
विश्व में एकात्मता आज की आवश्यकता, यही है 'वसुधैव कुटुंबकम' का संदेश
|भारत भवन में ब्राज़ील के पद्मश्री जोनास मसेट्टी का हुआ संवाद, बोले
ब्राज़ील के कलाकारों ने भी ‘शिव शम्भो.. शिव शम्भो’ सहित भक्ति पदों का गायन किया।
आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा भारत भवन, भोपाल में ‘एकात्म संवाद’ का आयोजन हुआ। इसमें अद्वैत वेदांत पर एकाग्र विषय पर ब्राज़ील के पद्मश्री आचार्य जोनास मसेट्टी, अद्वैत आश्रम, मायावती के अध्यक्ष स्वामी शुद्धिदानंद एवं प्रसिद्ध युवा कहानीकार विनय लक्ष्मी वाराणसी (बेंगलुरु) ने संवाद किया।
संस्कृति विभाग के अपर मुख्य सचिव शिव शेखर शुक्ला ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कहा कि ओंकारेश्वर में एकात्मता के वैश्विक केंद्र के रूप में एकात्म धाम को विकसित किया जा रहा है।
पद्मश्री जोनास मसेट्टी का संबोधन
पद्मश्री जोनास मसेट्टी ने कहा कि स्वयं को जानने के लिए वेदांत का अध्ययन आवश्यक है। विश्व को एकात्मता के सूत्र में जोड़ने का कार्य आदि शंकराचार्य ने किया। विश्व की समस्त समस्याओं का समाधान अद्वैत वेदांत में निहित है। आध्यात्मिक जीवन जीने की विद्या है। वेदांत एक ऐसा साधन है जो सभी के लिए उपलब्ध है।
सच्चा सुख भीतर से आता है
सच्चा सुख भीतर से आता है, और इसके लिए श्रद्धा की आवश्यकता होती है। आदि शंकराचार्य ने तर्क, कविता, अध्यात्म-इन सबका उपयोग केवल एक ही सत्य 'अद्वैत' को समझाने के लिए किया। हमें तकनीक से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे समझना चाहिए। हर चीज़ के दो पहलू होते हैं-सकारात्मक और नकारात्मक। जब तक मानवता अपने मूल एकात्मता की ओर नहीं लौटती, संघर्ष समाप्त नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने का एकमात्र समाधान अद्वैत है। हमें ऐसा विश्व बनाना होगा जो एकात्म के सिद्धांत से प्रेरित हो। गुरु द्वारा दिया गया ज्ञान केवल शिष्य के मन में ही नहीं, बल्कि सदियों तक गूंजता रहता है और पीढ़ियों को मार्गदर्शन देता है।
उपनिषद हमारे सभी दुःखों का अंत करते हैं
स्वामी शुद्धिदानंद ने कहा कि उपनिषद हमारे सभी दुःखों का अंत करते हैं। आदि शंकराचार्य ने वास्तव में वेदों के उपनिषदिक तात्पर्य को पूरे विश्व के समक्ष स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया। जब तकनीक हमारे कामों को सरल बना देती है, तब हमारे पास अन्य चीजों को जानने और सीखने के लिए अधिक समय होता है। हम पर थोपे गए सभी धारणाओं को हटाकर देखें, तो हम केवल मानव मात्र हैं और अंत में हम सभी शुद्ध चेतना, ब्रह्म ही हैं। हम सभी उसी एक सत्य के विविध रूपों में प्रकट हुई अभिव्यक्तियाँ हैं।
भक्ति पदों का सुमधुर गायन
कार्यक्रम में कर्नाटक के सुप्रसिद्ध गायक राहुल आर. वेल्लाल ने आचार्य शंकर विरचित स्तोत्रों एवं भक्ति पदों का सुमधुर गायन किया। उन्होंने गणेश पंचरत्नम, शिव पंचाक्षर स्तोत्र, शिवाष्टकम्, भवानी अष्टक, भज गोविन्दम, काल भैरवाष्टक का गायन किया। राहुल आर. वेल्लाल कर्नाटक संगीत के विश्वप्रसिद्ध कलाकार हैं। उन्होंने चार वर्ष की आयु में संगीत की यात्रा प्रारंभ की और भारत तथा दस अन्य देशों में प्रस्तुति दी है।
अद्वैत दर्शन में योगदान अत्यंत क्रांतिकारी रहा है। उपनिषद उस विद्या का वर्णन करते हैं, जिसे प्राप्त कर लेने पर समस्त मानवीय दुःखों का अंत हो जाता है। वास्तव में, उपनिषद ही वे ग्रंथ हैं जो सभी प्रकार के दुःखों का निवारण कर सकते हैं। शंकराचार्य ने उपनिषदों के सार को निकाला और उसे व्यवस्थित रूप में सम्पूर्ण विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि आज के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में वास्तविक और आभासी के बीच का अंतर समझ पाना कठिन होता जा रहा है। यह युग मनुष्य के सामने यह प्रश्न खड़ा करता है कि वह अपने जीवन में अर्थ कैसे पाएगा।