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सुपरटेक केस : विजिलेंस ने नोएडा प्राधिकरण के पूर्व अफसरों के खिलाफ दर्ज की FIR
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सुपरटेक केस : विजिलेंस ने नोएडा प्राधिकरण के पूर्व अफसरों के खिलाफ दर्ज की FIR

Web Desk
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7 Oct 2021 9:32 PM IST

एफआईआर में जांच के लिए गठित चार सदस्यीय एसआईटी की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। जिसमें कहा गया है कि प्राधिकरण अधिकारियों और सुपरटेक अफसरों की मिलीभगत के सुबूत मिले हैं।

नोएडा। रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक लिमिटेड और नोएडा प्राधिकरण के भ्रष्ट गठजोड़ से नियमों की धज्जियां उड़ाकर हुए अवैध ट्विन टावर्स निर्माण मामले में विजिलेंस विभाग ने तीस लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। यह एफआईआर वरिष्ठ प्रबन्धक नियोजन, नोएडा की तहरीर पर दर्ज की गई है। विजिलेंस सूत्रों के अनुसार एफआईआर में नोएडा अथॉरिटी के रिटायर्ड अफसरों और सुपरटेक अधिकारियों समेत कुल 30 लोगों को नामजद किया गया है। मामले में ताज़ा कार्रवाई एसआईटी की रिपोर्ट शासन को सौंपे जाने के बाद की गई है।

मामले में ख़ास बात यह है कि एफआईआर में दो पूर्व सीईओ के नाम भी शामिल हैं, जिससे समझा जा सकता है कि भ्रष्टाचार किस कदर गहरा था। अथॉरिटी के पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह व एसके द्विवेदी समेत कुल तीस लोगों के नाम दर्ज केस में शामिल हैं। एफआईआर में जांच के लिए गठित चार सदस्यीय एसआईटी की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। जिसमें कहा गया है कि नोएडा प्राधिकरण के अफसरों और सुपरटेक लिमिटेड के अधिकारियों की मिलीभगत के सुबूत मिले हैं। जांच में पता चला है कि समय समय पर न केवल सुपरटेक लिमिटेड ने नियमों की अनदेखी की बल्कि नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बिल्डर कम्पनी को अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नियम विरुद्घ काम किया गया और आपराधिक कृत्य किया गया।

हाल में सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक लिमिटेड को आवंटित ग्रुप हाउसिंग भूखंड पर बने अवैध टावर संख्या टी-16 तथा टी-17 को ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। साथ ही नोएडा के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए कहा था। प्रकरण में सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर आईआईडीसी संजीव मित्तल की अध्यक्षता में उत्तरदायित्व तय करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया था।

समिति ने 3 अक्तूबर को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी। जिसमें बताया गया कि पूर्व में सुपरटेक की कमियों को लगातार नजरअंदाज किया जाता रहा और अधिकारियों द्वारा अवैधानिक निर्माण कार्य को जारी रखने में स्पष्ट रूप से सहयोगात्मक रुख अपनाया गया। एसआईटी ने इस मामले की विस्तृत जांच किसी एजेंसी द्वारा एफआईआर दर्ज कराकर कराए जाने की सिफारिश की थी। जिसके बाद यह एफआईआर दर्ज की गई है।

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