
पंचायत सचिवों की भर्ती प्रक्रिया में प्रदेश सरकार का बड़ा बदलाव
|तीन स्तरीय वेतनमान, कड़े चयन मानदंड और जिला संवर्ग की व्यवस्था लागू की
प्रदेश में पंचायत सचिवों की भर्ती प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से सरकार ने बड़ा बदलाव किया है। अब पंचायत सचिवों की नियुक्ति कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से की जाएगी। इसके लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मप्र पंचायत सेवा नियम 2025 जारी कर दिए हैं। नियमों को राजपत्र में प्रकाशित कर 30 दिन के भीतर आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए गए हैं, जिसके बाद इन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा।
नई नियमावली का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि प्रत्येक आरक्षित श्रेणी में 50 प्रतिशत पद ग्राम रोजगार सहायकों के लिए सुरक्षित रहेंगे। हालांकि, रोजगार सहायकों को भी अन्य अभ्यर्थियों की तरह चयन मंडल द्वारा आयोजित पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। भर्ती जिला संवर्ग में होगी और सभी प्रक्रियाओं में आरक्षण नियमों का पालन अनिवार्य होगा।
तीन स्तरीय वेतनमान की व्यवस्था
सरकार ने पंचायत सचिवों के लिए तीन स्तर का वेतनमान निर्धारित किया है:
पहले दो वर्ष: 10,000 रुपये निश्चित मानदेय
दो वर्ष बाद: सातवें वेतनमान के अनुसार 19,500-62,200
दस वर्ष की सेवा के बाद: 23,500-80,500
दूसरा और तीसरा वेतनमान समिति की अनुशंसा पर निर्भर करेगा, जिसकी बैठक हर वर्ष दिसंबर में आयोजित होगी। शैक्षणिक योग्यता में स्नातक उपाधि, कंप्यूटर दक्षता और हायर सेकंडरी आवश्यक है। सामान्य अभ्यर्थियों के लिए आयु सीमा 21-35 वर्ष है, जबकि रोजगार सहायक कोटे के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु 50 वर्ष रखी गई है।
सचिवों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष तय
सचिवों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष तय की गई है। त्यागपत्र देने की स्थिति में एक माह पूर्व सूचना देना या एक माह का वेतन जमा करना अनिवार्य होगा। प्रत्येक सचिव का वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन (एसीआर) भी तैयार किया जाएगा।वर्तमान में प्रदेश में पंचायत सचिवों की संख्या 23,011 है, जो ग्राम पंचायतों की संख्या के बराबर है।
भर्ती प्रक्रिया का पूरा ढांचा
संचालनालय हर वर्ष 15 जनवरी तक जिलों से प्राप्त रिक्त पदों की जानकारी कर्मचारी चयन मंडल को भेजेगा। चयन मंडल पात्रता परीक्षा आयोजित कर जिला एवं श्रेणीवार योग्यता सूची तैयार करेगा। रिक्त पदों के 15 प्रतिशत अतिरिक्त उम्मीदवारों की प्रतीक्षा सूची भी बनाई जाएगी। समान अंक प्राप्त होने पर प्राथमिकता आयु अधिक होने और कंप्यूटर दक्षता परीक्षा (सीपीसीटी) में अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को दी जाएगी। किसी भी पंचायत सचिव को उसकी गृह पंचायत में पदस्थ नहीं किया जाएगा। नियुक्ति का अंतिम प्राधिकारी जिला पंचायत का मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) होगा।