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प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: अदालत ने केंद्र से मांगा जवाब, नहीं हो पाएगा नया मुकदमा दर्ज

Gurjeet Kaur
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12 Dec 2024 3:58 PM IST

Places of Worship Act 1991 : नई दिल्ली। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991, मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। अदालत ने दलीलें सुनने के बाद सुनवाई को ताल दिया है। इस मामले में जहां एक ओर केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया है वहीं दूसरी ओर सुनवाई पूरी होने तक अदालत ने कोई भी नया मामला दायर करने पर भी रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह में हलफनामा दाखिल करने को कहा है। यह एक्ट किसी पूजा स्थल को पुनः प्राप्त करने या 15 अगस्त, 1947 को प्रचलित स्वरूप से उसके चरित्र में बदलाव की मांग करने के लिए मुकदमा दायर करने पर रोक लगाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक वह पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई और उनका निपटारा नहीं कर लेता, तब तक देश में कोई और मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने की थी। याचिकाकर्ताओं ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991, की धारा 2, 3 और 4 को रद्द करने की मांग की है।

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा -

इस न्यायालय ने 12 अक्टूबर 2022 के आदेश द्वारा कानून के कई प्रश्न तैयार किए थे जो विचार के लिए उठते हैं। सुनवाई के दौरान यह इंगित किया गया कि विचार के लिए कई क्षेत्र उठते हैं। 2022 के WP 782 द्वारा.. नोटिस जारी किया गया था। यह पूजा स्थल अधिनियम को लागू करने की मांग करता है। अवसर दिए जाने के बावजूद काउंटर दायर नहीं किया गया।

प्राथमिक मुद्दा 1991 अधिनियम की धारा 3 और 4 और इसकी रूपरेखा के साथ-साथ उक्त धारा के विस्तार के संबंध में है। चूंकि मामला इस न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है, इसलिए हम यह निर्देश देना उचित समझते हैं कि कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा या कार्यवाही का आदेश नहीं दिया जाएगा। लंबित मुकदमों में न्यायालय कोई प्रभावी आदेश या अंतिम आदेश पारित नहीं करेंगे। जब कोई मामला हमारे समक्ष लंबित है तो किसी अन्य न्यायालय द्वारा इसकी जांच करना न्यायसंगत और उचित है। हम अधिनियम के अधिकार क्षेत्र के साथ-साथ इसके दायरे में भी हैं।

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