
मिशन 'लाइफ' की प्रधानमंत्री ने की शुरुआत, जानिए क्या है ये..कैसे करेगा काम ?
|, प्रधानमंत्री ने कहा- हर कोई अपने सामर्थ्य के हिसाब से दे सकता है योगदान
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के साथ गुजरात (एकता नगर, केवड़िया) में यूएनएसजी मिशन 'लाइफ' (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) पुस्तिका, लोगो और टैगलाइन का शुभारंभ किया। ये मिशन पर्यावरण संरक्षण का एक बड़ा अभियान है, जिससे करीब 1 करोड़ लोगों के जुड़ने का अनुमान लगाया गया है
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। लोग भी अब महसूस करने लगे हैं कि केवल सरकार और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के स्तर पर किए जाने वाले नीतिगत बदलावों पर इस समस्या को नहीं छोड़ा जा सकता। लोग अपने, अपने परिवार और अपने समुदाय के जिम्मेदारी पर विचार करने लगे हैं। इन सब विषयों पर ही मिशन 'लाइफ' की अवधारणा आधारित है।प्रधानमंत्री ने कहा, "आज हमारे ग्लेशियर पिघल रहे हैं, हमारी नदियां सूख रही हैं, मौसम अनिश्चित हो रहे हैं और ये बदलाव लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहे हैं कि क्लामेट चेंज को सिर्फ पॉलिसी मेकिंग पर नहीं छोड़ा जा सकता है।"'मिशन लाइफ' की व्याख्या करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को लोकतांत्रिक बनाता है जिससे हर कोई अपने सामर्थ्य के हिसाब से योगदान दे सकता है। यह इस धरती की सुरक्षा के लिए जन-जन की शक्ति को जोड़कर उनका बेहतर इस्तेमाल करना सिखाता है। उन्होंने हर्ष जताया कि आज इतने सारे देश मिशन के लिए हमसे जुड़े हैं।
जीवन शैली में बदलाव
उन्होंने कहा कि मिशन लाइफ हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ ऐसा करें जिससे पर्यावरण की सुरक्षा हो। इस क्रम में उन्होंने लोगों की पर्यावरण की दृष्टि से गलत आदत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग 17 डिग्री पर तापमान कर रात में कंबल ओढ़ के सोते हैं। उन्होंने इस आदत में बदलाव लाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हम जिम जाते समय साइकल का इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मिशन लाइव मानता है कि अपने जीवन शैली में बदलाव कर पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है। उन्होंने कहा, "पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत प्रयासों की कामना के साथ ही आज ये मिशन का विजन दुनिया के सामने रख रहा हूं।"
भारत सालाना प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट करीब डेढ़ टन ही है
जलवायु परिवर्तन को रोकने में भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में भारत सालाना प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट करीब डेढ़ टन ही है जबकि दुनिया का औसत 4 टन प्रति वर्ष का है। फिर भी भारत जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्या के समाधान के लिए आगे बढ़कर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, "हमारी सरकार ने एलईडी बल्ब की एक योजना शुरू की। यहां मौजूद अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ यह जानकर हैरान होंगे कि भारत के लोगों ने 160 करोड़ एलईडी बल्ब का इस्तेमाल किया। इससे 100 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम हुआ।"उन्होंने कहा, "आज भारत प्रगति भी और प्रकृति भी का एक उत्तम उदाहरण बन रहा है। आज भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन रहा है और हमारा वन क्षेत्र भी और वन्यजीवों की संख्या भी बढ़ रही है।"
मिशन लाइफ को पी3 की अवधारणा -
प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने का महत्व समझाया। उन्होंने ट्रस्टीशिप की अवधारणा विकसित की। मिशन लाइफ को पी3 की अवधारणा पर काम करता है- 'प्रो, प्लानेट, पीपल'। यह सबको अपने में समाहित कर देने वाला विचार है। यह जीवन शैली में 'लाइफ स्टाइल ऑफ द प्लानेट', 'फॉर दी प्लानेट' और 'बाय द प्लानेट' के मूल सिद्धांत पर चलता है। अक्षय ऊर्जा में गुजरात के अग्रणी रहने का भी प्रधानमंत्री ने विशेष उल्लेख किया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए कम उपयोग करो, दोबारा प्रयोग करो और पुनर्चक्रण करो और सर्कुलर इकोनामी अपनाने का जिक्र करते हुए कहा कि भारतवासियों की जीवन शैली का यह हमेशा से अंग रही है।
क्या है मिशन लाइफ -
इस मिशन के तहत दुनिया भर के 118 देशों में इसका प्रचार प्रसार किया जाएगा। मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, इस मिशन के तहत समकालीन भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक वातावरण, कनेक्टिविटी और भारत की विदेश नीति प्राथिमिक्ताओं पर चर्चा होगी। इस मिशन के तहत क्लाइमेंट चेंज, पर्यावरण सुरक्षा का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मुकाबला करना है।इसके अलावा, मिशन लाइफ में दुनियाभर से एक नई शुरुआत की अपील की गई। इसमें पर्यावरण को बचाने के लिए शपथ लेने के अलावा संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। मिशन लाइफ में हर छोटी-छोटी चीजों के प्रति भी जागरूकता पैदा की जाएगी जिससे पर्यावरण को लाभ हो।