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उप्र सरकार ने आशीष मिश्रा की जमानत का जताया विरोध, कहा- समाज में गलत संदेश जाएगा
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उप्र सरकार ने आशीष मिश्रा की जमानत का जताया विरोध, कहा- समाज में गलत संदेश जाएगा

स्वदेश डेस्क
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19 Jan 2023 2:08 PM IST

लखीमपुर खीरी केस में आशीष मिश्रा की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

नईदिल्ली। उप्र के लखीमपुर खीरी में किसानों की गाड़ी से कुचलकर हत्या करने के मामले में आरोपित आशीष मिश्रा की जमनात याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।उप्र सरकार ने सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा की जमानत का विरोध किया। सरकार की ओर से पैरवी कर रही वकील गरिमा प्रसाद ने कहा की यह एक जघन्य अपराध है। ऐसे मामले में अगर आरोपित को जमानत दी जाती है, तो समाज में गलत संदेश जाएगा। गरिमा प्रसाद ने कहा कि अभी तक दूसरा पक्ष ऐसा कोई फोटोग्राफ पेश नहीं कर पाया है, जिससे साफ हो कि आशीष मिश्रा घटनास्थल पर न होकर दंगल में मौजूद था। चार्जशीट में हमने आरोप लगाया है कि आशीष मिश्रा घटनास्थल से भागा था।


इसके अलावा पीड़ित किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने भी ज़मानत अर्जी का जोरदार विरोध किया। दवे ने कहा कि ये कोई मर्डर केस नहीं है, यह जघन्य अपराध है। ये दबंग लोग हैं। आरोपित के पिता प्रदर्शनकारियों को धमकाते रहे हैं। अगर जमानत दी जाती है तो निष्पक्ष ट्रायल हो नहीं पायेगा।

एक साल से ज्यादा समय से जेल में है

सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। घटना के दौरान आशीष कार में नहीं था। हाईकोर्ट ने एक साल पहले जमानत दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद जमानत को रद्द कर दिया था। जस्टिस सूर्यकांत को रोहतगी ने बताया कि आशीष मिश्रा लगभग एक साल से ज्यादा समय से जेल में है।

मुकदमा खत्म होने तक जेल में नहीं रख सकते -

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर, 2022 को ट्रायल कोर्ट से पूछा था कि ट्रायल पूरा होने में कितना समय लगेगा। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा था कि कार में सवार लोगों की पीट-पीट कर मारने के मामले में जांच का क्या स्टेटस है। आज सुनवाई के दौरान लखीमपुर खीरी के ट्रायल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में 200 गवाह हैं। 27 सीएफएसएल रिपोर्ट है, ऐसे में ट्रायल पूरा करने में कम से कम पांच साल लगेगा। यूपी सरकार ने कहा कि आरोपितों के खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं।सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि निचली अदालत में मुकदमा खत्म होने तक किसी को जेल में नहीं रखा जा सकता। जस्टिस सुर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट से जमानत नहीं मिली तो निचली अदालत भी नहीं देगी।

ये है मामला -

लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में एसआईटी आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपित बनाकर 3 जनवरी को लखीमपुर की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।

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