मध्यप्रदेश
संघ कार्य के 100 वर्ष: कार्यालय के लिए राजमाता सिंधिया ने भूमि दान दी
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संघ कार्य के 100 वर्ष: कार्यालय के लिए राजमाता सिंधिया ने भूमि दान दी

Swadesh Bhopal
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6 Nov 2025 11:56 AM IST

सत्ता के क्रूर दमन के बाद भी स्वयंसेवक डटे रहे। सत्ता के दमन का असर विश्धपुरी में भी देखा गया। इस दौरान शिवपुरी में सुशील बहादुर अहान, धनश्याम भसीन, जगदीश शर्मा, कृष्णकांत गा, बैजनाथ शिल्या, रामजीलाल बाल, चन्द्रभान पटेल, उत्तमद जैन, बाबूलाल शर्मा, मुन्नवतात, गु गोपाल सिंघल गिरफ्तार कर लिए गए। इसके बाद भी ये स्वयंसेवक उप विचार के लिए समर्पित रहे।

14 नवम्बर 1975 में देश में सत्याग्रह की योजना बनी। उस समय विभान प्रचारक लक्ष्मण तथ आर्गकर, जनस के समान मंत्री वसंतराव निगुडीकर, प्रचारक अधस्थल सिह कुशवा का आना-जाना शुरू हुआ। इन्होंने शिवपुरी में भी आवासन किया। इसके बाद संघ कार्य के लिए कई और स्वयंसेवक जुड़ते गए।

संघ कार्य बहुत पुराना है। संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोल ने कई बार इस अंचल का भ्रमण किया। उनके कहने पर अंचल के शिवपुरी में भी स्वयंसेवक आगे आए और उन्होंने पूर्ण समर्पण के साथ संघ कार्य को बढ़ाने का कार्य किया।

संघ के विभिन्न दायित्वों को निभा रहे पुरुषोत्तम गौतम एवं वीडर निमास शर्मा ने बताया कि शिवपुरी में संघ कार्य सन् 1939-40 में नागपुर से पथ-जाधवराव जी ने प्रारंभ किया। उन्होंने पुरानी अन्ना मंडी के मैदान में पहली शाखा लगाई। इस स्थान पर वर्तमान में महिला बाल विकास का कार्यालय है। उस समय शिवपुरी के जगदीश स्वरूप निगम सबसे पहले संपर्क में आने वाले स्वयंसेवक रहे।

सन 1942 में श्री निगम के साथ गोपीचंद सक्सेना व सोहर सिंह यादव ने कालीचरण ई स्कूल परिसर, लखनऊ में प्रथम वर्ष का संघ शिक्षा वर्ग किया। सन् 1943 में जगदीश स्वरूप निगम ने द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण वाराणसी में किया। इसी दौरान मनोहर राय परचुरे प्रचारक के रूप में आए।

पुरानी अन्ना मंडी में लगी शिवपुरी की पहली शाखा: इसी स्थान पर पहली शाखा स्थापित हुई थी, वर्तमान में यहां महिला बाल विकास का कार्यालय है।

श्री परचुरे के बाद जनचंद वस्वी, अ. वे जैन दर्शन व कर्मकांड के विद्वान थे। इसलिए जैन समाज में पूजन-पूत्र भी करते थे। बताया जाता है कि शास्त्री जी उसी परिवार में भोजन करते थे। परिवार संघ का स्वयंसेवक बनने का आश्वासन देता। यही कारण था कि उस समय जैन परिवार से संघ कार्यकर्ता के रूप में अधिक स्वयंसेवक निकले थे।

प्रतिबंध के बाद हुआ प्रभावी सत्याग्रह

पुरुषोत्तम गौतम व हरिहर निकाला शर्मा ने बताया कि 1948 में संघ पर झूठा आरोप लगाकर देश भर में अत्याचार का दौर चला। संघ पर प्रबंध हुए, जिसके विरुद्ध प्रभारी साह हुआ। प्रसाद अग्रवाल, वझे साहय, किशन सिंह मास्टर, जगदीश निगम, बाबूलाल शर्मा, मोहित व अन्य ने महासभा के लक्ष्मीनारायण, गुरा, नरायणप्रसाद गर्ग, राज बिहारी लाल, वीर, बुद्ध शरण, राम विह के साथ भाग लिया। इस दौरान कई लोग निरुद्ध हुए। मगरी में शिक्षक श्री राखे, तय करेरा के शिक्षक वसंत तह निगुडीकर शासकीय नौकरी से निकाल दिए गए।

1949 में प्यारेलाल खंडेलवाल प्रचारक के रूप में आए। 1956 तक उनके कार्यकाल में सभी तहत केन्द्रों तक संघ का विस्तार हुआ। संसाधनों के अभाव के चलते प्रयास साइकिल से ही किए जाते थे। कार्यकर्ताओं के आत्मीय लगाव और मिलनसार स्वभाव के कारण लाल जी ने संघ कार्य का प्रभावी विस्तार किया।

चारों तरफ से खुले छप्पर में पहला कार्यालय

शिवपुरी में पहला संघालय हनुमान मंदिर की ऊपर बारादी में बनाया गया था। उस समय यह चारों ओर से खुला कार्यालय था। छप्पर के सामने बैठक आदि में भरपूर उपयोग होता था। इसके बाद बाबूलाल गुद्ध के आदर्श कार्य में प्रयुक्त होने वाले हनुमान गली स्थित एक कमरे में सन 1977 तक कार्यालय चला। इसके बाद क्रमशः आदर्श नगर में डॉ. नहरि के मकान, गीता भवन में, गीधात कृष्ण मकान में, न्यू बसीक स्थित डॉ. द्वारका प्रसाद के मकान में कार्यालय हुआ। इसके बाद मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित राघवेन्द्र नगर में संघ का स्वयं का कार्यालय निर्मित हुआ। तभी जाकर स्थाई व्यवस्था हुई।

कार्यालय के लिए राजमाता सिंधिया ने भूमि दान दी

शिवपुरी में संघ कार्यालय के लिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने भूमि दान में दी थी। भूमि लेने हेतु उस समय के जिला संघ पदाधिकारी बाबूलाल शर्मा और जगदीश स्वरूप निगम, राजमाता विजयाराजे सिंधिया से मिले थे। इसके बाद संघ कार्यालय के लिए भूमि प्राप्त हुई।

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