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Lead Story
राफेल हमें पहले हमला करने में देता है बढ़त : वायु सेना प्रमुख
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राफेल हमें पहले हमला करने में देता है बढ़त : वायु सेना प्रमुख

Swadesh Digital
|
5 Oct 2020 6:02 PM IST

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में भारी तनाव के बीच वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा कि लड़ाकू विमान राफेल का बेड़े में शामिल होना यह उसकी पहले हमला करने की क्षमता और दूरी के मामलों में बढ़त देता है। उन्होंने कहा कि चीन की ओर से किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए वायु सेना ने हर जगह पर तैनाती कर रखी है और वह दो मोर्चों पर एक साथ निपटने के लिए भी पूरी तरह तैयार है।

एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने वायु सेना स्थापना दिवस 8 अक्टूबर से पहले सोमवार को एक पारंपरिक वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में सवालों के जवाब में कहा कि लद्दाख तो छोटा क्षेत्र है, हमने हर जगह पर पूरी मजबूती के साथ तैनाती कर रखी है।

उन्होंने कहा, "हमने पूरी तैयारी के साथ हर जगह तैनाती कर रखी है और सवाल नहीं उठता कि किसी भी टकराव की स्थिति में चीन हमसे पार पा सकता है।" पूर्वोत्तर के बारे में विशेष रूप से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वहां भी हमारी तैनाती तथा तैयारी दोनों है साथ ही वायु सेना के पास यह क्षमता है कि वह अपने विमानों तथा अन्य साजो सामान को जरूरत पड़ने पर तुंरत एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकती है।

उन्होंने कहा कि वायु सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है और उसमें दो मोर्चों पर एक साथ लड़ाई की स्थिति भी शामिल है। वायु सेना सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है। एक सवाल के जवाब में वायु सेना प्रमुख ने कहा कि चीन की हरकत के बारे में सही तरीके से पहली बार मई में पता चला और उसके बाद हम तुरंत हरकर में आ गये। यह कहना गलत होगा कि हम चकित रह गये लेकिन हमें इसकी अपेक्षा नहीं थी।

चीनी सेना सामान्य तौर पर इस समय पर अभ्यास करती है लेकिन इस बार उसने यह हरकत की। जैसे ही हमें इसका पता चला हमने तुरंत कदम उठाये। सेना की जो भी जरूरत थी जवानों को ले जाने की या अन्य साजो सामान पहुंचाने की वह तुरंत पूरी की गई। इस बार किसी तरह की कमी नहीं छोड़ी गयी। पहले कभी इतनी फुर्ती से काम नहीं हुआ।

वायु सेना प्रमुख ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि जहां तक चीन के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित स्कूर्द एयर बेस का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करने की बात है यह विकल्प खुला होने की तरह है। यदि चीन स्कूर्द का इस्तेमाल करता है तो यह मिलीभगत पर आधारित खतरा होगा और हम उसी के अनुरूप इससे से निपटेंगे।

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