मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश में 2.49 लाख से अधिक शस्त्र लाइसेंस अवैध!
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मध्यप्रदेश में 2.49 लाख से अधिक शस्त्र लाइसेंस अवैध!

Swadesh Bhopal
|
25 Nov 2025 11:44 AM IST

प्रदेश में नहीं हो रहा शस्त्र अधिनियम-2016 का पालन

यह खबर बेहद चौंकाने वाली है कि मध्यप्रदेश में लगभग 2 लाख 49 हजार शस्त्र लाइसेंस अवैध हैं। शस्त्र अधिनियम 2016 के तहत इतनी बड़ी संख्या में शस्त्रों के विशिष्ट पहचान नंबर (यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर–UIN) ही जारी नहीं किए गए हैं। अधिनियम 2016 के मुताबिक जिन शस्त्रों पर 18 अंकों का UIN नंबर नहीं है, वे अवैध शस्त्र की श्रेणी में आते हैं। सबसे अधिक करीब 19 हजार अवैध शस्त्र अकेले भिंड जिले में हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शस्त्र और शस्त्रधारियों से संबंधित जानकारी का डेटा संग्रहित करने के लिए वर्ष 2014 में विशिष्ट पहचान नंबर (UIN) जारी करने की प्रक्रिया शुरू की थी। बाद में शस्त्र अधिनियम 2016 में यह प्रावधान किया गया कि निर्धारित तिथि के बाद बिना UIN वाले शस्त्र वैध नहीं माने जाएंगे। इसके बाद भी केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से राज्यों को UIN जारी करने के निर्देश नियमित रूप से दिए जाते रहे हैं।

शस्त्र लाइसेंस को UIN देने का काम जिला कलेक्टर कार्यालयों में लाइसेंस शाखा द्वारा किया जाता है। जिलों में नए शस्त्र लाइसेंस जारी करने और नवीनीकरण का काम तो नियमित रूप से होता है, लेकिन शस्त्रों को 18 अंकों का UIN जारी नहीं किया जाता। इसी वजह से मध्यप्रदेश इस प्रक्रिया में पिछड़ रहा है।

किस जिले में कितने शस्त्र अवैध

प्रदेश में सबसे ज्यादा शस्त्र लाइसेंस भिंड जिले में हैं। भिंड में हथियारों की दुकानें भी सबसे अधिक हैं। भिंड में 19 हजार से ज्यादा शस्त्र बिना UIN के हैं। ग्वालियर में करीब 16 हजार, मुरैना में 12 हजार, शिवपुरी में 9 हजार से अधिक, छतरपुर में 11 हजार, दतिया में लगभग 8 हजार, गुना में 6 हजार, श्योपुर में 5 हजार से अधिक शस्त्रों पर UIN नहीं है।

ग्वालियर-चंबल अंचल में ही लगभग 76 हजार शस्त्र लाइसेंसों पर UIN नहीं है।

इसी तरह भोपाल में 13 हजार, इंदौर में 12 हजार, रीवा में 15 हजार, सागर में 13 हजार, दमोह में 7 हजार, टीकमगढ़ में 6 हजार, सतना में 6 हजार से ज्यादा, और जबलपुर में 8 हजार से अधिक शस्त्र लाइसेंस बिना UIN के हैं।निमाड़ी, पांढुर्ना, मैहर और मऊगंज में सबसे कम संख्या में ऐसे शस्त्र हैं जिनके UIN नंबर नहीं हैं।

क्या कहता है नियम

गृह मंत्रालय ने 24 जुलाई 2012 को अधिसूचना जारी कर सभी लाइसेंसिंग प्राधिकारियों को एक प्रणाली—जिसे बाद में राष्ट्रीय शस्त्र लाइसेंस डाटाबेस (NDAL) नाम दिया गया—में डेटा दर्ज करने के निर्देश दिए, ताकि UIN तैयार किया जा सके।शस्त्र नियम 2016 के तहत सभी मौजूदा और नए लाइसेंसधारियों के लिए UIN अनिवार्य कर दिया गया। नियम 15 के अनुसार बिना UIN वाले लाइसेंस अवैध माने जाते हैं।लाइसेंसधारियों को अपने संबंधित लाइसेंसिंग प्राधिकारी (जिलाधीश या पुलिस आयुक्त) के कार्यालय से यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी जानकारी NDAL प्रणाली में दर्ज है और उनके लाइसेंस पर 18 अंकों का UIN अंकित किया गया है।

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