जो मीडिया अटैंसन दे जाता है। अब हर कोई उत्सुक है जानने को कि आखिर तांडव का इतना विरोध क्यों हो रहा है। हर कोई विरोध का कारण देखना जानना समझना चाहता है। बस तांडव वेबसीरीज के निर्माताओं ने अपना लक्ष्य पूरा कर लिया है। तांडव का अमेजॉन पर धंधा चल निकला है।

अब दिखावे को माफीनामा के ट्वीट किए जा रहे हैं। वेबसीरीज के पात्र काल्पनिक हैं। अगर किसी को बुरा लगा हो तो हम माफी मांगते हैं। हमारा किसी को दुख या ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था।

अब स्तरहीन सिनेमाई प्रस्तुतिकरण करके माफी इस तरह मानी जाती है तो यह माफीनामा नहीं बेशर्मी कही जाएगी। यह निर्माता की हठधर्मिता है। निर्माता का अहंकार है और हिन्दू प्रतीकों और संस्कृति के प्रति निर्लज्जता के भाव की पराकाष्ठा। क्या तांडव वेबसीरीज को इस विवाद के बिना इतना प्रचार मिल सकता था दोस्तों। क्या यह वेबसीरीज मीडिया में इतने अधिक समय तक खबरेां की सुर्खियां बन सकती थीं। एकदम नहीं। बस यहीं कारण है इन कुत्सित प्रयासों का।

ये सिनेमाई बाजार पिछले काफी समय से निचले स्तर तक गिरता जा रहा है। इसकी कोई सीमा नहीं रह गई है। यहां व्यापार के लिए कई निर्माता और निर्देशक कुछ भी करने को तैयार हैं। वे विवाद के जरिए अपनी फिल्म और वेबसीरीज को जनता के बीच चर्चा में लाना चाहते हैं। किसी भी तरह चर्चा में आना ही उनका मकसद है। वे जानते हैं कि जो चीज चर्चा में आएगी उसको देखने के लिए दर्शकों और सिने प्रेमियों में अव्वल दर्जे की जिज्ञासा जगेगी। उनका प्याल है कि फिल्म या वेबसीरीज का कंटेट अगर नहीं चला तो सवा सौ करोड की जनसंख्या वाले देश में कई करोड़ लोग तो इसलिए ही उनकी सीरीज देखने ओटीटी प्लेटफार्म परचले जाएंगे कि आखिर इतना होहल्ला क्यों हो रहा है। आखिर इसमें ऐसा क्या है। बस आखिर इसमें ऐसा क्या है ये सवाल ही कई घिसे पिटे सिनेकर्म को बिना बात का कारोबारी लाभ ले रहा है।

तांडव भी ऐसा ही प्रयास है। इस वेबसीरीज को चलाने के लिए वही पुराना आइडिया फिर से चलाया गया है। भारत में देवी देवताओं का मजाक बनाकर उन पर सिनेमाई प्रयास लगातार हो रहे हैं। भगवानों को विदूषक की तरह पेश करके उन पर जगहंसाई की जा रही है। करोड़ों लोगों को ऐसा कंटेट दिखाकर हिन्दुत्व पर गहरा हमला किया जा रहा है। आमिर खान ने पीके फिल्म में ऐसा ही किया था और एक बार फिर ऐसा ही तांडव में किया गया है। भगवान राम और भगवान शिव को हास्य का विषय बनाया गया है। नारायण नारायण महामंत्र पर टीका टिप्पणियां की जा रही हैं। ऐसा होता रहा है क्योंकि हिन्दू सहिष्णुता से ऐसा लंबे समय से सहन करते आ रहे हैं लेकिन पिछले कुछ सालों से समय बदला है और इसका तीव्र विरोध हुआ है। ये विरोध धीरे धीरे और मुखर हुआ है लेकिन चालाक निर्देशक हम समाज और धार्मिक जनता की इस सहज प्रतिक्रिया को भी बाजार में बेच रहे हैैं। वे उत्सुकता और जिज्ञासा का वातावरण रचकर अपनी कुत्सित प्रस्तुति किसी तरह सिने बाजार में ठिकाने लगा रहे हैं और जब बात खुद के गले तक आ रही है तो भी गंभीर होकर माफी नहीं मांग रहे। फिर कहना होगा कि अगर माफी मांगने वाले शब्द में यदि और किन्तु परंतु लगाकर बोले जाते हैं तो ये माफीनामा न होकर मजाक हैं। बधाई योगी सरकार आपने सबसे पहले सही क्रोध जाहिर किया है। ऐसे गलत प्रस्तोताओं को कानून के हवाले करके इनके मजाक और उपहास को सबक सिखाने का यह सही वक्त है।

Similar Posts