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उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बिना नाम लिए राहुल गांधी पर हमला बोला

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बिना नाम लिए राहुल गांधी पर हमला बोला

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विदेशी धरती से भारत विरोधी बयानबाजी: उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बिना नाम लिए राहुल गांधी पर हमला बोला

Gurjeet Kaur
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15 Sept 2024 6:03 PM IST

नई दिल्ली। इस समय नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की विदेश यात्रा चर्चा का विषय बनी हुई है। अमेरिका की यात्रा पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कई ऐसे बयान दिए जिसे लेकर भाजपा नेता हमलावर हैं। राहुल गांधी की विदेश यात्रा पर इस बात उप - राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) का बयान सामने आया है। उन्होंने बिना नाम लिए उन्होंने राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणी पर नाराजगी जताई।

आज मुंबई में एलफिंस्टन टेक्निकल हाई स्कूल और जूनियर कॉलेज में संविधान मंदिर का उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप - राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, "विदेशी धरती पर संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा लगातार भारत विरोधी बयानबाजी की जा रही है...यह चिंता का विषय है, चिंतन का विषय है, विचार-विमर्श का विषय है। आज एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति विदेश जाता है और कहता है कि आरक्षण समाप्त होना चाहिए। आरक्षण के खिलाफ पूर्वाग्रह के पैटर्न को देखिए। अपनी संवैधानिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि आरक्षण संविधान की अंतरात्मा है। आरक्षण हमारे संविधान में सकारात्मकता के साथ, बड़े अर्थ के साथ, सामाजिक समानता लाने और असमानताओं को कम करने के लिए है।"

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आगे कहा कि, "बाबा साहेब को 31 मार्च 1990 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। यह मेरा सौभाग्य था कि मैं उस समय लोकसभा का सदस्य था। देर से दिया गया लेकिन न्याय हुआ क्योंकि बाबा साहेब ने हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि जो वंचित हैं, उनके साथ न्याय हो। एक और महत्वपूर्ण मुद्दा जो बाबा साहेब के विचारों से जुड़ा हुआ है। मंडल आयोग की रिपोर्ट आने के दस साल बाद तक देश में दो प्रधानमंत्री रहे, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी, लेकिन उस रिपोर्ट पर एक पत्ता भी नहीं हिला। सामाजिक न्याय की नींव डॉ. भीम राव अंबेडकर ने मौलिक अधिकार के रूप में मजबूती से रखी थी। मंडल आयोग की सिफारिशें अगस्त 1990 में लागू की गईं और यह मेरा सौभाग्य था उस समय मैं केंद्र में मंत्री था। मुझे इन दो कार्यक्रमों का हिस्सा बनने का अवसर मिला, जो बाबा साहब अंबेडकर के दिल के बहुत करीब थे और संविधान की आत्मा थे। यह मेरे लिए जीवन भर याद रहेगा।"

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