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नई संसद भवन में स्थापित होगा स्वतंत्रता का प्रतीक सेंगोल, चोल वंश से जुड़ा है इतिहास
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नई संसद भवन में स्थापित होगा स्वतंत्रता का प्रतीक 'सेंगोल', चोल वंश से जुड़ा है इतिहास

स्वदेश डेस्क
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24 May 2023 1:30 PM IST

14 अगस्त की अर्धरात्रि जब स्वतंत्रता मिली, उस समय लॉर्ड माउंटबेटन ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को भेंट किया था

नईदिल्ली/वेबडेस्क। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नए संसद भवन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता का प्रमाण बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री 28 मई को संसद का नवनिर्मित भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कार्यक्रम पर बुधवार को नेशनल मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी नई संसद के उद्घाटन पर 60 हजार श्रमयोगियों का सम्मान करेंगे। नया संसद भवन रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुआ है।आजादी का अमृत महोत्सव' के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री जी 28 मई को संसद का नवनिर्मित भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। एक प्रकार से नया संसद भवन प्रधानमंत्री जी के दूरदर्शिता का प्रमाण है। जो नए भारत के निर्माण में हमारी सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का एक सुंदर प्रयास है।

माउंटबेटन ने नेहरू को दिया था -


उन्होंने सेंगोल की जानकारी देते हुए बताया की इसे नई संसद भवन में रखा जाएगा। चोल वंश के शासनकाल में ये सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता था। उन्होंने इससे जुड़े इतिहास की जानकारी देते हुए बताया कि 14 अगस्त 1947 को अर्धरात्रि जब हमें आजादी मिली। उस समय प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को वायसराय लॉर्ड माउंट बेटन ने सेंगोल सौंपी थी। ये आजादी और सस्ता का प्रतीक है। इसके 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है।सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी। यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली तो गहन जांच करवाई गई। फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया। शाह ने सेंगोल को लेकर एक वेबसाइट भी लॉन्च की है।

अधीनम करेंगे मोदी को भेंट

उन्होंने बताया कि तमिल भाषा में सेंगोल का अर्थ होता है संपदा से संपन्न। सइस पवित्र Sengol को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है। Sengol की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता। इसलिए जब संसद भवन देश को समर्पण होगा, उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी जी बड़ी विनम्रता के साथ तमिलनाडु से आए, अधीनम से Sengol को स्वीकार करेंगे।इसके बाद नई संसद भवन में स्पीकर की सीट के ठीक बगल में इसे स्थापित किया जाएगा

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