मध्यप्रदेश
जीवाजी विवि: 7 साल में नहीं खरीदे 8 करोड़ के उपकरण, अब लैप्स होगी राशि
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जीवाजी विवि: 7 साल में नहीं खरीदे 8 करोड़ के उपकरण, अब लैप्स होगी राशि

Swadesh Bhopal
|
23 Nov 2025 10:52 AM IST

उपकरण समय पर आते तो विद्यार्थियों को शोध में होता फायदा

जीवाजी विश्वविद्यालय की सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) योजना फाइलों में अटकी रह गई है। 2018 में विश्वविद्यालय के 8 विभागों को उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) के रूप में विकसित करने के लिए 16 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी, लेकिन 7 साल बाद भी 8 करोड़ के उपकरण अभी तक नहीं खरीदे जा सके। इसकी वजह अधिकारियों द्वारा कभी टेंडर में देरी और कभी टेंडर के बाद कंपनियों का अनुपस्थित रहना रही है।इस योजना के तहत ऐसे उपकरण विश्वविद्यालय में आना थे, जिन पर प्रयोग करने के लिए विद्यार्थी अब अन्य संस्थानों में जाना पड़ता है। अगर यह उपकरण समय पर आ जाते तो विद्यार्थियों को शोध कार्य में फायदा होता। अब इस राशि के लैप्स होने का खतरा बढ़ गया है।

विश्वविद्यालय में यह उपकरण आना थे लेकिन नहीं आ पाए

माइक्रो एरे सिस्टम, एटॉमिक एब्जॉरप्शन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, सीएचएन एनालाइजर, बायोसेफ्टी कैबिनेट, पियर कर्टनजैल डॉक्यूमेंटेशन सिस्टम, एयरोसोल मास मॉनीटर, आरटी पीसीआर, गैस क्रोमेटोग्राफी, हाई परफॉरमेंस कम्प्यूटिंग सेम-एडक्स, एडवांस और अपडेटेड वर्जन ऑफ बीईटी, एडवांस और अपडेटेड साइक्लिक, वॉल्टामेट्री, पर्ल्सड फॉरियर ट्रांसफॉर्म एनएमआर स्पेक्ट्रोमीटर, हाई रिज़ॉल्यूशन डीएसएलआर कैमरा, हाई रिज़ॉल्यूशन वीडियो कैमरा, ऑल इन वन कंप्यूटर,ऑल इन वन लैपटॉप.

2018 में शुरू हुई थी योजना, 8 विभागों को बनाना था एक्सीलेंस

जीवाजी विश्वविद्यालय के 8 विभागों-जूलॉजी, केमिस्ट्री, फिजिक्स, बायोकेमिस्ट्री, लाइब्रेरी साइंस, कॉमर्स एंड मैनेजमेंट, आर्कियोलॉजी और बॉटनी—को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाना था। इसके लिए विश्वविद्यालय से ही प्रस्ताव भेजे गए थे और उपकरण भी विश्वविद्यालय की ओर से तय किए गए थे। इसके बावजूद उपकरणों की खरीदी नहीं हो सकी।

इन्हीं वजहों से नहीं आ पाए उपकरण

योजना की ग्रांट मिलने के बाद उपकरण खरीदने के लिए टेंडर किए जाने थे, लेकिन टेंडर लंबे समय तक नहीं किए गए। इस दौरान उपकरणों के दाम बढ़ गए। जब टेंडर जारी किए गए, तो कंपनियों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। इसके कारण दो बार उच्च शिक्षा विभाग ने योजना का समय बढ़ाया, लेकिन इसका लाभ विश्वविद्यालय नहीं उठा पाया। अब मार्च 2025 में यह समय भी बीत गया है, जिससे इस राशि के लैप्स होने की आशंका बन गई है।

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