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मध्यप्रदेश
4 लीटर पेंट, 233 मजदूर और 1.06 लाख के बिल ने खोली सरकारी भ्रष्टाचार की पोल…
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MP में 'रंग-बाजी' का घोटाला: 4 लीटर पेंट, 233 मजदूर और 1.06 लाख के बिल ने खोली सरकारी भ्रष्टाचार की पोल…

Swadesh Digital
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5 July 2025 2:05 PM IST

शहडोल। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले से सामने आया एक सरकारी घोटाला इस समय पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां एक सरकारी हाई स्कूल की दीवारों की पुताई के लिए 4 लीटर पेंट खर्च किया गया, लेकिन मजेदार बात यह है कि उस काम में 168 मजदूर, 65 मिस्त्री, यानी कुल 233 लोग झोंक दिए गए और उस ‘रंगीन’ काम का बिल बना ₹1.06 लाख!

इस हास्यास्पद लेकिन शर्मनाक घोटाले को शहडोल जिला शिक्षा अधिकारी (D.E.O.) ने बाकायदा मंजूरी भी दे दी। अब सवाल ये है कि मध्यप्रदेश में शिक्षा के नाम पर क्या सिर्फ दिखावे और भ्रष्टाचार की पॉलिश हो रही है?

रंग कम, खेल बड़ा!

मामला जितना छोटा दिखता है, उतनी ही गहराई इसमें नजर आती है। 4 लीटर पेंट से किसी सामान्य घर की एक दीवार भी ढंग से नहीं रंगी जा सकती, लेकिन यहां इतने कम पेंट में सरकारी स्कूल की दीवारें चकाचक हो गईं - वो भी सैकड़ों मजदूरों और मिस्त्रियों के दम पर!

क्या ये कोई 'मैजिक पेंट' था, या फिर ये सिर्फ एक और शासकीय घोटाले की नई मिसाल है?

बिना पलक झपकाए मंजूरी

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस फर्जी और अव्यवहारिक बिल को जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मारपाची ने मंजूरी दे दी।

जब सोशल मीडिया पर यह बिल वायरल हुआ, तब जाकर अधिकारी ने बयान जारी करते हुए कहा कि उन्हें इसकी जानकारी सोशल मीडिया से मिली और जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी। सवाल उठता है:

"जब मंजूरी दी जा रही थी, तब क्या आंखें बंद थीं?"

शिक्षा के भविष्य पर खतरा

मध्यप्रदेश सरकार पहले ही शिक्षकों की कमी, स्कूलों की दुर्दशा और छात्र सुविधाओं को लेकर आलोचनाओं में रही है। ऐसे में इस तरह का घोटाला यह दर्शाता है कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था का बजट कैसे जिम्मेदारियों की बजाय जेबें भरने में इस्तेमाल हो रहा है।

जहां एक ओर सरकारी स्कूलों में बच्चों को ब्लैकबोर्ड, टॉयलेट और साफ़ पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलतीं, वहीं दूसरी ओर केवल 4 लीटर पेंट से लाखों की योजनाएं चलाई जा रही हैं।

कार्रवाई के नाम पर घिसी-पिटी लाइन

ऐसे मामलों में अक्सर प्रशासन ‘जांच’ और ‘कार्रवाई’ का रटा-रटाया जवाब देकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश करता है। लेकिन इस मामले में सवाल यह है कि आखिर इतने बड़े बिल फर्जीवाड़े की अप्रूवल कैसे हुई? क्या इसमें और भी लोग शामिल हैं?

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