मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव के दो वर्ष: जनता के मोहन, भरोसे की सरकार
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मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव के दो वर्ष: जनता के मोहन, भरोसे की सरकार

Swadesh Bhopal
|
12 Dec 2025 11:39 AM IST

नेतृत्व और जनता का रिश्ता

मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दो वर्षों ने एक ऐसे नेतृत्व को उभारकर सामने रखा है, जिसने सत्ता और जनता के बीच की दूरी लगातार कम की है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कार्यकाल केवल प्रशासनिक निर्णयों की श्रृंखला नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी कार्यशैली का उदाहरण है जिसमें शासन की आत्मा जनता की नब्ज से जुड़ी हुई दिखाई देती है। यही कारण है कि उनके दो वर्ष किसी औपचारिक उत्सव का विषय नहीं, बल्कि जनता के भरोसे की एक विस्तारित कहानी की तरह प्रतीत होते हैं।

जनता तक सीधी पहुंच

मुख्यमंत्री बनने के क्षण से ही डॉ. यादव ने स्पष्ट कर दिया था कि सरकार का वास्तविक मूल्यांकन रिपोर्टों से नहीं, बल्कि लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याएँ सुनने और तत्काल समाधान देने से होगा। उनकी राजनीति का केंद्रीय तत्व है जनता तक पहुँच। सत्ता के गलियारों की औपचारिकता से दूर, वे अपने नेतृत्व को गांवों की चौपालों, खेतों की मेड़ों, कस्बों की गलियों, शहरों के बाजारों और अस्पतालों के गलियारों में ढूंढते हैं। इसी कारण उनका जनसंपर्क मात्र दौरा नहीं, बल्कि समस्याओं के समाधान का जीवंत माध्यम बन जाता है।

संवेदनशील निर्णय

इस कार्यकाल की सबसे बड़ी विशेषता शासन के भीतर लाए गए मानवीय ताप में निहित है, जिसमें निर्णयों के पीछे संवेदना प्रमुख आधार होती है। जनता से बातचीत में उनकी भाषा प्रशासनिक आदेशों वाली नहीं, बल्कि परिवार जैसी आत्मीयता लिए होती है। कई अवसरों पर ग्रामीणों और महिलाओं का सहज होकर उनके सामने अपनी बात रखना यह दर्शाता है कि नेतृत्व और जनता के बीच की परंपरागत औपचारिक दूरी धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। यह किसी भी लोकतांत्रिक समाज के लिए शुभ संकेत है।

जनसुनवाई: लोकतंत्र का जीवंत संवाद

डॉ. यादव की जनसुनवाई व्यवस्था ने इसी विचार को और मजबूती दी है। यह केवल शिकायतें सुनने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि शासन का वह आइना है जिसके सामने जनता बिना भय या संकोच के अपनी व्यथा, अपने सुझाव और अपने अधिकार रख पाती है। जनसुनवाई में दिखाई देने वाला उनका धैर्य, संवेदना और समाधान देने की तत्परता तीनों मिलकर एक ऐसी प्रणाली का निर्माण करते हैं जो लोकतंत्र की आत्मा के सबसे निकट खड़ी है। किसी वृद्ध महिला की पेंशन अटकी हो, किसी किसान का मुआवजा लंबित हो, किसी छात्र की फीस की समस्या हो या किसी परिवार को इलाज की आवश्यकता हो, कई मामलों में मुख्यमंत्री वहीं खड़े-खड़े समाधान सुनिश्चित करते हैं। यह तत्परता जनता के मन में गहरी विश्वास रेखा खींचती है कि सरकार सुनती भी है और कार्रवाई भी करती है।

गांवों में सक्रिय नेतृत्व

गाँवों में उनके लगातार भ्रमण को केवल निरीक्षण कहना उचित नहीं होगा। यह प्रदेश की वास्तविकताओं को समझने की यात्रा है, जहाँ फसल, सिंचाई, बीज-खाद, पानी, सड़क, स्कूल और आंगनबाड़ी सहित हर विषय पर वे ग्रामीणों से सीधे संवाद करते हैं। किसी गाँव के खेत में बैठकर किसान से बात करते हुए मुख्यमंत्री का दृश्य प्रशासन की बदलती संवेदना का चित्र बन जाता है। किसान केवल योजनाओं के लाभार्थी नहीं, बल्कि नीति निर्माण के साझेदार बनते हैं। यही कारण है कि ग्रामीण विकास और महिला स्व-सहायता समूहों के क्षेत्र में कई निर्णय जनता की वास्तविक जरूरतों की पृष्ठभूमि में लिए गए हैं।

महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष दृष्टि

जनता तक सीधी पहुंच डॉ. मोहन यादव की सबसे बड़ी विशेषता है। वे लोगों तक जाकर उनकी समस्याएँ सुनते हैं। उनकी भाषा में आदेश नहीं, बल्कि परिवार जैसी आत्मीयता झलकती है। इसी वजह से उनकी लोकप्रियता सत्ता से नहीं, जनता से है।डॉ. यादव की जनसुनवाई केवल शिकायतें दर्ज करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि लोकतंत्र का जीवंत संवाद है। लोग उनसे बिना झिझक अपनी बात कहते हैं और कई मामलों में वहीं खड़े-खड़े समाधान मिल जाता है। तत्काल निदान की इस शैली ने शासन में विश्वास और पारदर्शिता दोनों बढ़ाए हैं, जिससे जनता को महसूस होता है कि सरकार वास्तव में उनकी है।

