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Hatkeshwar Mahadev

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Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर शिव मंदिरों में उमड़ा सैलाब, हटकेश्वर महादेव का अर्धनारीश्वर स्वरूप में श्रृंगार

Deeksha Mehra
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26 Feb 2025 9:12 AM IST

Mahashivaratri Festival 2025 : रायपुर। छत्तीसगढ़ में महाशिवरात्रि का पर्व आज बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। रायपुर के विभिन्न शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिरों में पहुंच रहे हैं।

मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की लंबी कतार

रायपुर के प्रमुख महादेव घाट स्थित हटकेश्वरनाथ महादेव मंदिर में अर्धनारीश्वर स्वरूप में भगवान शिव का श्रृंगार किया गया है। इस मंदिर के पट सुबह 4 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। यहां लोग ‘हर-हर महादेव’ का जयकारा लगाते हुए भगवान के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। साथ ही सुरेश्वर महादेव चौक पर 21 फीट ऊंचा त्रिशूल भी लगाया जाएगा। मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की लंबी कतार देखी जा रही है।

छत्तीसगढ़ के इन मंदिरों में लगी कतारें

इसके अलावा कोंडागांव स्थित बंधा तालाब के शिव मंदिर में भी भक्तों की तादाद बढ़ी हुई है। महिलाएं और बच्चे मंदिर के सामने सुबह से ही पूजा सामग्री लेकर बैठे हैं। यहां हर साल रुद्राभिषेक और हवन पूजन के बाद भंडारे का आयोजन किया जाता है, और दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं।

राजिम के त्रिवेणी संगम स्थित कुलेश्वरनाथ मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ है। स्नान के बाद लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए लंबी लाइन में खड़े हैं। इस दिन पूरे दिन मंदिर में भक्तों का आना-जाना जारी रहेगा।

आज निकलेगी शिव बारात

महादेव घाट स्थित हटकेश्वरनाथ मंदिर में मंगलवार से ही भगवान शिव की शादी की रस्में शुरू हो चुकी हैं। श्रद्धालु यहां चुलमाटी की रस्म, हल्दी और मेहंदी जैसे पारंपरिक रिवाजों में भाग ले रहे हैं। शाम को भगवान शिव की बारात निकाली जाएगी।

छत्तीसगढ़ के विभिन्न मंदिरों में महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष शृंगार और पूजा-अर्चना की जा रही है। उदाहरण के तौर पर, बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में शिव-पार्वती विवाह की रस्में हो रही हैं। वहीं, अन्य मंदिरों में भी भक्तों के लिए विशेष कार्यक्रम और भजन-कीर्तन आयोजित किए जा रहे हैं।

इस महाशिवरात्रि पर हर मंदिर में विशेष जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और हवन पूजन के साथ भंडारे का आयोजन हो रहा है। छत्तीसगढ़ की इस विशेष परंपरा को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं।

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