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Lead Story
सीएम बनने के बाद डॉ. मोहन यादव का उनके पिताजी के साथ हुआ ये संवाद बहुत ही भावनात्‍मक है।
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पिता पुत्र का आत्‍मीय संवाद: सीएम बनने के बाद डॉ. मोहन यादव का उनके पिताजी के साथ हुआ ये संवाद बहुत ही भावनात्‍मक है।

Swadesh Digital
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4 Sept 2024 12:53 PM IST

सिर से पिता का साया उठ जाना जीवन की अपूरणीय क्षति है। मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस समय अपने पिता श्री पूनम चंद जी यादव को खोने के गहन दु:ख में हैं। मंगलवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का निधन हो गया। उनकी उम्र करीब 100 साल थी और वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

खबरों के अनुसार पूनमचंद जी को पिछले हफ्ते हीअस्पताल में भर्ती कराया गया था।

किसी करीबी के दुनिया छोड़ कर चले जाने बाद अगर कुछ बाकी रह जाता है तो वह सिर्फ उस व्‍यक्ति की आपसे जुड़ी यादेंं ही होती हैं।

ऐसी कुछ यादें हैं डॉ. मोहन यादव और उनके पिता की, पिता पुत्र के आत्‍मीय संवाद का एक वीडियो तब चर्चाओं में था, जब मोहन यादव नए नए मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने थे।

जब सीएम मोहन यादव ने अपने पिता से मांगे पैसे

मुख्‍यमंत्री बनने के बाद जब मोहन यादव चर्चाओं में आए तो यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, इस वीडियो में देखा जा सकता है कि मुख्यमंत्री अपने पिता से मिलने के लिए पहुंचते हैं. इस दौरान पिता-पुत्र के बीच काफी गपशप और हंसी मजाक होती है। मुख्‍यमंत्री अपने हाथों से पिता को खुद के लाए एक जैकेट पहनाते हैं।

इसी बीच मुख्यमंत्री अपने पिता से कुछ पैसे मांगते हैं, इस पर उनके पिता अपनी अपनी जेब से 5-5 सौ रुपये के नोटों की गड्डी निकाल कर मुख्यमंत्री मोहन यादव के हाथ में थमा देते हैं। बाद में मुख्यमंत्री उसमें से पांच सौ का एक नोट रख लेते हैं और बाकी पैसे पिता को लौटा देते हैं. हालांकि, पिता उनसे पूरी गड्डी लेने के लिए कहते हैं। इसके बाद वह पिता के पांव छूकर आशीर्वाद कर निकल जाते हैं।

संघर्षों मेंं बीता पिता का जीवन

मुख्‍यमंत्री मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है, रतलाम के रहने वाले पूनमचंद जी काम की तलाश में रतलाम से उज्जैन आए थे। पूनमचंद जी ने हीरा मिल में काम किया और अपने परिवार का भरण पोषण किया। पूनमचंद यादव ने मिल में नौकरी करने के बाद उज्जैन शहर में अपनी दुकान खोली थी। उन्होंने उज्जैन के मालीपुरा में भजिया और फ्रीगंज में दाल-बाफले की दुकान खोली थी, उनकी यह दुकान आज भी शहर में चलती है।

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