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महाकुंभ- 2025
महाकुंभ में नागा साधुओं की पंच धुनि साधना का महत्‍व...
महाकुंभ- 2025

महाकुंभ 2025: महाकुंभ में नागा साधुओं की पंच धुनि साधना का महत्‍व...

Deepika Pal
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4 Feb 2025 9:05 PM IST

हाल ही में बसंत पंचमी पर एक खास तरह की साधना शुरू की गई है जिसे पंच धुनि तपस्या यानी अग्नि तपस्या के नाम से जाना जाता है।

महाकुंभ 2025 का दौर जारी है, और हर दिन श्रद्धालुओं और नागा साधुओं का विशाल हुजूम इसमें शामिल हो रहा है। करोड़ों की संख्या में लोग पुण्य स्नान कर रहे हैं, और इस दौरान कई रोचक घटनाएं और आध्यात्मिक किस्से सामने आ रहे हैं। हाल ही में बसंत पंचमी के अवसर पर एक विशेष साधना शुरू की गई है, जिसे पंच धुनि तपस्या या अग्नि तपस्या के नाम से जाना जाता है।

बसंत पंचमी के अमृत स्नान से शुरू हुई कठिन साधना

बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर अमृत स्नान के साथ यह कठिन तपस्या शुरू हुई है। पंच धुनि तपस्या उन कठिनतम साधनाओं में से एक मानी जाती है, जिसमें साधक अपने चारों ओर जलती हुई अग्नि के कई घेरे बनाकर बीच में बैठते हैं और गहन ध्यान करते हैं। साधारण परिस्थितियों में हल्की आग की आंच से भी त्वचा झुलस सकती है, लेकिन ये तपस्वी अत्यधिक गर्मी और दहकती अग्नि के बीच बैठकर साधना करते हैं।

इस साधना के दौरान नागा साधुओं को कठोर नियमों का पालन करना होता है। माना जाता है कि यह वैराग्य की पहली प्रक्रिया होती है और गुरु द्वारा अपने शिष्य की परीक्षा लेने का एक माध्यम भी है। केवल वही साधक इस कठिन साधना को पूरा कर पाते हैं, जो आत्मसंयम और कठोर तपस्या के लिए तैयार होते हैं।

क्या है पंच धुनि तपस्या की प्रक्रिया?

महाकुंभ के दौरान विभिन्न स्थानों पर नागा साधुओं को यह कठिन तपस्या करते हुए देखा जा सकता है। पंच धुनि तपस्या में साधक अपने चारों ओर उपलों (गोबर के उपले) से अग्नि जलाते हैं और एक मुख्य अग्निकुंड से आग लेकर अपने चारों ओर छोटे-छोटे अग्नि पिंड बनाते हैं।

तपस्या के दौरान प्रत्येक अग्नि पिंड में रखी गई आग को साधु अपने चिमटे में दबाकर अपने ऊपर से घुमाते हैं और फिर उसे वापस अग्नि पिंड में रख देते हैं। इस कठिन प्रक्रिया के दौरान मन, शरीर और आत्मा पर पूर्ण नियंत्रण रखना आवश्यक होता है। कई बार साधकों के शरीर पर घाव भी हो जाते हैं, लेकिन वे अपनी साधना से विचलित नहीं होते।

आध्यात्मिकता और वैराग्य की परीक्षा

पंच धुनि तपस्या न केवल साधकों के शारीरिक सहनशक्ति की परीक्षा है, बल्कि यह आध्यात्मिक उत्थान और वैराग्य की गहन यात्रा भी है। यह साधना दर्शाती है कि आत्मसंयम, धैर्य और तपस्या के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने अंदर की शक्तियों को जागृत कर सकता है।

महाकुंभ 2025 में यह तपस्या श्रद्धालुओं और साधकों के लिए एक अद्भुत आकर्षण बनी हुई है, जहां वे न केवल नागा साधुओं की इस कठिन साधना को देख रहे हैं बल्कि इससे प्रेरित भी हो रहे हैं।

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