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मध्यप्रदेश
आगरा-मुंबई नेशनल हाइवे के गणेश घाट खंड की जर्जर हालत पर जीतू पटवारी ने सरकार को घेरा

आगरा-मुंबई नेशनल हाइवे के गणेश घाट खंड की जर्जर हालत पर जीतू पटवारी ने सरकार को घेरा

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क्या गड्ढों की कीमत 109 करोड़ हो गई: आगरा-मुंबई नेशनल हाइवे के गणेश घाट खंड की जर्जर हालत पर जीतू पटवारी ने सरकार को घेरा

Gurjeet Kaur
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15 July 2025 12:31 PM IST

मध्यप्रदेश। आगरा-मुंबई नेशनल हाईवे के गणेश घाट खंड की जर्जर हालत देख हर कोई हैरान है। मात्र 6 महीने पहले बने इस 9 किलोमीटर बने गणेश घाट पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि, 'क्या गड्ढों की कीमत अब 109 करोड़ हो गई है?' उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखते हुए गणेश घाट की तत्काल मरम्मत करने की मांग रखी है।

दरअसल, मध्यप्रदेश में आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-3) के इंदौर-खलघाट खंड पर स्थित गणेश घाट के रीअलाइनमेंट हिस्से की हालत अत्यंत चिंताजनक है। इस खंड का निर्माण कार्य नवंबर 2024 में 109 करोड़ रुपए की लागत से पूरा हुआ था। इसकी लंबाई 8.8 किमी तथा चौड़ाई 10.3 मीटर है और अब महज 6 इंच बारिश में ही पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है।

इस पर सैकड़ों गहरे गड्ढे बन गए हैं, जिनमें से कई इतने बड़े हैं कि पूरी कार समा सकती है। जीतू पटवारी ने कहा कि, 'यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) जैसी प्रतिष्ठित संस्था इस पर यह दलील दे रही है कि "पहली बारिश में गड्ढे तो होंगे ही"। यह दलील उस समय और भी हास्यास्पद लगती है, जब कुछ समय पूर्व इंदौर में जानलेवा ट्रैफिक जाम के बाद NHAI ने कोर्ट में यह दलील दी थी कि "लोग घरों से निकलते ही क्यों हैं?" यह दर्शाता है कि आम जनता की सुरक्षा और सुविधा को लेकर उनकी क्या प्राथमिकता है।'

नितिन गडकरी को भेजे गए पत्र में जीतू पटवारी ने कहा - गणेश घाट के इस जर्जर खंड पर चलने वाले बस और ट्रक चालकों ने बताया है कि गड्डों के कारण आगे चल रहे वाहनों को अचानक ब्रेक लगाने पड़ते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का गंभीर अंदेशा बना रहता है। कुछ स्थानों पर तो पैचवर्क की सामग्री भी पूरी तरह बिखर गई है, जिससे दोपहिया वाहन चालकों के फिसलने का खतरा और बढ़ गया है।

गौरतलब है कि, इस नए अलाइनमेंट पर प्रतिदिन 25 से 30 हजार वाहनों का एकतरफा ट्रैफिक रहता है, और इन गड्डों के कारण वाहनों को इस 8.8 किमी के खंड को पार करने में 30 से 45 मिनट का अतिरिक्त समय लग रहा है।

निर्माण कंपनी को 5 साल तक इसका रखरखाव करना है लेकिन रखरखाव के तहत किए गए पैचवर्क की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है। पटवारी ने कहा कि, यह स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला प्रतीत होता है, जहां जनता के करोड़ों रुपये खराब गुणवत्ता वाले निर्माण पर व्यय कर दिए गए हैं।

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