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स्वाति मालीवाल केस में सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी, कहा - विभव कुमार को कोई शर्म नहीं

Swati Maliwal Case

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स्वाति मालीवाल केस में सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी, कहा - विभव कुमार को कोई शर्म नहीं

Gurjeet Kaur
|
1 Aug 2024 12:25 PM IST

Swati Maliwal Case : जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां द्वारा मामले की सुनवाई की गई थी।

Swati Maliwal Case : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को स्वाति मालीवाल केस की सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने विभव कुमार पर तीखी टिप्पणी की। जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां द्वारा मामले की सुनवाई की गई थी। स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया था कि, 13 मई को केजरीवाल के आवास पर गई थीं तो कुमार ने उनके साथ मारपीट की थी। अदालत ने सुनवाई करते हुए कहा कि, विभव कुमार को कोई शर्म नहीं है।

स्वाति मालीवाल मारपीट मामले में बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान विभव कुमार का पक्ष रख रहे सिंघवी ने कहा कि, ये सभी मामले ट्रायल के लिए हैं, जमानत के लिए नहीं। यह हत्या का मामला नहीं है।

इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि, 'आप सही कह रहे हैं कि हम हत्यारों और हत्यारों को जमानत देते हैं। लेकिन एफआईआर देखिए। वह शारीरिक स्थिति पर रो रही है। क्या आपके पास अधिकार था? अगर इस तरह का व्यक्ति गवाह को प्रभावित नहीं कर सकता तो कौन कर सकता है? क्या आपको लगता है कि, ड्राइंग रूम में कोई उसके खिलाफ बोलने के लिए मौजूद था? हमें लगता है कि उसे (विभव कुमार) कोई शर्म नहीं है।'

आंतरिक और अन्य राजनीति पर नहीं जाना चाहते :

सिंघवी ने कहा कि, माननीय न्यायाधीश एफआईआर को ही सत्य मान रहे हैं। एक दोस्ताना एलजी और पुलिस मेरी शिकायत दर्ज नहीं करते, बल्कि केवल उसकी शिकायत दर्ज करते हैं। इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि, हम आपकी आंतरिक और अन्य राजनीति पर नहीं जाना चाहते।'

क्या सीएम का सरकारी घर निजी आवास है?

सिंघवी ने कहा कि, पहले दिन वह (पुलिस के पास) गई, लेकिन कोई शिकायत नहीं की। लेकिन फिर कई दिन बीत गए। जस्टिस कांत ने जवाब दिया कि, इस तथ्य के बारे में क्या कि उसने 112 पर कॉल किया? यह आपके दावे को झूठा साबित करता है कि उसने मनगढ़ंत कहानी गढ़ी। जस्टिस कांत ने आगे कहा, क्या सीएम का सरकारी घर निजी आवास है? क्या इसके लिए इस तरह के नियमों की जरूरत है? हम हैरान हैं, यह छोटी या बड़ी चोटों के बारे में नहीं है। हाईकोर्ट ने हर चीज को सही तरीके से दोहराया है।

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