< Back
Lead Story
2025 तक 25 शहरों में मेट्रो के विस्तार का लक्ष्य : प्रधानमंत्री
Lead Story

2025 तक 25 शहरों में मेट्रो के विस्तार का लक्ष्य : प्रधानमंत्री

स्वदेश डेस्क
|
28 Dec 2020 11:55 AM IST

प्रधानमंत्री ने पहली ऑटोमेटेड ट्रेन का किया शुभारंभ

नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर देश की पहली चालक रहित ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने 23 किमी लम्बी एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन (नई दिल्ली से द्वारका सेक्टर 21) की यात्रा के लिए नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) सेवाओं का भी शुभारंभ किया।

इस मौके पर एक लघु फिल्म के माध्यम से चालक रहित मेट्रो की विशेषता बताई गई। इसमें कहा गया कि अब मेट्रो चालकों को जल्द सुबह और देर रात डिपो से मेट्रो को निकालने से निजात मिल जाएगी। इतना ही नहीं मानवीय भूल की संभावना भी कम हो जाएगी। भारत इसके साथ ही चालक रहित मेट्रो संचालित करने वाले सात देशों में शामिल हो गया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा की मुझे आज से लगभग 3 साल पहले मजेंटा लाइन के उद्घाटन का सौभाग्य मिला था।आज फिर इसी रुट पर देश की पहली ऑटोमेटिड मेट्रो का उद्घाटन करने का अवसर मिला।ये दिखाता है कि भारत कितनी तेजी से स्मार्ट सिस्टम की तरफ आगे बढ़ रहा है।आज नेशनल कॉमन मॉबिलिटी कार्ड से भी मेट्रो जुड़ रही है।पिछले साल अहमदाबाद से इसकी शुरुआत हुई थी। आज इसका विस्तार दिल्ली मेट्रो की एयर पोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर हो रहा है।

25 से ज्यादा शहरों में मेट्रो का लक्ष्य

2014 में सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो रेल थी।आज 18 शहरों में मेट्रो रेल की सेवा है। वर्ष 2025 तक हम इसे 25 से ज्यादा शहरों तक विस्तार देने वाले हैं।RRTS- दिल्ली मेरठ RRTS का शानदार मॉडल दिल्ली और मेरठ की दूरी को घटाकर एक घंटे से भी कम कर देगा।

मेट्रोलाइट-

उन शहरों में जहां यात्री संख्या कम है वहां मेट्रोलाइट वर्जन पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 40 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है।

मेट्रो नियो -

जिन शहरों में सवारियां और भी कम है वहां पर मेट्रो नियो पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 25 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है।इसी तरह है वॉटर मेट्रो- ये भी आउट ऑफ द बॉक्स सोच का उदाहरण है।

मेक इन इंडिया से लागत कम-

मेट्रो सर्विसेस के विस्तार के लिए मेक इन इंडिया महत्वपूर्ण है।मेक इन इंडिया से लागत कम होती है, विदेशी मुद्रा बचती है और देश में ही लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है।रोलिंग स्टॉक के मानकीकरण से हर कोच की लागत अब 12 करोड़ से घटकर 8 करोड़ पहुंच गयी है।आज चार बड़ी कंपनियां देश में ही मेट्रो कोच का निर्माण कर रही हैं।दर्जनों कंपनिया मेट्रो कंपोनेंट्स के निर्माण में जुटी हैं।इससे Make in India के साथ ही, आत्मनिर्भर भारत के अभियान को मदद मिल रही है।

Similar Posts