
गोंड महारानी दुर्गावती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान, देश भूल नहीं सकता
|भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित जनजातीय महासम्मेलन के मंच पर विराजमान हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा की आप सभी को भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर बहुत बहुत शुभकामनाएं। आज का दिन पूरे देश के लिए, पूरे जनजातीय समाज के लिए बहुत बड़ा दिन है। आज भारत अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है।

उन्होंने कहा की आजादी के बाद देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर पूरे देश के जनजातीय समाज की कला, संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान को गौरव के साथ याद किया जा रहा है, उनका सम्मान किया जा रहा है। मैं आज यहां मध्य प्रदेश के जनजातीय समाज का आभार भी व्यक्त करता हूं। बीते अनेक वर्षों में निरंतर हमें आपका स्नेह, आपका विश्वास मिला है। ये स्नेह हर पल और मजबूत होता जा रहा है। आज जब कार्यक्रम के प्रारंभ में मेरे आदिवासी जनजातीय समूह के लोग अलग अलग मंच पर गीत के साथ अपनी भावनाएं प्रकट कर रहे थे। मैंने देखा है कि उनकी हर बात में कोई न कोई तत्व ज्ञान होता है।

मुझे खुशी है कि मध्य प्रदेश में जनजातीय परिवारों में तेजी से टीकाकरण हो रहा है। हमारे आदिवासी भाई-बहन टीकाकरण के महत्व को समझते भी हैं, स्वीकारता भी हैं और देश को बचाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं, इससे बड़ी समझदारी क्या हो सकती है। आजादी की लड़ाई में जनजातीय नायक-नायिकाओं की वीर गाथाओं को देश के सामने लाना, उसे नई पीढ़ी से परिचित कराना, हमारा कर्तव्य है। गुलामी के कालखंड में विदेशी शासन के खिलाफ खासी-गारो आंदोलन, मिजो आंदोलन, कोल आंदोलन समेत कई संग्राम हुए।गोंड महारानी वीर दुर्गावती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान, देश इन्हें भूल नहीं सकता। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की कल्पना उन बहादुर भीलों के बिना नहीं की जा सकती जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी और बलिदान दिया।