मध्यप्रदेश
मेले में 1982 में शुरू हुई बाल रेल 10 साल से नहीं चली, अब मेले ने रेलवे से मांगी अपनी जमीन
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मेले में 1982 में शुरू हुई बाल रेल 10 साल से नहीं चली, अब मेले ने रेलवे से मांगी अपनी जमीन

Swadesh Bhopal
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24 Nov 2025 9:12 AM IST

ग्वालियर व्यापार मेला धीरे-धीरे अपनी पहचान खोता जा रहा है। एक समय था जब ग्वालियर व्यापार मेला हर साल लाखों सैलानियों को आकर्षित करता था, लेकिन अब यह मेला केवल औपचारिकता तक सीमित होता जा रहा है।

पिछले दस वर्षों से एक ऐसा आकर्षण लगातार गायब है, जिसका इंतजार न केवल बच्चे बल्कि बड़े भी किया करते थे-वह थी बाल रेल। वर्ष 2014-15 में हुए दर्दनाक हादसे के बाद से आज तक बाल रेल का संचालन दोबारा शुरू नहीं हो पाया है। उधर, जिस स्थान पर बाल रेल चलती थी, उस जगह को मेला प्राधिकरण ने रेलवे से वापस मांगने के लिए पत्र भी लिख दिया है।

दरअसल, 2014-15 में व्यापार मेले में बाल रेल की यात्रा के दौरान एक मासूम की मौत हो गई थी। यह दुर्घटना बाल रेल के ट्रैक पर अचानक फिसलकर बच्चे के चढ़ जाने और इंजन से कुचल जाने के कारण हुई थी। हादसा इतना गंभीर था कि उसी वर्ष रेलवे प्रशासन ने अगले ही दिन बाल रेल का संचालन तत्काल बंद कर दिया। तभी से यह निर्णय प्रभावी है और पिछले दस वर्षों में एक भी बार बाल रेल को दोबारा नहीं चलाया गया।

दुकानों के लिए अब 26 नवंबर तक करें आवेदन

ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण ने शेष दुकानों के लिए आवेदन करने और किराया जमा करने हेतु व्यापारियों को 24 से 26 नवंबर तक का समय दिया है। उल्लेखनीय है कि दुकानों के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 21 नवंबर थी, जिसे अब बढ़ा दिया गया है। अब तक मेले में 1904 दुकानदारों द्वारा ऑनलाइन आवेदन किए जा चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि व्यापारियों की विशेष मांग पर संभागीय आयुक्त मनोज खत्री ने 24 से 26 नवंबर तक एमपी ऑनलाइन पर आवेदन करने की अनुमति प्रदान की है। निर्धारित तिथि के बाद कोई भी आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा।

बाल रेल का पूरा सिस्टम-इंजन, कोच, ट्रैक, सिग्नल और स्टेशन सेटअप-पिछले दस वर्षों से बंद पड़ा है। कई बार मेला समिति ने सुझाव दिया कि रेलवे चाहे तो बाल रेल को नए स्वरूप में पुनः शुरू कर सकता है, लेकिन झांसी मंडल से कोई औपचारिक स्वीकृति नहीं मिल पाई। मेले में घूमने आने वाले परिवार आज भी बाल रेल के पुराने दिनों को याद करते हुए अफसोस जताते हैं। बच्चों के लिए यह केवल मनोरंजन नहीं था, बल्कि एक छोटा-सा रोमांच भी था। बाल रेल की गैरमौजूदगी आज भी मेले में एक बड़ी कमी महसूस कराती है।

बाल रेल का इतिहास पुराना है

मेले में बाल रेल का इतिहास काफी पुराना और गौरवपूर्ण रहा है। इसका शुभारंभ वर्ष 1982 में हुआ था और शुरू से ही यह मेले के सैलानियों के लिए सबसे आकर्षक गतिविधियों में से एक रही। छोटी रेल के डिब्बे, सजाए हुए ट्रैक और ट्रेन की सीटी की आवाज मेले के वातावरण में एक अलग ही उत्साह भर देती थी। विशेषकर बच्चे बाल रेल को लेकर इतने उत्साहित रहते थे कि कई बार मेले में आने की उनकी पहली वजह यही छोटी रेल होती थी।

हर साल ग्वालियर व्यापार मेला शुरू होने से पहले मेला प्राधिकरण और शहर के जनप्रतिनिधि रेलवे अधिकारियों से बाल रेल दोबारा शुरू करने का आग्रह करते रहे हैं, लेकिन अब तक इसका संचालन शुरू नहीं हो पाया है।

ऑफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन करती थी संचालन

झांसी मंडल के डीआरएम कार्यालय के अधीन ऑफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन बाल रेल का संचालन करती थी, लेकिन हादसे के बाद इस एसोसिएशन ने भी जिम्मेदारी उठाने से इनकार कर दिया। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा मानकों के अनुरूप इसे दोबारा शुरू करने के लिए जिस स्तर के तकनीकी सुधार और निगरानी की आवश्यकता है, वह इस समय उपलब्ध नहीं है।

इनका कहना है

“हमने रेलवे से अपनी जमीन का आधिपत्य लेने के लिए पत्र लिखा है, क्योंकि वर्तमान में हमारी जमीन अभी रेलवे के पास है।”

- सुनील त्रिपाठी, सचिव, ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण

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