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उत्तरप्रदेश
निरीक्षण करने न्यायिक जांच आयोग पहुंचा संभल, ASI सर्वे को लेकर भड़की थी हिंसा

Sambhal Jama Masjid Dispute

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जमा मस्जिद विवाद: निरीक्षण करने न्यायिक जांच आयोग पहुंचा संभल, ASI सर्वे को लेकर भड़की थी हिंसा

Gurjeet Kaur
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1 Dec 2024 11:13 AM IST

Sambhal Jama Masjid Dispute : उत्तर प्रदेश। 3 सदस्यीय न्यायिक जांच समिति के सदस्यों ने संभल में उस क्षेत्र का निरीक्षण किया जहां 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद सर्वेक्षण को लेकर हिंसा भड़क गई थी। इस मामले की जांच के लिए योगी सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन किया था। इस आयोग के अध्यक्ष हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं जबकि तीन सदस्यीय आयोग में पूर्व आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं।

रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच न्यायिक जांच आयोग जांच करने पहुंचा। जांच आयोग के साथ एसपी और अन्य प्रशासनिक अमला भी मौजूद था। निरिक्षण के दौरान एसपी ने बताया कि, कहां - कहां से पत्थरबाजी हुई थी। जांच आयोग के सदस्य जामा मस्जिद के अंदर भी निरीक्षण करने पहुंचे हैं।

संभल में हुई हिंसा में 4 लोगों की मौत हुई थी जबकि कई पुलिस वाले घायल हुए थे। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया था। अदालत में इस मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी। निचली अदालत ने संभल में एएसआई सर्वे का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 29 नवंबर को हुई थी। सुनवाई से पहले ही योगी सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन कर दिया था।

हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज डीके अरोड़ा की अध्यक्षता में आयोग का गठन हुआ है। आयोग को हिंसा के कारणों और संबंधित पहलुओं की गहन जांच कर दो महीने में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। इस समिति में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और पूर्व IPS अधिकारी अरविंद कुमार जैन भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट के अलावा संभल हिंसा मामले की जांच की मांग को लेकर हाई कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई थी। इस मामले की जांच की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका में हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में SIT जांच कराने की मांग की गई है। याचिका के माध्यम से फायरिंग, बर्बरता में शामिल पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग भी की गई है। DM, SP के साथ - साथ संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच की मांग भी की गई है। आनंद प्रकाश तिवारी की तरफ से इमरान, विनीत ने याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को निचली अदालत के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करने के लिए कहा था।

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