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सागौन-साल के साथ दिखेंगे चंदन के जंगल…
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मप्र के चंदन से महकेगा संसार: सागौन-साल के साथ दिखेंगे चंदन के जंगल…

Swadesh Digital
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26 July 2025 10:33 AM IST

वन विभाग ने बनाई योजना

भोपाल। साल और सागौन जैसे महंगे वनोपज के लिये प्रसिद्ध मप्र अब चंदन के वृृक्षों के लिये भी जाना जाएगा। वन विभाग इसकी तैयारी में जुट गया है। योजना यदि सफल रहती है तो देश का हृदय प्रदेश भी केरला, कर्नाटक और तमिलनाडु की तरह बेशकीमती चंदन उत्पादक राज्यों में शामिल हो जाएगा। प्रयोगात्मक रूप से क्रियान्वयन के लिए बैतूल का चुनाव किया गया है।

दरअसल देश में चंदन की जितनी मांग है, देश में उसके अनुसार इसकी पैदावार नहीं हो रही है। इसको देखते हुए मप्र वन विकास निगम के माध्यम से वन विभाग चंदन उत्पादन की योजना बनाई है। इसके लिये बैतूल में तकरीबन 15 हेक्टेयर भूमि पर चंदन के पौधे लगाए जाएंगे। लगभग 15 साल बाद इससे राज्य में करीब 90 करोड़ से ज्यादा बाजार मूल्य का चंदन उपलब्ध होगा।

अनुकूल है जलवायु

वन्य विशेषज्ञों के मुताबिक राज्य की जलवायु चंदन की खेती के लिए अनुकूल है और आम किसान भी इसकी खेती कर सकते हैं। दरअसल भारत सरकार द्वारा 2021 में तैयार गाइडलाइन के मुताबिक अब कोई भी इसकी खेती कर सकता है। इसलिये इसके मुनाफे के महत्व को समझाते हुए बांस की तरह किसानों को भी इसकी खेती के लिये प्रेरित किया जाएगा।

भोपाल के साथ पड़ोसी जिलों में भी होगा रोपण

बैतूल के साथ राजधानी भोपाल और उसके पड़ोसी जिलों में भी चंदन के पेड़़ नजर आएंगे। इसमें विदिशा और रायसेन के नाम अहम है। बताया जाता है कि इसके लिए स्थान चिन्हित किया जा रहा है। इसमें छिंदवाड़ा को भी शामिल किया गया है। चंदन दो तरह का होता है। जिसमें सफेद चंदन मध्य प्रदेश में होता है।

की जाएगी पुख्ता सुरक्षा

चंदन की फसल की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। जहां चंदन के पौधे लगाए जा रहे हैं, वहां चारों ओर ऊंची और मजबूत चैनल फेंसिंग कराई जा रही है, ताकि पौधों को नुकसान न पहुंचे। पौधे निगम के डिपो और नर्सरी के आसपास ही लगाए जाएंगे। 6 से 7 साल बाद चंदन की सुरक्षा के लिए डॉग स्क्वायड, सीसीटीवी और ड्रोन की भी मदद ली जाएगी।

इनका कहना है

व्यावसायिक उत्पादन बढ़ाने बेंगलुरु से चंदन के करीबन 10 हजार पौधे खरीदे गये हैं, इनका बीज उत्पादन क्षेत्र केरल का है। बैतूल में तकरीबन 15 हेक्टेयर भूमि पर चंदन के पौधे लगाए जाएंगे। लगभग 15 साल बाद इससे राज्य में करीब 90 करोड़ से ज्यादा बाजार मूल्य का चंदन उपलब्ध होगा। - वीएन अंबाडे, प्रबंध निदेशक, वन विकास निगम मप्र

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