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हम मूकदर्शक बनकर नहीं देख सकते, रेमडेसिविर इंजेक्शन की कीमत अस्पताल में चस्पा की जाए : हाईकोर्ट
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हम मूकदर्शक बनकर नहीं देख सकते, रेमडेसिविर इंजेक्शन की कीमत अस्पताल में चस्पा की जाए : हाईकोर्ट

स्वदेश डेस्क
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19 April 2021 10:12 PM IST

जबलपुर। प्रदेश में तेजी से बढ़ रहें कोरोना मरीजों की संख्या और इलाज में लापरवाही की आ रहीं खबरों को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। मप्र उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी कर केंद्र एवं राज्य सरकार से 19 पॉइंट्स की गाइडलाइन जारी करने के लिए कहा है।उच्च न्यायालय ने कहा की हम मूकदर्शक बनकर सबकुछ नहीं देख सकते हैं। कोरोना के गंभीर मरीजों को एक घंटे में अस्पताल में ही रेमडेसिविर इंजेक्शन सरकार उपलब्ध कराए, केन्द्र सरकार रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ाए, जरुरत पडऩे पर आयात भी करे।

विवेक तन्खा ने लिखा पत्र -

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के पत्र को याचिका मानते हुए कोरोना को लेकर दायर की गई अन्य छह याचिकाओं की सुनवाई पूरी करते हुए अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को चीफ जस्टिस जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बेंच ने 49 पेज का विस्तृत आदेश जारी किया। राज्य सरकार को आदेश दिया है कि 10 मई को अगली सुनवाई में वह एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करेगी।

ये है अहम बिंदु:-

  • मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की डबल बेंच ने कहा है कि कोरोना की स्थिति भयावह, हम मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकते हैं।
  • प्रदेश में विद्युत शवदाह गृहों की संख्या बढ़ाएं।
  • स्वास्थ्य विभाग के खाली पदों पर संविदा पर तत्काल नियुक्ति करें।
  • अगली सुनवाई से पहले एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करे सरकार।
  • जरूरतमंद मरीज को एक घंटे के अंदर रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराएं।
  • रेमडेसिविर इंजेक्शन की कीमत अस्पताल में चस्पा की जाएरेमडेसिविर इंजेक्शन की कीमत अस्पताल में चस्पा की जाए।
  • 36 घंटे में आरटीपीसीआर की रिपोर्ट दी जाए।
  • निजी अस्पतालों में भी रेमडेसिविर इंजेक्शन व ऑक्सीजन की उपलब्धता कलेक्टर व सीएमएचओ सुनिश्चित कराएं।
  • औद्योगिक इकाईयों को अभी ऑक्सीजन देने की बजाए अस्पतालों में दें।
  • देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन का आयात करें।-
  • सरकारी अस्पताल और निजी अस्पताल में एयर सपरेशन यूनिट लगाया जाए।
  • निजी अस्पतालों को इसके लिए लोन दिए जाए।
  • कोविड केयर सेंटर्स को एक्टिव किया जाए।
  • कलेक्टर व सीएमचओ निजी अस्पतालों के साथ मीटिंग कर समय-समय पर होने वाली परेशानियों को दूर करें।
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