मध्यप्रदेश
नगर निगम का फेस अटेंडेंस सिस्टम फेल, पंजीयन 16 हजार कर्मियों का, 2500 लगा रहे हाजिरी
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नगर निगम का फेस अटेंडेंस सिस्टम फेल, पंजीयन 16 हजार कर्मियों का, 2500 लगा रहे हाजिरी

Swadesh Bhopal
|
22 Nov 2025 10:56 AM IST

नगर निगम में शुरू हुआ फेस अटेंडेंस सिस्टम फेल नज़र आ रहा है। लगभग 80 फ़ीसदी कर्मचारी इस सिस्टम पर उपस्थिति नहीं लगा रहे हैं। वर्तमान में रोज़ाना केवल 2500 कर्मचारी ही उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं, जबकि इसमें 16 हजार कर्मियों का पंजीयन है। ऐसे में खुद निगम प्रशासन तय नहीं कर पा रहा है कि रोज़ अनुपस्थित दिखने वाले ये कर्मचारी वास्तव में ड्यूटी पर नहीं आ रहे, या फिर कहीं और तैनात रहते हैं।

नियमों के मुताबिक कर्मचारियों को अपने कार्यस्थल के 50 मीटर के दायरे में फेस अटेंडेंस लगाना अनिवार्य है, लेकिन बड़ी संख्या में कर्मचारी उसी दायरे में मौजूद होने के बावजूद हाज़िरी दर्ज नहीं करवा रहे हैं। निगम अधिकारियों का कहना है कि कई मामलों में कर्मचारी अपने काम पर आते हैं, लेकिन जानबूझकर अटेंडेंस नहीं लगाते, ताकि बाद में वेतन कटने पर विवाद खड़ा किया जा सके।

नहीं हो रही 100 फ़ीसदी उपस्थिति

पिछले दिनों दर्जनों दैनिक वेतनभोगियों का 15 दिन का वेतन काट लिया गया है। कर्मचारियों में नाराज़गी बढ़ने लगी, जिसके बाद प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए 100 प्रतिशत उपस्थिति देने का आदेश दिया। इसके बावजूद उपस्थिति पूरी नहीं हो पा रही है।बताया गया कि सैकड़ों कर्मचारी मूल कार्यस्थल से हटाकर मंत्रियों, विधायकों और वरिष्ठ अधिकारियों के सरकारी आवासों पर घरेलू व अन्य कामों के लिए तैनात कर दिए गए हैं। ऐसे कर्मचारियों की लोकेशन कार्यस्थल से बाहर रहती है, जिसे फेस अटेंडेंस सिस्टम स्वतः अनुपस्थित मान लेता है।

16,600 कर्मचारियों में से 12,400 अस्थायी

नगर निगम में कुल 16,600 से अधिक कर्मचारी हैं, जिनमें 12,400 अस्थायी कर्मचारी (29 दिन, 89 दिन और अनुबंध वाले) तथा 4,200 स्थायी कर्मचारी शामिल हैं। आईटी सेल ने इन सभी का पंजीकरण किया है। सबसे ज़्यादा अनियमितता अस्थायी कर्मचारियों में पाई जा रही है।

इनका कहना है…

नगर निगम के फेस अटेंडेंस सिस्टम में अभी पंजीयन की तुलना में उपस्थिति कम है। दरअसल निगम के बड़ी संख्या में कर्मचारी–अधिकारी चुनाव आयोग के एसआईआर कार्य में लगे हैं। ये सभी फील्ड में रहते हैं। इस वजह से शत–प्रतिशत उपस्थिति नहीं लग पा रही है। जल्द ही यह व्यवस्था सुधर जाएगी।

- प्रेम शंकर शुक्ला, पीआरओ, नगर निगम भोपाल

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