< Back
Lead Story
हमारी पार्टी में वंशवाद नहीं, उनका भी सम्मान किया जो हमारे नहीं थे : प्रधानमंत्री
Lead Story

हमारी पार्टी में वंशवाद नहीं, उनका भी सम्मान किया जो हमारे नहीं थे : प्रधानमंत्री

स्वदेश डेस्क
|
11 Feb 2021 1:00 PM IST

नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरूवार को दिल्ली में पंडित दीन दयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि के मौके पर भाजपा सांसदों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने इस संबोधन में हर घर में शौचालय, जनधन योजना, लोकल फॉर वोकल, आदि की उपलब्धियां गिनाई। प्रधानमंत्री ने संबोधन के शुरुआत में कहा - " आज हम सभी दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर अनेक चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्र हुए हैं। पहले भी अनेकों अवसर पर हमें दीनदयाल जी से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होने का, विचार रखने का और अपने वरिष्ठजनों के विचार सुनने का अवसर मिलता रहा है।"

उन्होंने कहा राजनीतिक अस्पृश्यता का विचार हमारा संस्कार नहीं है। आज देश भी इस विचार को अस्वीकार कर चुका है। हमारी पार्टी में वंशवाद को नहीं, कार्यकर्ता को महत्व दिया जाता है। इसलिए आज देश हमसे जुड़ रहा है और हमारे कार्यकर्ता भी हर देशवासी को अपना परिवार मानते हैं। राजनीतिक दलों के विचार अलग हो सकते हैं, इसका मतलब ये नहीं कि हम अपने राजनीतिक विरोधी का सम्मान न करें। प्रणव मुखर्जी जी, तरुण गोगोई जी, एससी जमीर जी, हमारी पार्टी या गठबंधन का हिस्सा नहीं रहे। लेकिन राष्ट्र के प्रति उनके योगदान का सम्मान हमारा कर्तव्य रहा।

उन्होंने सांसदों से आग्रह करते हुआ कहा मैं आपसे आग्रह करूंगा कि पार्टी की देश, राज्यों, जिले, पोलिंग बूथ की हर एक ईकाई आजादी के 75 साल निमित्त कम से कम 75 ऐसे काम करें, जिससे देश के सामान्य मानवी से जुड़ सकें। ये हमारी विचारधारा है कि हमें राजनीति का पाठ, राष्ट्रनीति की भाषा में पढ़ाया जाता है। हमारी राजनीति में भी राष्ट्रनीति सर्वोपरि है। अगर हमें राजनीति और राष्ट्रनीति में एक को स्वीकारना होगा, तो हम राष्ट्रनीति को स्वीकार करेंगे, राजनीति को नंबर दो पर रखेंगे।

हमारी पार्टी, सरकार आज महात्मा गांधी के उन सिद्धांतों पर चल रही है जो हमें प्रेम और करुणा के पाठ पढ़ाते हैं। हमारी ही सरकार ने नेताजी को वो सम्मान दिया जिसके वो हकदार थे। सरदार पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाकर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया

उन्होंने कहा आप सभी ने दीन दयाल जी के बारे में पढ़ा है और अपने जीवन को उनके आदर्शों के इर्द-गिर्द रचा है। आप सभी उनकी कुर्बानियों को अच्छी तरह से जानते हैं। जितना अधिक हम उसके बारे में सोचते हैं, बात करते हैं और सुनते हैं, हम उसके विचारों में एक नई किरण और एक नया दृष्टिकोण महसूस करते हैं। उनके विचार बहुत समकालीन हैं और हमेशा के लिए होंगे।मेरा अनुभव है और आपने भी महसूस किया होगा कि हम जैसे जैसे दीनदयाल जी के बारे में सोचते हैं, बोलते हैं, सुनते हैं, उनके विचारों में हमें हर बार एक नवीनता का अनुभव होता है।सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतन्त्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, दीनदयाल जी इसके भी बहुत बड़ा उदाहरण हैं।

1965 में, भारत-पाक युद्ध के दौरान, भारत को हथियारों के लिए विदेशी देशों पर निर्भर रहना पड़ा। दीनदयाल जी ने उस समय कहा था कि हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करने की आवश्यकता है, जो न केवल कृषि में आत्मनिर्भर हो, बल्कि रक्षा और हथियार में भी हो। आज भारत रक्षा गलियारों, मेड इन इंडिया हथियारों और लड़ाकू जेट जैसे तेजस में देखा जा रहा है। लोकल इकॉनमी पर विजन इस बात का प्रमाण है कि उस दौर में भी उनकी सोच कितनी प्रेक्टिकल और व्यापक थी। आज 'वोकल फॉर लोकल' के मंत्र से देश इसी विजन को साकार कर रहा है

आज आत्मनिर्भर भारत अभियान देश के गांव-गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग के भविष्य निर्माण का माध्यम बन रहा है।बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनकारी परिवर्तन से नागरिकों का जीवन आसान हो जाएगा। भारत को एक नई आधुनिक छवि मिलेगी। जब भारत का कद आज विश्व स्तर पर तेजी से बढ़ रहा है, तो हर भारतीय को आज के भारत पर गर्व होगा।प्रकृति के साथ सामंजस्य का दर्शन दीनदयाल जी ने हमें दिया था। भारत आज इंटरनेशनल सोलर अलायन्स का नेतृत्व करके दुनिया को वही राह दिखा रहा है।अंतिम पायदान पर भी खड़े व्यक्ति का जीवन स्तर कैसे सुधरे, ईज ऑफ लिविंग कैसे बढ़े इसके प्रयास आज सिद्ध होते दिख रहे हैं।





Related Tags :
Similar Posts