
बड़ी बहन ने भाई को दिया दूसरा जीवन, एम्स भोपाल में सफल किडनी ट्रांसप्लांट
|बेकाबू ब्लड प्रेशर से खराब हो रही किडनी, 7 दिन में 2 युवाओं की एम्स में बदली
तेज रफ्तार जिंदगी और अनियमित दिनचर्या अब युवाओं की किडनी पर हमला कर रही है। एम्स भोपाल में बीते एक सप्ताह में दो युवाओं का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ।
एम्स में 2 युवाओं की किडनी ट्रांसप्लांट
एक को ब्रेन डेड मरीज की किडनी से नई जिंदगी मिली, जबकि दूसरे को उसकी बहन ने किडनी देकर मौत के मुंह से खींच लिया। दोनों मरीज 35 वर्ष से कम उम्र के थे और दोनों की किडनी फेल होने का कारण अनकंट्रोल ब्लड प्रेशर था। डॉक्टरों का कहना है कि बदलती लाइफस्टाइल और बढ़ते स्ट्रेस के चलते युवा अब हार्ट नहीं, किडनी डिजीज के मरीज तेजी से बन रहे हैं। एम्स भोपाल में हाल ही में दो ऐसे किडनी ट्रांसप्लांट किए गए जो न केवल चिकित्सकीय दृष्टि से अहम हैं, बल्कि स्वास्थ्य जागरूकता के लिहाज से भी एक चेतावनी हैं। एक ट्रांसप्लांट रविवार को और दूसरा मंगलवार को हुआ। दोनों ही मरीज 30 से 32 वर्ष की उम्र के युवा थे।
7 दिन में ही घर लौट रहा मरीज
7 दिन में ही घर लौट रहा मरीजः पहले केस में 30 वर्षीय युवक, जो एक निजी कंपनी में काम करता था, लंबे समय सेहाइपरटेंशन से जूझ रहा था। इलाज और जीवनशैली सुधार के बावजूद उसका ब्लड प्रेशर नियंत्रण में नहीं आ पाया और धीरे-धीरे दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया। वह पिछले एक साल से डायलिसिस पर था। पिछले हफ्ते, एम्स में जब एक बेन डेड मरीज के अंगदान की प्रक्रिया हुई तो उसे उसी दाता की एक किडनी मिली। सर्जरी सफल रही और अब युवक खुद से खाना खाने और चलने-फिरने लगा है। डॉक्टरों ने बताया कि सोमवार को उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। पहले ऐसे मरीजों को 30 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता था।
युवक की हालत बिगड़ चुकी थी : दूसरा मामला मंगलवार का है। 32 वर्षीय युवक की हालत इतनी बिगड़ चुकी थी कि बिना ट्रांसप्लांट उसके बचने की उम्मीद नहीं थी। ऐसे में उसकी 35 वर्षीय बहन आगे आई और अपनी एक किडनी भाई को दान कर दी। डॉक्टरों के अनुसार, सर्जरी पूरी तरह सफल रही है और मरीज अब ऑब्जर्वेशन में है।
इन वजहों सो फेल हो रही किडनी
दोनों ट्रांसप्लांट की सर्जरी एम्स भोपाल की यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी टीम ने की। जिसमें यूरोलॉजी विभाग से डॉ. देवाशीष कौशल, डॉ. कुमार मधवन, डॉ. केतन मेहरा और नेफ्रोलॉजी विभाग से डॉ. महेंद्र अटलानी ने अहम भूमिका निभाई। टीम के अनुसार, युवाओं में किडनी डिजीज के मुख्य कारण हाइ -परटेंशन, डायबिटीज और अनहेल्दी लाइफस्टाइल है। समय पर नियमित जांच और ब्लड प्रेशर नियंत्रण से रोका जा सकता है।
किडनी ट्रांसप्लांट में भोपाल आगे
भोपाल अब मध्यभारत का एक प्रमुख किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर बनकर उभरा है। एम्स भोपाल में अब तक कुल 17 किडनी ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं, जिनमें से 4 ब्रेन डेड डोनेशन और बाकी लाइव डोनेशन हैं। वहीं गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल में अब तक 10 सफल लाइव ट्रांसप्लांट किए गए हैं। डॉक्टरों का मानना है कि अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ने से अधिक से अधिक ब्रेन डेड मरीजों के अंग जरूरतमंदों को जीवन दे सकते हैं।