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धर्म
ये है भाई दूज पर तिलक का शुभ मुहूर्त, रीति रिवाज, नियम एवं विधि और जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा
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ये है भाई दूज पर तिलक का शुभ मुहूर्त, रीति रिवाज, नियम एवं विधि और जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा

स्वदेश डेस्क
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5 Nov 2021 1:29 PM IST

वेबडेस्क। भाईदूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल भाई दूज का त्योहार 6 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा. यह त्योहार भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है. ये दिन भाई बहन के लिए सबसे ज्यादा खास होता, क्योंकि भाई दूज के दिन हर भाई अपनी बहन के घर जाता है और शुभ मुहुर्त देखकर बहन भाई के माथे पर तिलक लगाकर स्वाुगत करती है. इस दिन बहन अपने हाथों से भाइयों लिए खाना बनाती है और खिलाती है. कहा जाता है कि इससे भाई की उम्र लम्बी होती है.

डॉ अशोक शास्त्री जी के मुताबिक, इस साल भाई दूज पर अपने भाइयों को तिलक करने का सबसे शुभ समय दोपहर 1 बजकर 10 से लेकर 3 बजकर 21 मिनट तक है. आप अपने भाई को इस शुभ मुहूर्त में तिलक करें तो ये बेहद शुभ होगा. लेकिन अगर आप इस समय तिलक नहीं लगा पाते हैं तो तो 6 नवंबर को शाम 7 बजे के पहले कभी भी भाई को तिलक लगा सकती हैं. बता दें कि इस साल द्वितीया तिथि 5 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से शुरू हो रही है जो अगले दिन यानी 6 नवंबर को शाम 07 बजकर 44 मिनट तक रहेगी।

विधि -

पहले पूजा की थाली, फल, फूल, दीपक, अक्षत, मिठाई, सुपारी इत्यादि वस्तुओं से सजा लें। इसके बाद आटे के दीपक में देसी घी डालकर दीपक जलाकर भाई की आरती करें और बताये गए शुभ मुहूर्त के अनुसार तिलक लगाएं। भाई की रक्षा, दीर्घायु व उज्जवल भविष्य की मनोकामना करें एवं चावल लगाएं तथा आरती करें। तिलक लगाने के बाद भाई का मुंह मीठा मिठाई इत्यादि खिलाकर करवाएं।

भाई दूज मनाये जाने के पीछे की कहानी -

वैदिक एवं पौराणिक कथाओं के अनुसार यम और यमुना भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संध्या की संतान हैं. बहन यमुना की शादी के बाद भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन के घर गए थे. इस अवसर पर यमुना ने उनका आदर-सत्कार किया और उनके माथे पर तिलक लगाकर यमराज को भोजन कराया था. अपनी बहन के इस व्यवहार से खुश होकर यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा. इस पर यमुना जी ने कहा कि मुझे ये वरदान दो कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक लगवायेगा और बहन के हाथ का भोजन करेगा उसको अकाल मृत्य का भय नहीं होगा. यमराज ने उनकी ये बात मान ली और खुश होकर बहन को आशीष दिया. माना जाता है तब से ही भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है।

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