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संभल में बाहरी लोगों की एंट्री बैन, 4 लोगों की मौत और पुलिस प्रशासन पर हमले के बाद क्षेत्र में पसरा सन्नाटा

संभल जामा मस्जिद विवाद

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संभल जामा मस्जिद विवाद: संभल में बाहरी लोगों की एंट्री बैन, 4 लोगों की मौत और पुलिस प्रशासन पर हमले के बाद क्षेत्र में पसरा सन्नाटा

Gurjeet Kaur
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25 Nov 2024 7:50 AM IST

Sambhal Jama Masjid Dispute : उत्तरप्रदेश। संभल में जामा मस्जिद को लेकर चल रहा विवाद गहराता जा रहा है। यहां 4 लोगों की मौत और पुलिस - प्रशासन पर हमले के बाद बाहरी लोगों की एंट्री बैन कर दी गई है। जामा मस्जिद में एएसआई सर्वे को लेकर विवाद शुरू हुआ था। फिलहाल क्षेत्र में सन्नाटा पसरा है।

संभल जिला मजिस्ट्रेट ने एक अधिसूचना जारी कर किसी भी बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन या जन प्रतिनिधि को अधिकारियों के आदेश के बिना संभल में प्रवेश करने पर रोक लगा दी है।

जानकारी के अनुसार, उपद्रवियों ने 8 वाहन जला दिए हैं। उपद्रवियों के द्वारा किए पथराव में 4 अधिकारी, 20 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। संभल 24 घंटे के लिए इंटरनेट और स्कूल भी बंद है। पुलिस ने करीब 21 दंगाइयों को कस्टडी में लिया है इनमें 2 महिलाएं भी हैं। पुलिस ने घटनास्थल से 5 ट्रॉली पत्थर सड़कों से उठाकर फिंकवाए हैं।

बता दें कि, संभल में पुलिस ने बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी है लेकिन आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने 25 नवंबर को यहां का दौरा करने की घोषणा की है। जहां एक ओर पुलिस का कहना है कि, छत से की गई फायरिंग के चलते चार लोगों की मौत हुई है वहीं चंद्रशेखर आजाद समेत कई लोगों का कहना है कि, चार लोगों की मौत पुलिस द्वारा की गई फायरिंग के कारण हुई है।

संभल विवाद पर चंद्रशेखर आजाद ने कहा -

सरकारी गोलियाँ बहुजनों पर सीधे चलती हैं। यह कोई मिथक नहीं, बल्कि एक कटु सत्य है, जिसे हमसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता। चाहे वह एससी/एसटी आंदोलन हो, किसान आंदोलन हो या सीएए विरोधी आंदोलन—हर बार सरकार के इशारे पर पुलिस ने निहत्थे आंदोलनकारियों पर सीधी गोली चलाकर हमारे लोगों की जान ली है। आज संभल में हुई हिंसा में तीन मुसलमानों की जान गई है। इस घटना में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। मैं जल्द ही घायल पुलिसकर्मियों से मिलकर इस हिंसा की सच्चाई देश के सामने लाने का प्रयास करूंगा। साथ ही, मैं पुलिसकर्मियों को यह याद दिलाना चाहूंगा कि उनकी वर्दी संविधान ने दी है और उन्हें संविधान का ही पालन करना चाहिए, न कि किसी 'ऊपरी आदेश' का।

कल मैं संभल जाऊंगा और इस हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात करूंगा। हम अपने पीड़ित परिवारों को अकेला नही छोड़ेंगे। आगामी संसद सत्र में मैं सरकार की आंखों में आंख डालकर कहूंगा कि हमारे लोगों की जान इतनी सस्ती नहीं है।

साथ ही, मैं संभल के नागरिकों से अपील करता हूं कि शांति बनाए रखें। हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है। हम अपनी लड़ाई लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखेंगे।

यह लड़ाई केवल एक समुदाय की नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों की है। आइए, हम सब मिलकर एकजुट रहें और संविधान के प्रति अपनी आस्था बनाए रखें।

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