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क्या होता है संसद का विशेष सत्र ? जानिए अब तक कब-कब बुलाया गया
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क्या होता है संसद का विशेष सत्र ? जानिए अब तक कब-कब बुलाया गया

Prashant Parihar
|
1 Sept 2023 2:35 PM IST

नईदिल्ली। केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया है। ये सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा, जिसमें पांच बैठकें होंगी। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी।उन्होंने कहा कि अमृतकाल के बीच आयोजित होने वाले इस विशेष सत्र के दौरान संसद में सार्थक चर्चा को लेकर वह आशान्वित हैं। हालांकि, ये चर्चा किस विषय पर होगी उस पर कोई स्पष्टता नहीं है।

आइए जानते हैं कि संसद का विशेष सत्र को बुलाने का अधिकार किसके पास है? इसको बुलाने के क्या प्रावधान हैं और इसकी क्या प्रक्रिया है? अब तक कितनी बार विशेष सत्र बुलाए गए है

संविधान के अनुच्छेद 85 में संसद के सत्र का प्रावधान किया गया है। जिसे बुलाने की शक्ति सरकार के पास होती है, जिसे कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक रूप दिया जाता है। सामान्य रूप से एक साल में संसद के तीन सत्र बुलाए जाते है।

बजट सत्र

बजट सत्र साल का पहला सत्र होता है, जिसे फरवरी और मई के बीच बुलाया जाता है। इस सत्र की शुरुआत दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण से होती है। फरवरी के आखिरी दिन आम तौर पर बजट पेश किया जाता है। वित्त मंत्री द्वारा बजट प्रस्तुत करने के बाद, सदस्य बजट के विभिन्न वर्गों के साथ-साथ टैक्स के मुद्दों का विश्लेषण करते हैं।

मानसून सत्र

मानसून सत्र हर साल जुलाई से सितंबर के बीच बुलाया जाता है। इस सत्र का आयोजन अक्सर बजट सत्र के बाद दो महीने बाद किया जाता है। इस सत्र में जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाती है।

शीतकालीन सत्र

संसंद का शीतकालीन सत्र नवंबर से दिसंबर के बीच आयोजित होता हैं। इस सत्र की अवधि सबसे कम होती है। इस सत्र में उन मुद्दों को उठाया जाता है, जो पिछले दोनों सत्रों में छूट गए है।

विशेष सत्र -

संसद के तीन सत्रों के अलावा सरकार द्वारा बीच में विशेष रूप से बुलाए जाने वाला सत्र विशेष सत्र होता है। यदि सरकार को लगता है किसी विषय पर तत्काल संसद की बैठक की आवश्यकता है, तो सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति या स्पीकर, लोकसभा का विशेष सत्र बुला सकते है।

अब तक कब-कब बुलाए गए विशेष सत्र -

पहला विशेष सत्र -

फरवरी 1977 में अनुच्छेद 356(4) के दूसरे प्रावधान के तहत तमिलनाडु और नागालैंड में राष्ट्रपति शासन के विस्तार के लिए दो दिनों के लिए राज्यसभा का एक विशेष सत्र आयोजित किया गया था।

दूसरा विशेष सत्र -

3 जून 1991 को दो दिवसीय विशेष सत्र (158वां सत्र) बुलाया गया था। इसे अनुच्छेद 356(3) के प्रावधानों के तहत हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी के लिए बुलाया गया था। राज्यसभा के रिकॉर्ड के अनुसार, इन दोनों अवसरों पर, उच्च सदन की बैठक तब हुई, जब लोकसभा भंग थी।

तीसरा विशेष सत्र -

'भारत छोड़ो आंदोलन' की 50वीं सालगिरह पर नौ अगस्त 1992 को आधी रात संसद का सत्र बुलाया गया था।

चौथा विशेष सत्र -

यूपीए सरकार के दौरान, लेफ्ट पार्टी द्वारा मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद विश्वास मत के लिए जुलाई 2008 में लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था।

पांचवां विशेष सत्र -

मोदी सरकार ने इससे पहले 26 नवंबर 2015 को बीआर आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए सरकार ने विशेष सत्र बुलाया था। उस साल देश आंबेडकर की 125वीं जयंती मना रहा था। इसी साल से 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित किया गया था।

छठवां विशेष सत्र -

मोदी सरकार ने 30 जून 2017 को गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स यानी जीएसटी को लागू करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया था।

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