< Back
Lead Story
तालिबान का समर्थन करने वाले ही लखीमपुर घटना का कर रहे है राजनीतिकरण : योगी आदित्यनाथ

Photo

Lead Story

तालिबान का समर्थन करने वाले ही लखीमपुर घटना का कर रहे है राजनीतिकरण : योगी आदित्यनाथ

स्वदेश डेस्क
|
8 Oct 2021 3:56 PM IST

कश्मीर में निशाना बन रहे हिंदुओं और सिक्खों के प्रति सहानुभूति व्यक्त क्यों नहीं करते ओवैसी

लखनऊ। लखीमपुर घटना पर विपक्ष द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा सरकार पर किए जा रहे जुबानी हमलों का जबरदस्त पलटवार किया। उन्होंने एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा की लखीमपुर हादसा दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन जिस तरह से वहां जाने के लिए विपक्षी पार्टियों के नेताओं की होड़ लगी है, उससे साफ है कि सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए यह दिखावा है। कोरोना काल में कभी नेताओं को एक बार जनता की सेवा के लिए जाना चाहिए था। विपक्षी दल के नेताओं को लगा कि लखीमपुर एक बहाना है, लेकिन ऐसा नहीं हो पायेगा। ये कोई सद्भावना के दूत नहीं है। सरकार की पहली प्राथमिकता होती है शांति और सौहार्द बनाना, सरकार ने वही किया।

अखिलेश यादव बड़े बाप के बेटे है -

कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ के कर्वधा में जो हुआ, क्या वहां कोई गया इनमें से? जिन लोगों को पुलिस ने गोलियों से भूना, क्या कोई उनसे मिलने गया? अखिलेश यादव को पढ़ने-लिखने की फुर्सत कहां है, वो तो बड़े बाप के बड़े बेटे हैं। स्वाभाविक रूप से उनकी जिंदगी है और उनकी अपनी कार्य पद्धति है। देश और दुनिया से उन्हें क्या मतलब है?वह ऑस्ट्रेलिया जाकर मटरगश्ती करें। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में द्वीप खरीदा होगा वहां जाकर ऐशो आराम की जिंदगी जिएं।

तालिबान के समर्थक लखीमपुर में एक्टिव -

ओवैसी अगर कश्मीर में निशाना बन रहे हिंदुओं और सिक्खों के प्रति भी सहानुभूति व्यक्त कर देते, तो लोग उनको नेता मान लेते। जो लोग लखीमपुर में हिन्दुओं और सिक्खों को आपस में लड़ाना चाह रहे हैं, उनको कश्मीर का आईना दिखाना चाहिए।लखीमपुर का राजनीतिकरण करने वालों को तालिबान का आईना दिखाना चाहिए। देश के अंदर लखीमपुर मुद्दे का राजनीतिकरण कौन कर रहे हैं? वही जो काबुल में तालिबान का समर्थन कर रहे हैं। कोई अगर इस गलतफहमी में है कि उत्तर प्रदेश के अंदर वो घेराबंदी करके आम जनजीवन को ठप कर देंगे, या निर्दोष लोगों पर हमला करेंगे, तो वो लोग भी तैयार हो जाएं, हम तो तैयार ही हैं।

मिथक तोड़ने के लिए राजनीति में आए -

सपा, बसपा और कांग्रेस सभी ब्राह्मण सम्मेलन कर रहे हैं, लेकिन लखीमपुर में दो ब्राह्मण भी मारे गए, क्या इनमें से कोई नेता गया उन पीड़ित ब्राह्मणों के घर? कन्नौज के नीरज मिश्रा की हत्या, क्या संतोष शुक्ला ब्राह्मण नहीं थे? कभी उनके घर गए। मैं नोएडा भी गया और बिजनौर भी। दोनों के बारे में कहा जाता था, जो सीएम वहां जाता है वो दोबारा सत्ता में लौटकर नहीं आता। हम लोग इसी मिथक को तोड़ने के लिए राजनीति में आए हैं। हमारी सरकार उत्तर प्रदेश में दोबारा आएगी।

भूपेश बघेल से छत्तीसगढ़ नहीं संभल रहा -

विपक्ष के लोग सद्भावना के दूत नहीं थे और इनमें से बहुत सारे चेहरे इस उपद्रव और हिंसा के पीछे भी शामिल होंगे। एक बार तथ्य सामने आने दीजिए, हम सत्य सबके सामने रख देंगे। कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में किसानों को गोलियों से भूना गया, वहां के मुख्यमंत्री से अपना प्रदेश तो संभल नहीं रहा है। आज जो नेता राजनीतिक पर्यटन पर निकले हैं ये कोरोना काल में जनता के सुख-दुःख में कितने सहभागी बने .

Similar Posts