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प्रधानमंत्री का सपा पर तंज, परिवारवादियों की सरकारों ने दशकों तक गांवों को प्यासा रखा
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प्रधानमंत्री का सपा पर तंज, परिवारवादियों की सरकारों ने दशकों तक गांवों को प्यासा रखा

स्वदेश डेस्क
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19 Nov 2021 4:05 PM IST

महोबा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में जल संकट को दूर करने की महत्वपूर्ण पहल करते हुये महोबा में भवानी बांध समेत कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा समय देश, देश की आजादी और राष्ट्र निर्माण में जनजातीय साथियों के योगदान को समर्पित जनजातीय गौरव सप्ताह भी मना रहा है। गुलामी के उस दौर में भारत में नई चेतना जगाने वाले गुरुनानक देव जी का आज प्रकाश पर्व भी है। मैं देश और दुनिया के लोगों को गुरु पूरब की भी शुभकामनाएं देता हूं। आज ही भारत की वीर बेटी, बुंदेलखंड की शान, वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की जयंती भी है।

बीते 7 वर्षों में हम कैसे सरकार को दिल्ली के बंद कमरों से निकालकर देश के कोने-कोने में लाए हैं। महोबा, इसका साक्षात गवाह है, ये धरती ऐसी योजनाओं, ऐसे फैसलों की साक्षी रही है जिन्होंने देश की गरीब, माताओं-बहनों के जीवन में बड़े बदलाव किए हैं।कुछ वक्त पहले यहीं से उज्ज्वला योजना के दूसरे चरण की शुरुआत की थी। कुछ वर्ष पहले मैंने महोबा से ही देश की मुस्लिम बहनों से वादा किया था कि मैं उन्हें तीन तलाक की कुप्रथा से मुक्ति दिलाऊंगा। ये वादा भी पूरा हो चुका है।

दिल्ली और उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक शासन करने वालों ने बारी-बारी से बुंदेलखंड को उजाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां के जंगलों, संसाधनों को कैसे माफिया के हवाले किया गया, ये किसी से छिपा नहीं है।अब इन्हीं माफियाओं पर बुलडोजर चल रहा है, तो कुछ लोग हाय-तौबा मचा रहे हैं। ये लोग कितनी भी तौबा मचा लें, यूपी के विकास के काम, बुंदेलखंड के विकास के काम रुकने वाले नहीं हैं।किसानों को हमेशा समस्याओं में उलझाए रखना ही कुछ राजनीतिक दलों का आधार रहा है। ये समस्याओं की राजनीति करते हैं और हम समाधान की राष्ट्रनीति करते हैं। केन-बेतवा लिंक का समाधान भी हमारी ही सरकार ने निकाला है।

दशकों तक बुंदेलखंड के लोगों ने लूटने वाली सरकारें देखी हैं, पहली बार बुंदेलखंड के लोग यहां के विकास के लिए काम करने वाली सरकार देख रहे हैं।इस कटु सत्य को कोई भुला नहीं सकता है कि वो उत्तर प्रदेश को लूटते नहीं थकते थे और हम काम करते-करते नहीं थकते हैं।परिवारवादियों की सरकारों ने दशकों तक यूपी के अधिकतर गांवों को प्यासा रखा है।

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