
बिहार में एक सीट भी नहीं जिता पाए मध्यप्रदेश कांग्रेस के धुरंधर
|दिग्विजय और पटवारी थे स्टार प्रचारक, अन्य नेताओं ने किया था प्रचार
बिहार विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक परिणाम आए हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को एकतरफा बहुमत मिला है। 243 विधानसभा सीटों वाले बिहार में एनडीए को 200 से अधिक सीटों पर जीत मिली है। खास बात यह है कि बिहार चुनाव में मध्यप्रदेश से दोनों प्रमुख दल, कांग्रेस और भाजपा, के नेताओं ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली। भाजपा नेताओं ने जिन सीटों पर प्रचार और प्रबंधन का काम संभाला, उनमें से लगभग सभी सीटों पर एनडीए प्रत्याशी को जीत मिली। वहीं, मध्यप्रदेश कांग्रेस के किसी नेता ने बिहार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती।
दिग्विजय और पटवारी स्टार प्रचारक
कांग्रेस नेतृत्व ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में मध्यप्रदेश से दो नेता, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, को शामिल किया। इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार समेत एक दर्जन से अधिक अन्य नेताओं ने बिहार में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया। इनमें विधायक एवं किसान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष दिनेश गुर्जर, महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष विभा पटेल, कार्यकारी अध्यक्ष और कांग्रेस की अन्य इकाईयों के नेता शामिल थे। हालांकि, इनमें से कोई भी नेता बिहार में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं बनवा पाया।
बिहार चुनाव में दोनों स्टार प्रचारक खुद हारे
कांग्रेस नेतृत्व ने मध्यप्रदेश से जिन दो नेताओं को स्टार प्रचारकों में शामिल किया था, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, वे दोनों ही मध्यप्रदेश में खुद चुनाव हार गए थे। 2023 के विधानसभा चुनाव में जीतू पटवारी इंदौर जिले की राऊ सीट से भाजपा के मधु वर्मा से 35,522 वोटों से हार गए थे। जबकि दिग्विजय सिंह 2024 के लोकसभा चुनाव में राजगढ़ सीट से भाजपा के रोडमल नागर से 1,46,089 वोटों से चुनाव हारे थे।
परिणामों को लिए SIR जिम्मेदार-दिग्विजय
परिणाम को लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के किसी पदाधिकारी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने चुनाव परिणाम के लिए एसआईआर को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि “जो मेरा शक था, वही हुआ।”
कांग्रेस को संगठन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत: दिग्विजय सिंह
बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि “जो मेरा शक था वही हुआ। 1.62 करोड़ वोट कटे, 20 लाख वोट जुड़े, उसमें से 5 लाख वोट बिना स्कूफॉर्म भरे बड़े गए। अधिकांश वोट गरीबों, दलितों और अल्पसंख्यक वर्ग से कटे। ईवीएम पर भी शंका बनी हुई है। कांग्रेस नेतृत्व को अपने संगठन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। आज का चुनाव मतदान केंद्र पर सघन जनसंपर्क का है, न कि रैली और जनसभा का। विजयी प्रत्याशियों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।”
14 नवंबर को मतगणना से पहले दिग्विजय सिंह ने कहा था कि “बिहार चुनाव में एक तरफ डबल इंजन की सरकार द्वारा जनता से लिया गया टैक्स और उसी को बांटने के लिए अपार धन है। बिहार व केंद्र सरकार का प्रशासन तंत्र, केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्यों से बुलाए गए पुलिस फोर्स और चुनाव आयोग की सहायता प्राप्त करता है। दूसरी तरफ बिहार की जनता, विशेषकर युवा, का जनसैलाब है। देखते हैं कौन जीतता है। जय सिया राम।”
घोषित परिणामों के अनुसार, बिहार में कांग्रेस को केवल 5 सीटों पर जीत मिली है, जो कि 2020 के चुनाव परिणाम की तुलना में 14 सीटें कम हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बिहार में 19 सीटों पर जीत मिली थी, इस बार यह संख्या केवल 5 पर सिमट गई है।