संकट में हमेशा साथ

मुख्यमंत्री हर संकट में तुरंत सक्रिय होकर जनता के साथ खड़े नजर आते हैं। उनकी उपस्थिति जनता में आत्मविश्वास जगाती है। वे केवल आदेश नहीं देते, बल्कि पीड़ितों के बीच खड़े होकर उनकी पीड़ा समझते हैं। यही मानवीयता उनके नेतृत्व की पहचान बन गई है।

शहरों में भी उनकी उपस्थिति उतनी ही सक्रिय दिखाई देती है। अस्पतालों में इलाज की स्थिति, फ्लायओवरों की प्रगति, बाजारों में व्यापारियों की समस्याएँ, ट्रैफिक प्रबंधन और सफाई व्यवस्था-इन सभी पर मुख्यमंत्री का प्रत्यक्ष निरीक्षण प्रशासनिक तंत्र में गति लाता है। उनकी शैली आदेश देने की नहीं, बल्कि समझने और सुधारने की है। कई बार बिना पूर्व सूचना के स्कूलों, अस्पतालों या निर्माण स्थलों पर पहुँच जाना यह दर्शाता है कि शासन केवल कागज पर नहीं, जमीन पर भी सजग है।

दो वर्षों की सबसे बड़ी उपलब्धि

इन दो वर्षों में प्रदेश ने कई संकट की घड़ियाँ देखीं-दुर्घटनाएँ, बारिश और प्राकृतिक आपदाएँ, आगजनी, बीमारियों का अचानक फैलाव। किन्तु इन परिस्थितियों ने बार-बार यह सिद्ध किया कि मुख्यमंत्री का नेतृत्व संवेदनशील और सक्रिय दोनों है। संकट चाहे कितना गंभीर क्यों न हो, उनके त्वरित निर्देश, प्रशासन की तीव्र गतिशीलता और पीड़ितों के बीच उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति जनता को मनोबल देती है। किसी घायल के सिरहाने खड़े होकर उनका सांत्वना देना, किसानों के खेतों में फसल नुकसान का स्वयं निरीक्षण करना, या प्रभावित परिवारों को तत्काल आर्थिक और चिकित्सीय सहायता सुनिश्चित करना-यह सब उन्हें एक मानवीय नेता के रूप में स्थापित करता है।

महिलाओं और युवाओं के लिए उनकी दृष्टि विशेष रूप से उल्लेखनीय है। लाड़ली बहना योजना को उन्होंने जिस संवेदना और विस्तार के साथ आगे बढ़ाया, उसने न केवल आर्थिक सहायता दी बल्कि महिलाओं को सामाजिक आत्मविश्वास भी प्रदान किया। उनके लिए महिलाएँ किसी योजना की 'लाभार्थी' नहीं, बल्कि परिवार और समाज की सांस्कृतिक शक्ति हैं। यही दृष्टिकोण युवाओं के लिए भी दिखाई देता है-चाहे खेल हो, शिक्षा हो या स्टार्टअप। वे हर मंच पर युवाओं से संवाद करते हैं और उन्हें राज्य की उभरती संभावनाओं का हिस्सा बनाते हैं।

इन दो वर्षों की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि मध्यप्रदेश में शासन अब केवल आदेशों की व्यवस्था नहीं रह गया है, बल्कि संवाद, संवेदना और भागीदारी की प्रक्रिया बन गया है। मुख्यमंत्री की कार्यशैली ने यह स्पष्ट कर दिया कि विकास केवल योजनाओं के आँकड़ों से नहीं, बल्कि जनता के विश्वास से मापा जाना चाहिए। और इस विश्वास का निर्माण किसी भी प्रशासन की सर्वोच्च उपलब्धि है।

डॉ. मोहन यादव के दो वर्ष यह संदेश देते हैं कि यदि शासन जनता तक पहुँचे, उसकी आवाज सुने, उनकी पीड़ा समझे और उसके समाधान में तत्परता दिखाए, तो राज्य केवल आगे नहीं बढ़ता, बल्कि एक परिवार की तरह मजबूत होता है। जनता उन्हें केवल मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखती, बल्कि उस साथी, उस भाई और उस संरक्षक के रूप में देखती है जो हर परिस्थिति में साथ खड़ा होता है।

आज जब मध्यप्रदेश इन दो वर्षों का लेखा-जोखा देखता है, तो यह स्पष्ट दिखाई देता है कि यह यात्रा विकास की योजनाओं से अधिक, विश्वास के विस्तार की यात्रा रही है। मुख्यमंत्री का यह कार्यकाल यह साबित करता है कि नेतृत्व का असली अर्थ व्यवस्था में मानवीयता, संवाद और संवेदना का समावेश है। यही वह नया अध्याय है, जिसे जनता इन दो वर्षों में महसूस कर रही है-एक भरोसेमंद, जमीन से जुड़ा और अत्यंत मानवीय नेतृत्व।

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