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आखिर क्यों नागा साधु नहीं काटते अपनी बालों की जटाएं,  जानिए इसके पीछे का रहस्य
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Naga Sadhu Fact: आखिर क्यों नागा साधु नहीं काटते अपनी बालों की जटाएं, जानिए इसके पीछे का रहस्य

Deepika Pal
|
21 Jan 2025 2:34 PM IST

नागा साधुओं की तपस्या इतनी कड़ी होती है कि, वे नहाने से लेकर बालों को काटने तक का समय नहीं निकाल पाते हैं।

Naga Sadhu : महाकुंभ का दौर जहां पर चल रहा है वहीं पर इस सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में हिस्सा लेने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे है। यहां पर दर्शन के लिए नागा साधु और अखाड़े भी आते हैं। नागा साधुओं की कड़ी तपस्या का फल महाकुंभ में उन्हें मिलता है। नागा साधुओं की तपस्या इतनी कड़ी होती है कि, वे नहाने से लेकर बालों को काटने तक का समय नहीं निकाल पाते हैं।पानी न लगने से जटाएं काफी मोटी हो जाती हैं। बालों को काटने को लेकर कई रहस्य है जिनके बारे में चलिए जानते हैं...

इस बात का प्रतीक होता है बाल नहीं काटना

बताते चलें कि, महाकुंभ में यहां पर बाल न काटना कई बातों से जुड़ा होता हैं यहां कहते हैं कि, सांसारिक बंधनों, इच्छाओं और भौतिक सुख-सुविधाओं को त्याग दिया है, यह उनकी साधना और तपस्या का हिस्सा है। इसके अलावा यह भी कहते हैं कि, बालों को बढ़ने देना और जटाएं बनाना आध्यात्मिक ऊर्जा को संरक्षित करने में सहायक होता है, इसे ध्यान और योग में लाभकारी माना जाता है।

प्रकृति से होता है इसका जुड़ाव

नागा साधुओं के बाल और दाढ़ी काटने को लेकर कहते हैं कि, इसका संबंध प्रकृति से जुड़ा होता हैं। जीवन की सरलता का हिस्सा भी मानते है। दरअसल इसे वे भगवान शिव की आस्था का प्रतीक मानते है कि, क्योंकि भगवान का एक नाम जटाधारी भी रहा है। भगवान शिव की भी लंबी-लंबी जटाएं होती हैं. नागा साधु भगवान शिव की आराधना करते हैं, इसलिए माना ये भी जाता है कि वो भगवान शिव को प्रसन्न रखने के लिए ऐसा करते हैं।

बाल कटवाने से भगवान होगे नाराज

आपको बताते चलें कि, बाल कटवाने को लेकर नागा साधुओं का कहना होता है कि,अगर वो बाल कटवाते हैं तो भगवान उनसे नाराज हो जाते हैं. इससे उनकी भक्ति अधूरी रह जाती है. जो भी तपस्या उन्होंने की होती है उसका उन्हें फल नहीं मिलता। इसलिए नागा साधु कई नियमों का पालन करते है।

क्या होती हैं नागा साधु बनने की प्रक्रिया

आपको बताते चलें कि, नागा साधु बनने की प्रक्रिया कठिन होती है। नागा साधु बनने के लिए साधकों को तीन स्टेज से होकर गुजरना पड़ता है। इसमें पहला महापुरुष, दूसरा अवधूत और तीसरा दिगंबर होता है. अंतिम संकल्प लेने तक नागा साधु बनने वाले नए सदस्य केवल लंगोट पहने रहते हैं. कुंभ मेले अंतिम संकल्प दिलाने के बाद वे लंगोट का त्याग कर जीवन भर दिगंबर रहते हैं. नागा साधु जब बनते हैं तो पहली बार उनके बाल काटे जाते हैं. उनका मुंडन होता है।

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