< Back
भोपाल
विधानसभा में जनविश्वास विधेयक पेश कर पांच विभागों के आठ कानूनों में संशोधन…

सीएम मोहन यादव

भोपाल

मध्‍यप्रदेश को 'अंग्रेजोंं के जमाने’ के कानूनों से मिली मुक्ति: विधानसभा में जनविश्वास विधेयक पेश कर पांच विभागों के आठ कानूनों में संशोधन…

Swadesh Digital
|
20 Dec 2024 12:03 PM IST

पोस्टर चिपकाने, बिल जमा नहीं करने, अवैध कनेक्शन जैसे मामलों में सजा नहीं होगा केवल जुर्माना

भोपाल। प्रदेश सरकार ने राज्य की साढ़े आठ करोड़ से ज्यादा की आबादी को छोटी-छोटी गलतियों पर न्यायालय के चक्कर लगाने और सालों तक प्रकरण के निराकरण के लिए इंतजार करने और सजा के डर को खत्म कर दिया है।

सरकार ने गुुरुवार को विधानसभा में जनविश्वास विधेयक 2024 पेश कर अंगे्रजों के समय से चले आ रहे छोटी-छोटी गलतियों पर सजा के कानूनों को खत्म कर दिया है। इस विधेयक के जरिए पांच विभाग उद्योग, ऊर्जा, सहकारिता, श्रम और नगरीय विकास एवं आवास के आठ कानूनों की 64 धाराओं में संशोधन कर दिया है।

इनमें से जमीन पर कब्जा करने से लेकर, बिना अनुमति के पोस्टर चिपकाने, बिल नहीं भरने, अवैध कनेक्शन लेने जैसे तमाम प्रकरणों में सजा का प्रावधान पूरी तरह से खत्म कर दिया है। इसके स्थान पर जुर्माने के जरिए प्रकरण समाप्त करने का प्रावधान किया है। साथ ही यह प्रक्रिया अब प्रशासनिक स्तर पर निपटेगी।

अभी तक ऐसे प्रकरणों के लिए वकील के माध्यम से न्यायालय में जाना पड़ता है। न्यायालयों में ऐेसे प्रकरणों का अतिरिक्त भार है। जनविश्वास विधेयक से न्यायालयों पर भी प्रकरणों का भार खत्म होगा। देश में इस तरह का कानून बनाने वाला मप्र पहला राज्य है।

जन विश्वास विधेयक-2024 का उद्देश्य आम जनता और उद्यमियों के लिए जीवन और व्यवसाय को आसान बनाना है। विधेयक में कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। अब छोटे अपराधों के लिए जेल भेजने की अपेक्षा जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।

पुराने और जटिल कानूनों को हटाकर, कानूनी ढांचे को समय के अनुसार अपडेट किया गया है। इससे आम जनता और उद्यमियों को यह विश्वास होगा कि सरकार उनके साथ खड़ी है और उनके काम को आसान बनाना चाहती है।

इस विधेयक से न्याय की प्रक्रिया इतनी सरल हों कि आम नागरिक और व्यापारी बिना किसी परेशानी के अपने काम कर सकें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मानना है कि इससे न केवल शासन में पारदर्शिता आएगी, बल्कि मध्यप्रदेश में निवेश और रोजगार के अवसरों में भी तेजी से बढ़ोतरी होगी।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए राज्य में विकास और सुशासन के नए अध्याय की शुरुआत होगी।

छोटे अपराध गैर अपराध की श्रेणी में

मप्र सरकार का जनविश्वास विधेयक केंद्र सरकार के जन विश्वास अधिनियम, 2023 से प्रेरित है। राष्ट्रीय स्तर पर 42 केंद्रीय अधिनियमों में 183 प्रावधानों को अपराध-मुक्त किया। इसने छोटे अपराधों को गैर-अपराधीकरण करते हुए, दंड प्रणाली को तर्कसंगत बनाया और नागरिकों व उद्यमियों के लिए नियामकीय बाधाओं को दूर किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस विधेयक को राज्य की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग रैंकिंग को और मजबूत करने की दिशा में एक ठोस कदम बताया। उन्होंने कहा, यह विधेयक मध्यप्रदेश में शासन और विकास का नया अध्याय लिखेगा, जिससे निवेश बढ़ेगा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।

ये हुए प्रमुख संशोधन

विधेयक में राज्य के 5 विभागों (औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, ऊर्जा, सहकारिता, श्रम, नगरीय विकास एवं आवास) के आठ अधिनियमों में 64 धाराओं में संशोधन किया गया है। इनमें कारावास को जुर्माने में बदलने, दंड को शास्ति में परिवर्तित करने और कंपाउंडिंग (शमन) प्रावधान जोड़ने जैसे सुधार शामिल हैं।

अप्रचलित कानूनों का उन्मूलन: 920 अप्रचलित अधिनियम समाप्त किए गए। व्यावसायिक क्षेत्र में काम आसान एवं त्वरित गति से होंगे। महिला नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप में 157 फीसदी और कुल स्टार्ट-अप में 125 फीसदी वृद्धि। जीआईएस आधारित भूमि आवंटन प्रणाली और संपदा 2.0 जैसी पहलों से प्रक्रिया सुगम बनी।

नए विधेयक से ऐसा होगा बदलाव

किसी की जमीन पर बिना अनुमति पोस्टर लगाने पर 500 रुपए की का जुर्माना लगता है। यदि कोर्ट जाकर जुर्माना नहीं भरा तो हर दिन 50 रुपए की पेनल्टी का प्रावधान है। नए कानून में जुर्माने के स्थान पर 5 हजार रुपए की पेनल्टी लगाई जाएगी।

जबकि दूसरी बार या इससे अधिक उल्लंघन करने पर हर दिन 100 रुपए पेनल्टी लगेगी। इसी तरह गृह निर्माण सोसाइटी का संचालक मंडल या उसका कोई पदाधिकारी अथवा सदस्य गलत जानकारी देने या छिपाने का दोषी पाया जाता है तो 50 हजार रुपए से अधिक की पेनल्टी नहीं लगेगी।

इसी तरह सोसाइटी के रिकॉर्ड की जानकारी न देने पर 25 हजार से अधिक की पेनल्टी नहीं लगेगी। अभी तक यह जुर्माना कोर्ट में जमा करना पड़ता था। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के दोनों एक्ट, नगर पालिका अधिनियम 1961 और नगरपालिका निगम अधिनियम 1956 की 40 धाराओं के प्रावधान को बदला जा रहा है। इन धाराओं में फाइन की जगह पेनल्टी शब्द जोड़ा जा रहा है।

Similar Posts