
MP में बैगा, सहरिया, भारिया जनजाति की बनेंगी बटालियन
|राज्य सरकार ने विधानसभा में दी जानकारी
प्रदेश में निकट भविष्य में विशेष पिछड़ी जनजातियों- बैगा, सहरिया और भारिया- की बटालियन स्थापित की जाएंगी। यह जानकारी राज्यमंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने विधायक मुकेश मल्होत्रा के सवाल के जवाब में दी।
विधायक ने पूछा था कि विशेष पिछड़ी जनजाति-सहरिया, बैगा और भारिया-के शिक्षित बेरोजगारों को पुलिस विभाग में आरक्षक (सामान्य ड्यूटी) एवं एसएएफ में विशेष नियुक्तियां कब-कब दी गई हैं। क्या 2017-18 के बाद आरक्षक और एसएएफ के पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया इन जनजातियों के लिए बंद कर दी गई है?
जवाब में मंत्री पटेल ने बताया कि दिसंबर 2017 में विशेष भर्ती अभियान के तहत आरक्षक के 160 पदों पर भर्ती की गई थी। जब भी विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए भर्ती अभियान चलाया जाएगा, तब भर्ती की जाएगी। मंत्री ने यह भी बताया कि 2022 में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के जनजातीय युवाओं के लिए विशेष सहयोगी दस्ता के 150 पदों पर भर्ती की गई थी।
केमिकल से जनजाति वर्ग को खतरा
प्रदेश के एकमात्र निर्दलीय विधायक कमेश्वर डोडियार ने प्रश्नकाल के दौरान पूछा कि झाबुआ जिले के मेघनगर में फैक्ट्रियों से निकलने वाला केमिकल आदिवासी बहुल क्षेत्र में गंभीर पर्यावरण एवं स्वास्थ्य खतरा पैदा कर रहा है। मेघनगर में जहरीले केमिकल से हजारों जीव-जंतुओं की मौत हो रही है और मानव जीवन के लिए भी खतरा है।
जवाब में मंत्री चेतन्य कश्यप ने बताया कि फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल की जांच मप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम द्वारा नहीं, बल्कि मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की जाती है। हालांकि सरकार ने जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की। मंत्री ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का जांच प्रतिवेदन विधानसभा के पुस्तकालय में रखा गया है, लेकिन वहाँ कोई रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है।
मंत्री ने यह भी बताया कि उपसंचालक, पशु एवं मत्स्य पालन, जिला झाबुआ तथा वन मंडल अधिकारी से जीव-जंतुओं की मौत एवं मानव जीवन पर खतरे संबंधी जानकारी ली गई, जिसे निरंक (शून्य) बताया गया। यानी सभी विभागों ने लिखित में दिया कि फैक्ट्रियों से निकल रहे केमिकल से जीव-जंतुओं और मानव स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं है।