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नई दिल्ली
जैविक पंजीकरण की नोडए एजेंसी एपीडा की वजह से जैविक खेती पर उठे सवाल…
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सरकारी जैविक एजेंसियों पर नकेल और निजी जैविक एजेंसियों पर ढिलाई: जैविक पंजीकरण की नोडए एजेंसी एपीडा की वजह से जैविक खेती पर उठे सवाल…

Swadesh Digital
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16 May 2025 3:37 PM IST

नई दिल्ली। जैविक खेती को दुनियाभर में पहचान दिलाने वाली प्रमुख राज्यों की सरकारी पंजीकरण एजेंसियों पर एपीडा यानि कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ने रोक लगा दी है।

देशभर में जैविक खेतों को पंजीकरण करने वाली एजेंसियों में उत्तराखंड राज्य ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट एजेंसी एक प्रमुख एजेंसी है और सिक्किम ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट एजेंसी के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी सरकारी एजेंसी है, जिसपर एपीडा ने रोक लगाई है।

इसके साथ ही राजस्थान की सरकारी एजेंसी भी लगातार एपीडा के निशाने पर है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, मेघालय और अन्य एजेंसियों को भी सिर्फ उनके राज्यों में ही काम करने का निर्देश दिया जा रहा है।

जैविक पंजीकरण में काम करने वाले एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पिछले कुछ समय में एपीडा से लगभग सभी राज्यों की सरकारी एजेंसियों को जांच का सामना करना पड़ा है।

दरअसल जैविक पंजीकरण में किसानों के एफपीओ को जोड़कर उन्हें जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने और उनके लिए बाज़ार खोजने तक का काम यह एजेंसियां कर रही थी, इसी वजह से देश में सबसे ज्य़ादा पंजीकरण का काम यह एजेंसियां ही कर रही थी, लेकिन पिछले करीब एक साल से इन सरकारी एजेंसियों के लिए काम करना काफी मुश्किल हो गया है।

जहां सिक्किम की एजेंसी का लाइसेंस पर रोक लगा दी थी।, साथ ही उत्तराखंड को सिर्फ अपने राज्य तक सीमित कर दिया गया है। इसी तरह राजस्थान और बाकी राज्य की एजेंसियों को भी उनके राज्यों तक सीमित कर दिया गया है।

जबकि दूसरी ओर नई नई निजी जैविक एजेंसियों को पंजीकरण के लिए लाइसेंस दिया जा रहा है। राज्यों की एजेंसियों को उनके राज्यों तक सीमित करने की वजह से ज्य़ादा काम अब निजी एजेंसियों के पास जाने लगा है।

दरअसल देशभर में जैविक खेती के पंजीकरण के लिए 41 एजेंसियां काम कर रही है, जिसमें 15 एजेंसियां राज्यों की हैं और 26 निजी एजेंसियां भी काम कर रही है। देश से जैविक उत्पादों का निर्यात 2024-25 में 34 प्रतिशत बढ़कर करीब 6 हज़ार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

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